अध्याय 5: गति के नियम || gati ke niyam

Sachin ahirwar
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अध्याय 5: गति के नियम


बल की सहजानु भूत अवधारणा, जड़त्व, न्यूटन का गति का पहला नियम, संवेग और न्यूटन का गति का दूसरा नियम, आवेग, न्यूटन का गति का तीसरा नियम । रैखिक संवेग संरक्षण नियम तथा इसके अनुप्रयोग। संग्रामी बलों का संतुलन, स्थैतिक तथा गतिज घर्षण, घर्षण के नियम, लोटनिक घर्षण, स्नेहन । एकसमान वर्तुल गति की गतिकी, अभिकेन्द्र बल, अभिकेन्द्र बल के उदाहरण (समतल 'वृत्ताकार सड़क पर वाहन, ढालू सड़कों पर वाहन ) 


महत्त्वपूर्ण तथ्य


• न्यूटन का प्रथम नियम वल की गुणात्मक व्याख्या करता है, द्वितीय नियम परिमाणात्मक व्याख्या करता है जबकि तृतीय नियम बल के लगने की व्याख्या करता है। 

• न्यूटन के द्वितीय नियम में प्रथम तथा तृतीय नियम समावेशित हैं।

• बाह्य बल की अनुपस्थिति में निकाय का रैखिक संवेग नियत रहता है। स्थैतिक घर्षण स्वयं समायोजक बल है जो गति का विरोध करता है।


स्थैतिक घर्षण गतिक घर्षण लोटनिक घर्षण क्षैतिज तल में एकसमान वृत्तीय गति कर रहे कण की चाल व गतिज ऊर्जा नियत रहती है जबकि उसका वेग, त्वरण तथा संवेग परिवता होता है।


प्रश्न 1. न्यूटन का गति का प्रथम नियम लिखिए। 

उत्तर- न्यूटन के प्रथम नियम के अनुसार, यदि किसी पिण्ड पर बाहरी बल न लग रहा हो, तो यदि पिण्ड स्थिर अवस्था में है तो स्थिर ही रहेगा तथा यदि पिण्ड गतिमान है तो एकसमान वेग से सरल रेखीय मार्ग में चलता ही रहेगा।


प्रश्न 2. जड़त्व से क्या तात्पर्य है ? इसके प्रकार लिखिए। 

उत्तर- प्रत्येक पिण्ड में अपनी अवस्था परिवर्तन के विरोध करने का गुण होता है। इसे जड़त्व का गुण कहते हैं। जड़त्व दो प्रकार का होता है तु विराम का जड़त्व तथा (ii) गति का जड़त्व । 

प्रश्न 3. बल किसे कहते हैं ?

उत्तर- बल, वह याह्य कारण है जो पिण्ड की अवस्था को बदल सकता है।


प्रश्न 4. चलती हुई गाड़ी को अचानक रोक देने पर यात्री का शरीर आगे की ओर झुक जाता है, क्यों ? 

उत्तर- चलती हुई गाड़ी को अचानक रोक देने पर जैसे ही गाड़ी का वेग घटकर शून्य होता है, गाड़ी के सम्पर्क में होने के कारण यात्री के शरीर के नीचे के भाग का वेग भी गाड़ी के वेग के समान घटकर शून्य हो जाता है, परन्तु शरीर के ऊपर का भाग गति के जड़त्व के कारण समान वेग से आगे की और चलने का प्रयत्न करता है। यही कारण है कि यात्री का शरीर आगे की ओर झुक जाता है।


प्रश्न 5. रेलगाड़ी या बस के अचानक चलने पर उसमें खड़ा यात्री पीछे की ओर गिर जाता है, क्यों ? 

