कार्य ऊर्जा और शक्ति के नोट्स PDF || NCERT कार्य, ऊर्जा और शक्ति class 11 || karya sakti Or urja full solution in hindi
अध्याय 6: कार्य, शक्ति एवं ऊर्जा
किसी नियत बल और किसी परिवर्ती बल द्वारा किया गया कार्य, गतिज ऊर्जा, कार्य ऊर्जा प्रमेय, शक्ति स्थितिज ऊर्जा की धारणा, किसी कमानी की स्थितिज ऊर्जा संरक्षी बल, यांत्रिक ऊर्जा का संरक्षण (गतिज तथा स्थिति कमाएँ), असंरक्षी बल, किसी अधर वृत्त में गति, एक और दो विमाओं में प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ संघट्ट ।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
1.दो परिस्थितियों में बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है, (i) जबकि विस्थापन शून्य हो, (ii) जबकि विस्थापन, बल के लम्बवत् हो।
2.बल द्वारा किया गया कार्य, वस्तु की गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है।
3.एक चक्रीय प्रक्रम में संरक्षी बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। प्रत्येक संघट्ट में रैखिक संवेग संरक्षण का नियम लागू होता है।
4.स्थितिज ऊर्जा का सीधे किसी अन्य रूप जैसे-ऊष्मा, प्रकाश, विद्युत् आदि में रूपान्तरण नहीं होता है।
5.ऊर्जा रूपान्तरण में उपयोगी ऊर्जा के अतिरिक्त किसी अन्य रूप में बदली गयी ऊर्जा को ऊर्जा क्षय कहते हैं।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. किस दशा में किया गया कार्य (i) महत्तम, (ii) शून्य होगा ?
उत्तर- (i) यदि ø =0° अर्थात् विस्थापन, बल की दिशा में है तो किया गया कार्य अधिकतम (= FS) होगा।
(ii) यदि ø = 90° अर्थात् विस्थापन, बल की दिशा के लम्बवत् है तो किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न 2. नाभिक के चारों ओर किसी वृत्तीय कक्षा में घूमते हुए इलेक्ट्रॉन को एक चक्कर लगाने में कितना कार्य करना पड़ता है ? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर- नाभिक के चारों ओर किसी वृत्तीय कक्षा में घूमते हुए इलेक्ट्रॉन को एक चक्कर लगाने में शून्य कार्य करना पड़ता है, क्योंकि इलेक्ट्रॉन पर नाभिक के कारण विद्युत् आकर्षण बल, वृत्तीय कक्षा के केन्द्र की ओर लगता है तथा इलेक्ट्रॉन सदैव कक्षा की स्पर्श रेखा के अनुदिश गति करता है। अतः बल तथा विस्थापन की दिशाएँ परस्पर 90° का कोण बनाती हैं (अर्थात् वल तथा विस्थापन लम्बवत् हैं)।
.: किया गया कार्य = FS cosø = F × S cos 90° = 0 (शून्य) ।
प्रश्न 3. एक कुली 40 किग्रा बोझ लेकर क्षैतिज प्लेटफार्म पर 20 मीटर की दूरी चलता है। उसके द्वारा गुरुत्वीय बल के विरुद्ध कितना कार्य किया गया ?
उत्तर- शून्य, क्योंकि कुलों का विस्थापन, गुरुत्वीय बल की दिशा के लम्बवत् हैं।
प्रश्न 4. कार्य का मात्रक तथा उसकी परिभाषा लिखिए।
उत्तर- कार्य का मात्रक जूल है। 1 जूल - 1 न्यूटन x 1 मीटर, अर्थात् किसी वस्तु पर 1 न्यूटन बल लगाने से यदि वह बल की दिशा में मोटर विस्थापित होती है, तो बल द्वारा किया गया कार्य 1 जूल कहलाता है।
प्रश्न 5. परिवर्ती बल द्वारा किये गये कार्य का निर्धारण बल-विस्थापन आरेख द्वारा किस प्रकार करते हैं ?
