मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे का चुनाव क्यों किया // डॉबेराइनर के वर्गीकरण / हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों / नाभिकीय ऊर्जा / ऊर्जा संरक्षण का नियम
प्रश्न 1. मेंडल ने अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे का चुनाव क्यों किया?
उत्तर - मेण्डल ने अपने प्रयोगों के लिए मटर के पौधे का चुनाव निम्नलिखित कारणों से किया गया
1. मटर का पौधा एक वर्षीय होता है तथा अल्पकालीन जीवन चक्र वाला है।
2. इसके पुष्प द्विलिंगी होते हैं अर्थात नर एवं मादा जननांग एक ही पुष्प में पाये जाते हैं। पौधे मुख्यतः स्वपरागित होते हैं तथा आसानी से उगाये जा सकते हैं।
प्रश्न 2. डॉबेराइनर के वर्गीकरण की दो सीमाएँ लिखिए
उत्तर -
1. उस समय ज्ञात सभी तत्वों का वर्गीकरण डॉबेराइनर के त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।
2. इसमें तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में ऊपर से नीचे की ओर व्यवस्थित किया गया है।
प्रश्न 2. डॉबेराइनर के वर्गीकरण की दो सीमाएँ लिखिए
उत्तर -
1. उस समय ज्ञात सभी तत्वों का वर्गीकरण डॉबेराइनर के त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।
2. इसमें तत्वों को परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में ऊपर से नीचे की ओर व्यवस्थित किया गया है।
प्रश्न हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान क्यों दे रहे हैं?
उत्तर- हम जानते हैं कि जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं अतः इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। तकनीकी विकास के साथ-साथ ऊर्जा की खपत भी बढ़ रही है। हमारी बदलती जीवन शैली, अपने आराम के लिए अधिक से अधिक मशीनों के उपयोग के कारण भी ऊर्जा की माँग अधिक हो रही है। इस ऊर्जा की माँग की आपूर्ति परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से पूरी नहीं हो पा रही है। अतः हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
प्रश्न . महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की
क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर- महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की निम्न सीमाएं हैं-
(i) ज्वारीय ऊर्जा का सागर से किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बाँध का निर्माण करके किया जाता है, परन्तु इस प्रकार के स्थान बहुत कम हैं, जहाँ बाँध बनाए जा सकते हैं।
(ii) तरंग ऊर्जा का वहीं पर व्यावहारिक उपयोग हो सकता है जहाँ तरंगें अत्यंत प्रबल हों।
(iii) महासागरों की ऊर्जा की क्षमता (ज्वारीय ऊर्जा, तरंग
ऊर्जा तथा महासागरीय तापीय ऊर्जा) अति विशाल है, परंतु इसके दक्षतापूर्ण व्यापारिक दोहन में कठिनाइयाँ हैं।
प्रश्न नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्व है?
उत्तर- नाभिकीय ऊर्जा के निम्नलिखित महत्व होते हैं-
(i) नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पादन में किया जा सकता है।
(ii) इससे किसी प्रकार का धुआँ या हानिकारक गैसें नहीं निकलतीं, जिससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
(iii) यह ऊर्जा का शक्तिशाली स्रोत है तथा इसके द्वारा ऊर्जा की आवश्यकता का बड़ा भाग प्राप्त किया जा सकता है।
प्रश्न क्या कोई ऊर्जा स्त्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर किसी भी प्रकार की ऊर्जा स्त्रोत प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकते कुछ ना कुछ मात्रा में ऊर्जा स्त्रोत प्रदूषण फैलते हैं जैसे यदि हम लकड़ी को ऊर्जा स्त्रोत की तरह उपयोग करते हैं तब पर्यावरण प्रदूषित होता है। वायु मेंCO2 और O2 का भी संतुलन प्रभावित होता है लकड़ी के जलने से उत्पन्न CO2 , SO2 और NO2 वायु प्रदूषण करते हैं। यहां तक कि सौर ऊर्जा भले ही प्रदूषण रहित हो परंतु कुछ लंबे समय बाद उसके उपयोग से भूमंडलीय उष्मीय प्रभाव उत्पन्न हो सकता है
प्रश्न ऊर्जा संरक्षण का नियम लिखिए।
उत्तर- ऊर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार “किसी ने काय की संपूर्ण ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है ना ही नष्ट किया जा सकता है इसे केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है”