उत्तर- रेलगाड़ी या बस के अचानक चलने पर, गाड़ी के सम्पर्क में होने के कारण उसमें खड़े यात्री के पैर भी सामने की ओर गाड़ी के समान वेग से चलने लगते हैं, परन्तु यात्री का ऊपरी भाग विराम के जड़त्व के कारण स्थिर ही रहता है। इसी कारण यात्री पीछे की ओर गिर जाता है।


प्रश्न 6. कम्बल को पीटने पर धूल के कण झड़ जाते हैं, क्यों 

उत्तर- कम्बल को पीटने से कम्बल के उस भाग में तो अचानक गति आ जाती है, जहाँ छड़ी, कम्बल से टकराती है, परन्तु विराम के जड़त्व के कारण कम्बल में लगे धूल के कण स्थिर अवस्था में ही रह जाते हैं। अतः कम्बल का वह भाग, धूल के कणों को छोड़कर आगे चला जाता है तथा धूल के कण पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण कम्बल के उस भाग से अलग होकर नीचे गिर जाते हैं।


प्रश्न 7. क्या कारण है कि लम्बी कूद के खिलाड़ी कुछ दूर से दौड़कर आते हैं ?

उत्तर- इसका कारण यह है कि खिलाड़ी कूदने से पहले कुछ दूरी दौड़कर अपने में गति का जड़त्व प्राप्त कर लेता है जिससे उसे कूदने में सहायता मिले तथा वह अधिक दूरी तक कूद सके ।


प्रश्न 8. संवेग की परिभाषा दीजिए तथा इसका S.I. पद्धति में मात्रक लिखिए

उत्तर- किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा उसके वेग के गुणनफल को उस वस्तु का संवेग कहते हैं, अर्थात्


 संवेग = द्रव्यमान x वेग या p वेक्टर = mv vector


S.I. पद्धति में संवेग का मात्रक किग्रा x मीटर/सेकण्ड या न्यूटन x सेकण्ड होता है।


प्रश्न 9. बल के कौन-कौन से प्रभाव हो सकते हैं ? उत्तर-बल के निम्नलिखित तीन प्रभाव हो सकते हैं-

(i) स्थिर वस्तु में गति उत्पन्न करना, (ii) गतिमान वस्तु की चाल बदलना या गति की दिशा बदलना अथवा चाल व गति की दिशा दोनों बदलना, तथा (iii) वस्तु का आकार व आकृति बदलना ।


प्रश्न 11. बल का S.l. पद्धति में मात्रक लिखिए तथा उसे परिभाषित कीजिए। 

उत्तर- बल का S.l. पद्धति में मात्रक न्यूटन है। न्यूटन-एक न्यूटन वह बल है जिसको 1 किलोग्राम द्रव्यमान की वस्तु पर लगाने से वस्तु में 1 मीटर/सेकण्ड2 का त्वरण उत्पन्न होता है। 


प्रश्न 12. क्या कारण है कि बन्दूक से गोली दागने पर चलाने वाले व्यक्ति को पीछे की ओर धक्का लगता है ?

उत्तर-बन्दूक से गोली दागने पर बन्दूक द्वारा जितना बल गोली पर आगे की ओर लगता है, न्यूटन के तृतीय नियमानुसार ठीक उतना ही बल गौली द्वारा बन्दूक पर पीछे की ओर लगता है। जिससे व्यक्ति को पीछे धक्का लगता है।


प्रश्न 13. क्या कारण है कि नाव से व्यक्ति के कूदने पर नाव विपरीत दिशा में चलने लगती है ? 

उत्तर -- इसका कारण यह है कि व्यक्ति, नाव से कूदने पर आगे की ओर जितना बल लगाता है, न्यूटन के तृतीय नियमानुसार उतने ही बल से नाव विपरीत दिशा में चलने लगती है।


 प्रश्न 14. जब नाव पर सवार व्यक्ति नाव से किनारे पर कूदता है तो वह नाव को अपने पैरों से पीछे की ओर दबाता है, क्यों ? 

उत्तर- इसका कारण यह है कि व्यक्ति नाव को अपने पैरों से जितना बल लगाकर पीछे की ओर दबाता है, उतना ही प्रतिक्रिया बल नाव से पैरों को आगे की ओर प्राप्त होता है जिससे वह आसानी से कूद जाता है। 


प्रश्न 15. घर्षण किसे कहते हैं ? इसकी दिशा बताइए।

उत्तर- परस्पर सम्पर्क में दो पृष्ठों के मध्य लगने वाला वह बल जो सम्पर्क पृष्ठ के स्पर्शीय लगता है तथा उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करता है, घर्षण बल कहलाता है।