उत्तर- किसी परिवर्ती बल द्वारा किया गया कार्य, बल-विस्थापन वक्र द्वारा विस्थापन अक्ष से घिरे हुए क्षेत्रफल के बराबर होता है।
प्रश्न 6. संरक्षी बल किसे कहते हैं ? एक उदाहरण दीजिए
उत्तर- वह बल जिसके द्वारा किया गया कार्य, मार्ग पर निर्भर नहीं करता है, संरक्षी वल कहलाता है।
उदाहरण- गुरुत्वाकर्षण बल ।
प्रश्न 7. ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ? यह कैसी राशि है सदिश अथवा अदिश
उत्तर- किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को उस वस्तु की ऊर्जा कहते हैं। उदाहरण के लिये, घड़ी में चाबी भरने से उसकी स्प्रिंग में कार्य करने की क्षमता आ जाती है तब हम कहते हैं कि स्प्रिंग में ऊर्जा निहित है।
ऊर्जा अदिश राशि है।
प्रश्न 8. ऊर्जा का मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर - S. 1. पद्धति में ऊर्जा का मात्रक जूल है तथा इसका विमीय सूत्र [ML2T-2 ] है ।
प्रश्न . यान्त्रिक ऊर्जा क्या है ? यह कितने प्रकार की होती है
उत्तर - किसी वस्तु में केवल यान्त्रिक कारणों से कार्य करने की जितनों क्षमता होती है, उसे उस वस्तु की यान्त्रिक ऊर्जा कहते हैं।
यान्त्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है :
(1) गतिज ऊर्जा (गति के कारण), तथा
(ii) स्थितिज ऊर्जा ( स्थिति के कारण) ।
प्रश्न 10. गतिज ऊर्जा K तथा संवेग p में सम्बन्ध निगमित कीजिए।
प्रश्न 13. किसी वस्तु की स्थितिज ऊर्जा का क्या अर्थ है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- किसी वस्तु की स्थिति के कारण उस वस्तु में जो ऊर्जा निहित होती है, उसे उस वस्तु की स्थितिज कर्जा कहते हैं। उदाहरण- एक प्रिंग को खींचकर लम्बा करने में जितना कार्य करना पड़ता है, वह उस खिंची हुई स्प्रिंग में प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहता है।
प्रश्न 14. पृथ्वी तल से ऊँचाई पर किसी पिण्ड की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर- माना कि पृथ्वी तल पर 1 द्रव्यमान को कोई वस्तु रखी है। इसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा शून्य है। यदि हम इसे / ऊँचाई ऊपर उठायें तो उस पर वस्तु के भार या गुरुत्वीय बल (नीचे की ओर) mg (नियत) के विरुद्ध कार्य करना पड़ेगा। यह किया गया कार्य ही वस्तु में गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा के रूप में एकत्रित हो जायेगा।
अतः
वस्तु की गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा = वस्तु को h ऊँचाई तक ले जाने में किया गया कार्य
=गुरुत्वीय बल x विस्थापन mg×h 2
=mgh
प्रश्न 17. प्रोटॉन पर धन आवेश होता है। यदि दो प्रोटॉनों को समीप लाया जाये अर्थात् उनके बीच की दूरी कम की जाये तो स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होगी या कमी ? उत्तर का कारण भी समझाइये ।
उत्तर- यदि दो प्रोटोनों को समीप लाया जाये तो उनकी स्थितिज ऊर्जा में वृद्धि होगी, क्योंकि दूरी कम करने पर उनके बीच लगने वाला प्रतिकर्षण बल बढ़ेगा तथा दूरी कम करने में हमें इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है जो स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित होगा।
प्रश्न 18. बन्दूक से छोड़ी गयी गोली एक लक्ष्य से टकराकर रुक जाती है। बताइये कि गोली की गतिज ऊर्जा किन-किन रूपों में परिवर्तित होगी ?
उत्तर- गोली को गतिज ऊर्जा लक्ष्य को आकृति या आकार बदलने में (अर्थात् लक्ष्य की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा के रूप में), ध्वनि ऊर्जा के रूप में तथा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होगी।
प्रश्न 19. निम्नलिखित में क्या ऊर्जा परिवर्तन होते हैं (i) विद्युत् बल्ब का जलना, (ii) ऊँचाई से पत्थर का पृथ्वी तल पर गिरना ?