घर्षण बल की दिशा सदैव गति की दिशा के विपरीत होती है 


प्रश्न 16. घर्षण की उत्पत्ति का कारण समझाइए । 

उत्तर- घर्षण उत्पन्न होने का मुख्य कारण प्रत्येक वस्तु के पृष्ठ पर कुछ उठान तथा खाँचों का होना है, चाहे पृष्ठ कितना भी चिकना क्यों न हो। दो पृष्टों को सम्पर्क में रखने से उनके उठान व खाँचे एक-दूसरे में फँस जाते हैं जिसके कारण जब बाह्य बल लगाकर एक पृष्ठ को दूसरे पृष्ठ के सम्पर्क में रखकर चलाया जाता हैं तो उन पृष्ठों के मध्य गति विरोधी घर्षण बल उत्पन्न हो जाता है।


प्रश्न 17. घर्षण बल कितने प्रकार के होते हैं ?

उत्तर- घर्षण बल तीन प्रकार के होते हैं- 

(i) स्थैतिक घर्षण (ii) यतिक घर्षण, तथा (iii) लोटन घर्षण । 


प्रश्न 18. दैनिक जीवन में घर्षण से चार लाभ बताइए |

उत्तर- (i) पैरों तथा जमीन के मध्य घर्षण होने के कारण ही हम जमीन पर चल पाते हैं। 

(ii) घर्षण के कारण ही दीवार पर कील ठोक पाते हैं।

(iii) घर्षण के कारण ही वाहनों पर ब्रेक लगाकर उन्हें रोक पाते हैं। 

(iv) भोजन का चयाना भी घर्षण के कारण ही सम्भव हो पाता है।


प्रश्न 19. घर्षण से तीन हानियाँ बताइए।

उत्तर- (i) मशीनों के पुर्जे घिस जाते हैं।

(ii) मशीनों की दक्षता घट जाती है।

(iii) मशीनों को दी गयी ऊर्जा का कुछ भाग ऊष्मा के रूप में व्यय हो जाता है।


प्रश्न 20. घर्षण कम करने के तीन उपाय लिखिए। 

उत्तर- घर्षण कम करने के निम्नलिखित तीन उपाय हैं:

(i) घर्षण कम करने के लिये पृष्ठों पर पॉलिश कर दी जाती है। 

(ii) घर्षण कम करने के लिये सम्पर्क पृष्ठों के बीच स्नेहक, जैसे ग्रीस या मोबिल ऑयल आदि डाल दिया जाता है।

(iii) सर्पी घर्षण को लोटन घर्षण में बदल देते हैं, अर्थात् मशीनों में धुरी व पहिये के बीच घर्षण कम करने के लिये बाल-बियरिंग आदि का उपयोग करते हैं।


प्रश्न 21. घर्षण बढ़ाने के चार उपाय लिखिए। 

उत्तर- घर्षण बढ़ाने के चार उपाय निम्नलिखित हैं :

(i) बहुत चिकनी सतह (जैसे, बर्फ) पर मिट्टी या बालू डालकर ।

(ii) वाहनों के टायरों में खाँचे बनाकर । 

(iii) जूतों के तले खुरदरे बनाकर।

(iv) मशीनों पर लगी बेल्ट पर चिपचिपा तरल पदार्थ डालकर ।


प्रश्न 22. घर्षण कम करने के लिये बाल-बियरिंग का उपयोग किया जाता है, क्यों ?

उत्तर- बाल - बियरिंग का उपयोग करके सर्पा घर्षण को लोटन घर्षण में बदल लेते हैं क्योंकि सर्पों घर्षण की अपेक्षा लोटन घर्षण कम होता है।


प्रश्न 23. स्काईलैब पृथ्वी पर गिरते समय जल गयी थी, क्यों ?

उत्तर- वायुमण्डल के घर्षण के कारण उत्पन्न ऊष्मा से ।


प्रश्न 24. एक घोड़ा शून्य आकाश में गाड़ी नहीं खींच सकता है, क्यों ? 

उत्तर- शून्य आकाश में घर्षण की अनुपस्थिति में घोड़े को आगे बढ़ने के लिए प्रतिक्रिया बल नहीं मिलेगा, अतः वह गाड़ी नहीं खींच सकेगा। 


प्रश्न 25. अभिकेन्द्री त्वरण से क्या तात्पर्य है ? वृत्तीय पथ पर गति करते हुए किसी पिण्ड के अभिकेन्द्री त्वरण का सूत्र कोणीय वेग के पदों में लिखिए

उत्तर- जब कोई कण किसी अक्ष के चारों और एकसमान कोणीय वेग से क्षैतिज वृत्तीय मार्ग में गति करता है तो यद्यपि कण की चाल नियत रहती है, लेकिन गति की दिशा बदलते रहने के कारण उसका वेग निरन्तर बदलता रहता है अर्थात् वृत्तीय मार्ग में गतिमान कण में त्वरण होता है। चूँकि चाल समान बने रहने के लिए आवश्यक है कि त्वरण की दिशा, कण की गति की दिशा के लम्बवत् हो, अतः त्वरण की दिशा सदैव वृत्त के केन्द्र की ओर होती है। इस त्वरण को अभिकेन्द्री त्वरण कहते हैं।


अभिकेन्द्री त्वरण = उमेगा2r , जहाँ r वृत्तीय पथ की त्रिज्या तथा उमेगा कोणीय वेग है।


प्रश्न 26. अभिकेन्द्री बल से क्या तात्पर्य है ? इसका सूत्र लिखिए। 

उत्तर- एकसमान कोणीय वेग से क्षैतिज वृत्तीय गति में कण की चाल को बनाए रखने के लिए वृत्त के केन्द्र की और आवश्यक बल को अभिकेन्द्री बल कहते हैं। अभिकेन्द्री बल mउमेगा2r=mv2/r, जहाँ m कका द्रव्यमान तथा r वृत्त की त्रिज्या है।




प्रश्न 27. क्रीम निकालने के लिए दूध को मथनी से मथा जाता है, क्यों ? 

उत्तर- क्रीम निकालने की मशीन में जब एक बर्तन में दूध भरकर तेजी से घुमाया जाता है तो दूध के वृत्तीय मार्ग में घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्री बल, दूध की विभिन्न परतों के बीच लगने वाले श्यान बल से मिलता है। दूध में उपस्थित सभी कण समान अभिकेन्द्री बल अनुभव करते हैं। चूँकि क्रीम के कण, दूध के कणों की अपेक्षा हल्के होते हैं, अतः क्रीम के कण कम त्रिज्या का मार्ग लेते हैं और वर्तन के केन्द्र की ओर आ जाते हैं, जबकि दूध के कण अधिक त्रिज्या का मार्ग लेते हैं और बर्तन के बाहरी भाग में आ जाते हैं। इस प्रकार दूध से क्रीम अलग हो जाती है।


प्रश्न 28. पहाड़ों की घुमावदार सड़क समतल न होकर, बाहरी ओर से कुछ ऊपर उठी होती है, क्यों ?

उत्तर-पहाड़ों पर घुमावदार सड़कें समतल न होकर, बाहरी और से कुछ ऊपर उठी होती हैं ताकि उन सड़कों पर चलने वाली गाड़ी स्वतः हो घुमाव के केन्द्र की ओर झुक जाती है जिससे उसे आवश्यक अभिकेन्द्री बल प्राप्त हो जाता है। यदि सड़क समतल होती तो मुड़ते समय गाड़ी के बाहरी पहिए ऊपर उठ जाते जिससे गाड़ी के पलटने का भय रहता ।


प्रश्न 29, डोरी के सिरे पर पत्थर बाँधकर घुमाते हुए यदि हाथ को एकाएक रोक लें तो डोरी तेजी से हाथ पर लिपट जाती है, क्यों ?