उत्तर- (i) विद्युत बल्ब के जलने में विद्युत् ऊर्जा का ऊष्मीय ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
(ii) ऊँचाई से जब पत्थर पृथ्वी तल पर गिरता है तो गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में तथा फिर गतिज ऊर्जा का ध्वनि ऊर्जा तथा ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तन होता है।
प्रश्न 20. सामर्थ्य से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- किसी मशीन द्वारा कार्य करने की दर को उसकी सामर्थ्य कहते हैं, अर्थात् सामर्थ्य = 1 सेकण्ड में किया गया कार्य।
अर्थात्
सामर्थ्य =कार्य / समय
प्रश्न 21. सामर्थ्य का मात्रक एवं विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर- एस. आई. पद्धति में सामर्थ्य का मात्रक जूल/सेकण्ड अथवा वाट है। सामर्थ्य का विमीय सूत्र
[ML2T-3] है ।
प्रश्न 1. कार्य से आप क्या समझते हैं ? इसकी माप किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर- जब कोई बल लगाने से वस्तु का विस्थापन होता है, तो बल द्वारा कार्य किया जाता है। किसी बल द्वारा किया गया कार्य, बल तथा बल की दिशा में उत्पन्न हुए विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
प्रश्न 2. घनात्मक, ऋणात्मक तथा शून्य कार्य से आप क्या समझते हैं ? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- धनात्मक कार्य- जब वस्तु का विस्थापन, बल की दिशा में होता है, अथवा बल और विस्थापन , के बीच का कोण न्यूनकोण (90° से छोटा) होता है तो बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक होता है तथा हम कहते हैं कि बल द्वारा वस्तु पर कार्य किया जाता है। इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा में वृद्धि होती है।
उदाहरण - पत्थर को ऊपर उठाने में उसके भार के बराबर ऊपर की ओर बल लगाना पड़ता है तथा पत्थर का विस्थापन भी ऊपर की और होता है, अतः पत्थर पर बाह्य बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक
ऋणात्मक कार्य जब वस्तु का विस्थापन, बल की दिशा के विपरीत होता है, अथवा बल और विस्थापन होता है। के बीच का कोण अधिक कोण (90° से बड़ा) होता है, तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य ऋणात्मक होता है तथा हम कहते हैं कि वस्तु द्वारा कार्य किया जाता है। इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा में कमी होती है।
उदाहरण – पत्थर को ऊपर उठाने में गुरुत्वीय बल नीचे की ओर तथा विस्थापन ऊपर की ओर होता है, अतः गुरुत्वीय बल द्वारा पत्थर पर किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
शून्य कार्य- यदि वस्तु पर बल लगाने के फलस्वरूप वस्तु का विस्थापन शून्य होता है अथवा वस्तु का विस्थापन, बल की दिशा के लम्बवत् होता है तो बल द्वारा वस्तु पर किया गया कार्य शून्य होता है। इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा अपरिवर्तित रहती है।
उदाहरण- यदि हम दीवार पर धक्का लगायें तो चूँकि दीवार का विस्थापन नहीं होता है, अतः हमारे द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा। सिर पर बोझ रखकर क्षैतिज तल पर चलने में गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।
प्रश्न 3. संरक्षी तथा असंरक्षी बलों में चार अन्तर लिखिए
उत्तर- संरक्षी तथा असंरक्षी वलों में अन्तर
प्रश्न 4' गतिज ऊर्जा' से क्या तात्पर्य है ? इसका व्यंजक निगमित कीजिए।
उत्तर- किसी वस्तु की गति के कारण वस्तु में जितनी ऊर्जा निहित होती है (अर्थात् वस्तु में जितनी कार्य करने की क्षमता होती है, उसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा की माप, गति की दिशा के विरुद्ध लगाये गये बल द्वारा किये गये उस कार्य से की जाती है जो वस्तु को रोकने के लिये किया जाता है।
माना m द्रव्यमान का पिण्ड v वेग से गतिमान है। पिण्ड पर गति की दिशा के विरुद्ध बल फ लगाने से वह S दूरी चलकर रुक जाता है तो
प्रश्न 5. कार्य-ऊर्जा प्रमेय क्या है ? इसे अचर बल के लिए सिद्ध कीजिए।
उत्तर--कार्य ऊर्जा प्रमेय के अनुसार, किसी पिण्ड पर लगाये गये बल द्वारा पिण्ड को विस्थापित करने में किया गया कार्य, उसकी गतिज ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होता है।
माना कोई पिण्ड एकसमान प्रारम्भिक वेग u से चल रहा है। माना उस पर चलने की दिशा में एक नियत बल F को t समय तक लगाकर उसका अन्तिम वेग u कर दिया जाता है। माना कि इस समय में पिण्ड द्वारा तय की गयी दूरी (अर्थात् वस्तु का विस्थापन) S है तो समीकरण v2 = u2 + 2aS से,
प्रश्न 7. ऊर्जा रूपान्तरण से क्या अभिप्राय है ? ऊर्जा रूपान्तरण के चार व्यावहारिक उपयोगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर—एक प्रकार की ऊर्जा का दूसरी प्रकार की ऊर्जा में बदलना, ऊर्जा रूपान्तरण कहलाता है।