उत्तर- डोरों के सिरे पर पत्थर बांधकर वृत्तीय मार्ग में घुमाने पर डोरी में उत्पन्न तनाव, आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदान करता है। हाथ को एकाएक रोकने पर डोरी पर तनाव समाप्त हो जाता है जिससे पत्थर वृत्तीय मार्ग पर नहीं घूमता है, बल्कि डोरी तेजी से हाथ पर लिपट जाती है।


प्रश्न 1. न्यूटन के गति के नियमों को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर-- न्यूटन के गति के निम्नलिखित तीन नियम हैं:


 प्रथम नियम-यदि किसी पिण्ड पर बाहरी बल न लग रहा हो तो यदि पिण्ड स्थिर अवस्था में है तो स्थिर ही रहेगा तथा यदि पिण्ड गतिमान है तो एकसमान वेग से सरल रेखीय मार्ग में चलता ही रहेगा। उदाहरण के लिए, चलती गाड़ी के अचानक रुक जाने पर उसमें बैठे यात्रियों का सिर आगे की ओर झुक जाता है।


द्वितीय नियम- किसी पिण्ड के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगाये गये बल के अनुक्रमानुपाती होती है तथा उसी दिशा में होती है, जिस दिशा में बल लगाया जाता है, अर्थात् बल द्रव्यमान x त्वरण (या = F = ma) | उदाहरण के लिए, गेंद पर बल्ले द्वारा बल लगाकर इसे चलाया जा सकता है।


तृतीय नियम- प्रत्येक क्रिया के बराबर व विपरीत प्रतिक्रिया होती है, अर्थात् दो पिण्डों की पारस्परिक क्रिया में एक पिण्ड जितना बल दूसरे पिण्ड पर लगाता है, दूसरा पिण्ड भी विपरीत दिशा में उतना ही वल पहले पिण्ड पर लगाता है। इनमें से एक बल को क्रिया तथा दूसरे बल को प्रतिक्रिया कहते हैं। स्मरणीय है कि क्रिया बल एक पिण्ड पर लगता है तथा इसका प्रतिक्रिया बल दूसरे पिण्ड पर लगता है। उदाहरण के लिए, बन्दूक से गोली दागने पर धक्का लगता है।


प्रश्न 2. न्यूटन का गति का द्वितीय नियम क्या है ? सूत्र F vector=ma vector को निगमित कीजिए। 


अथवा


न्यूटन का द्वितीय नियम लिखकर सिद्ध कीजिए : बल द्रव्यमान x त्वरण ।

अथवा

बल, द्रव्यमान तथा त्वरण में सम्बन्ध निगमित करो।

Ans… . … . … .. 



प्रश्न 4. क्रिकेट के खेल में गेंद पकड़ते समय खिलाड़ी अपने हाथ पीछे खींच लेता है, क्यों ? 

उत्तर- माना प्रारम्भ में गेंद (द्रव्यमान m) , v वेग से गतिमान है तो इसका प्रारम्भिक mv संवेग है। हाथ में पकड़ने पर गेंद का mv संवेग से घटकर शून्य हो जाता है। अब यदि खिलाड़ी गेंद को रोकने के लिए बल F, ∆t समय तक लगाता है, तो


बल का आवेग -F×∆t गेंद के संवेग में परिवर्तन = 0-mv


अब यदि खिलाड़ी हाथ पीछे खींच लेता है, तो गेंद अधिक देर में रुकेगी, अर्थात ∆t का मान अधिक होगा, अतः बल F कम होगा। इसके विपरीत, यदि खिलाड़ी हाथ पीछे नहीं खीचता है तो ∆t का मान कम होगा जिससे बल F का मान अधिक होगा तथा उसके हाथ में चोट लगने का भय रहेगा।


प्रश्न 5. बन्दूक से गोली दागने पर बन्दूक पीछे की ओर धक्का लगाती है। कारण समझाइए । 

उत्तर- जब बन्दूक से गोली दागी जाती है तो बारूद जलने से उत्पन्न गैस गोली के ऊपर बल लगाती। है, जिससे गोली सामने चली जाती है। गोली, गैस के ऊपर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाती है, परन्तु बन्दूक गैस को पीछे जाने से रोकती है जिसके लिए बन्दूक को गैस के ऊपर उतना ही बल सामने की ओर लगाना पड़ता है। न्यूटन के तृतीय नियम के अनुसार, गैस भी बन्दूक पर इतना ही बल पीछे की और लगायेगी। इस बल के कारण बन्दूक पीछे हटने का प्रयत्न करती है। यदि बन्दूक को कन्धे से दबाकर रखा जाये, तो कन्धे पर उतना ही बल उतने ही समय तक लगेगा। इससे चलाने वाले को धक्के का अनुभव होता है।


प्रश्न 8. (1) स्थैतिक घर्षण (ii) गतिक (या सप) घर्षण (iii) लोटन (या वेल्लन) घर्षण तथा (iv) सीमान्त घर्षण की परिभाषा दीजिए।


उत्तर- (i) स्थैतिक घर्षण- यदि एक पृष्ठ को दूसरे पृष्ठ के सम्पर्क में रखकर खिसकाने का प्रयास करते हैं तथा फिर भी पृष्ठ विरामावस्था में रहते हैं तो दोनों पृष्ठों के मध्य लगने वाले घर्षण को स्थैतिक घर्षण कहते हैं।


(ii) गतिक (या सर्प) घर्षण - जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु के पृष्ठ के सम्पर्क में रखकर एकसमान वेग से चलाया जाता है तो दोनों वस्तुओं के सम्पर्क पृष्ठों के बीच लगने वाले घर्षण को गतिक या सर्पी घर्षण कहते हैं। . 


(iii) लोटन (या बेल्लन) घर्षण - जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर लुढ़काया जाता है तो उनके सम्पर्क पृष्ठों के मध्य लगने वाले घर्षण को लोटन या बेल्लन घर्षण कहते हैं।


(iv) सीमान्त घर्षण- दो सम्पर्क पृष्ठों के मध्य लगने वाला वह अधिकतम स्थैतिक घर्षण बल जिसके उपरान्त बाह्य बल का परिमाण थोड़ा-सा ही बढ़ाने से एक वस्तु दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर फिसलने लगती है, सीमान्त (या चरम) घर्षण बल कहलाता है।


प्रश्न 9. घर्षण से क्या अभिप्राय है ? घर्षण के नियम लिखिए।

उत्तर- परस्पर सम्पर्क में दो पृष्ठों के मध्य सम्पर्क पृष्ठ के स्पर्शीय लगने वाला वह वल जो उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करता है, घर्षण कहलाता है। 


घर्षण के नियम- (i) घर्षण बल का परिमाण, सम्पर्क पृष्ठों की प्रकृति पर तथा उनके खुरदरेपन (अथवा चिकनेपन) पर निर्भर करता है। यह स्पर्श में पृष्ठों के क्षेत्रफल अथवा उनको आकृति पर निर्भर नहीं करता है।


(ii) घर्षण बल सदैव सम्पर्क पृष्ठों के समान्तर (या स्पर्शीय) तथा गति की दिशा के विपरीत लगता है।


(iii) दो पृष्ठों के मध्य घर्षण बल का परिमाण, उनके बीच अभिलम्ब प्रतिक्रिया के अनुक्रमानुपाती होता है, अर्थात् घर्षण बल तथा अभिलम्ब प्रतिक्रिया की निष्पत्ति एक नियतांक होती है। इस नियतांक को उन सम्पर्क पृष्ठों का घर्षण गुणांक कहते हैं, अर्थात्


f अनुक्रमानुपाती R या f = uR


प्रश्न 10. सर्पि या गतिक घर्षण तथा बेल्लन (या लोटन) घर्षण क्या हैं ? इनमें अन्तर स्पष्ट कीजिए।




सर्पि या गतिक घर्षण

बेल्लन (या लोटन) घर्षण


जब एक वस्तु दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर फिसलती है तो दोनों वस्तुओं के सम्पर्क पृष्ठों के मध्य लगने वाले घर्षण बल को सर्पी या गतिक घर्षण कहते हैं।

जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर लुढ़काया जाता है तो दोनों वस्तुओं के सम्पर्क पृष्ठों के मध्य लगने वाले घर्षण बल को बेल्लन या लोटन घर्षण कहते हैं।


फिसलने वाली वस्तु के पृष्ठ का सदैव एक ही 

भाग दूसरी वस्तु के सम्पर्क में रहता है।

लुढ़कने वाली वस्तु के पृष्ठ के भिन्न-भिन्न भाग दूसरी वस्तु के सम्पर्क में आते रहते हैं।


सर्पों घर्षण का मान अधिक होता है।

बेल्लन घर्षण का मान कम होता है।







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