उपयोग- (i) बाँध में पानी को ऊँचाई से गिराकर पानी की स्थितिज ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदला जाता है जिससे विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
(ii) ऊष्मा इंजनों में विद्युत् ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदला जाता है।
(iii) विद्युत् बल्ब के तन्तु में धारा बहाकर विद्युत् ऊर्जा को ऊष्मीय तथा प्रकाश ऊर्जा में बदला जाता है।
(iv) ताप विद्युत् युग्म में ऊष्मीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित किया जाता है।
प्रश्न 8. किसी निकाय को यान्त्रिक ऊर्जा से आप क्या समझते हैं ? एक ऊर्जा का दूसरी ऊर्जा में रूपान्तरण किस प्रकार होता है ? एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर- किसी निकाय में यान्त्रिक कार्य के कारण से निहित ऊर्जा को उस निकाय की यान्त्रिक ऊर्जा कहते हैं। यान्त्रिक ऊर्जा दो प्रकार की होती है
(i) स्थितिज ऊर्जा (जो निकाय में अपनी स्थिति के कारण होती है), तथा (ii) गतिज ऊर्जा (जो निकाय में गति के कारण होती है)।
ऊर्जा रूपान्तरण में स्थितिज ऊर्जा, सीधे ऊर्जा के किसी अन्य रूप (जैसे, ऊष्मीय ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, आदि) में नहीं बदलती है, बल्कि पहले स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में बदलती है, तत्पश्चात् गतिज ऊर्जा, ऊर्जा के अन्य रूप में बदलती है।
उदाहरण- बाँध में पानी को ऊँचाई से गिराकर स्थितिज ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदला जाता है तथा फिर गतिज ऊर्जा को टरबाइन द्वारा विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है।
प्रश्न 9. किसी गेंद को पृथ्वी तल से ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर 10 जूल प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा से फेंका गया। अधिकतम ऊँचाई प्राप्त करने के बाद वह पृथ्वी की ओर लौटना प्रारम्भ करती है। (i) उच्चतम बिन्दु पर उसकी गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा कितनी होगी ? (ii) पृथ्वी तल पर वापस पहुँचने के क्षण पर उसकी गतिज ऊर्जा कितनी होगी ?
उत्तर- (i) उच्चतम विन्दु पर गेंद का वेग = 0, गतिज ऊर्जा शून्य होगी। ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त के अनुसार, उच्चतम बिन्दु पर पहुँचने पर गेंद की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा, स्थितिज ऊर्जा में बदल जायेगी, अर्थात् उच्चतम विन्दु पर स्थितिज ऊर्जा प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = 10 जूल
(ii) पृथ्वी तल पर वापस पहुँचने के क्षण पर गेंद की गतिज ऊर्जा उतनी ही होगी जितनी कि गेंद को ऊपर फेंकने के क्षण पर थी (क्योंकि वेग समान होगा), अर्थात् पृथ्वी तल पर वापस पहुँचने के क्षण गेंद की गतिज ऊर्जा = 10 जूल
प्रश्न 10. ऊर्जा के विभिन्न स्वरूप क्या हैं ? उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर- ऊर्जा के विभिन्न स्वरूप निम्न है-
(i) यान्त्रिक ऊर्जा फेंके गये पत्थर, चाबी भी घड़ी की स्प्रिंग, खिने तीर, आदि में निहित ऊर्जा, यान्त्रिक ऊर्जा है।
(ii) ऊष्मीय ऊर्जा- भाप की ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा है।
(iii) प्रकाश ऊर्जा - तापदीप्त अवस्था में पदार्थ से उत्सर्जित ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा होती है।
(iv) चुम्बकीय ऊर्जा एक धारावाही चालक से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र से सम्बद्ध ऊर्जा, चुम्बकीय ऊर्जा होती है।
(v) विद्युत् ऊर्जा - विद्युत् आवेशों में निहित ऊर्जा, विद्युत् ऊर्जा होती है।
(vi) ध्वनि ऊर्जा माध्यम के कणों की कम्पन ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा होती है।
(vii) रासायनिक ऊर्जा-विभिन्न प्रकार के ईंधनों (जैसे, कोयला, मिट्टी का तेल, गैस, पेट्रोल आदि) में रासायनिक ऊर्जा होती है।
(viii) नाभिकीय ऊर्जा जब किसी भारी नाभिक का विखण्डन करते हैं या दो हल्के नाभिकों का संलयन करते हैं तो इन प्रक्रियाओं में मुक्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 11. द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्येता का अर्थ स्पष्ट कीजिए। द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध लिखिए। इसे किसने प्रतिपादित किया
उत्तर- वैज्ञानिक आइन्स्टीन के अनुसार द्रव्यमान को ऊर्जा में तथा ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जा सकता है। यदि । द्रव्यमान को ऊर्जा में बदलें तो ऊर्जा E = mc2 प्राप्त होगी जहाँ c प्रकाश की चाल (3x108 मी/से) है। इसी प्रकार, यदि E ऊर्जा को द्रव्यमान में बदला जाये तो द्रव्यमान E = mc2 प्राप्त होगा। द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध है : E = mc2
इसे वैज्ञानिक आइन्स्टीन ने प्रतिपादित किया था।
प्रश्न 12. शक्ति तथा ऊर्जा में चार अन्तर लिखिए
उत्तर- शक्ति तथा कर्जा में अन्तर
