रस की परिभाषा रस के भेद रस के अंग तथा छंद की परिभाषा और प्रकार

Sachin ahirwar
By -
0

Mp board // रस रस की परिभाषा रस के भेद रस के अंग तथा छंद की परिभाषा और प्रकार 

प्रश्न- रस की परिभाषा देते हुए रस के अंगों को उदाहरण सहित समझाइए? 

उत्तर- परिभाषा-  किसी काव्य को पढ़ने ,सुनने या देखने में पाठक , श्रोता या दर्शक को जिस आनंद की अनुभूति होती है, उसे रस कहते हैं


इसके 4 अंग होते हैं-

स्थाई भाव, विभाव , अनुभाव और संचारी भाव।

उदाहरण- राम को, निहारति जानकी कंकन के नग की , परछाही ।

 यातै  सबै सुधि भूलि गई कर टेकि रही पल टारत नाही।।


 प्रश्न- करुण रस की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए।

उत्तर- सहृदय के हृदय में स्थित शोक नामक स्थाई भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वहाँ करुण रस की उत्पत्ति होती है।

" उदाहरण- ह! वृद्धा के अतुल धन, हा! वृद्धता के सहारे ।

हां! प्राणों के परम प्रिय, हा! एक मेरे दुलारे ॥ 

हां। 

शोभा के सदन सम, हा! रूप लावण्य पारे

हां! बेटा हा! हृदय धन, हा! नेत्र तारे हमारे ॥


प्रश्न - वात्सल्य रस को परिभाषित करते हुए एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर -सहृदय के हृदय में स्थित स्नेह (प्रेम) नामक स्थायी भाव से जब विभाव, अनुभाव और संचारी

भाव का संयोग होता है, तब वहाँ वात्सल्य रस की व्यंजना होती है।

उदाहरण- बच्चे की प्यारी बातें, किसी न देती होंगी,

बालक की सुंदर आँखें, सबको ही प्यारी होंगी

बालक की तोतली बोली, स्नेह जगाती मन में, हंसने रोने की लीला, रोमांच बढ़ता तन में ॥

प्रश्न- दोहा और रोला छंद की पहचान बताते हुए दोनों में एक अंतर लिखिए।


उत्तर- दोहा के विषम चरण में 13 मात्राएँ और सम चरण में 11 मात्राएँ होती हैं। रोला के विषम चरण में 11 और सम चरण में 13 मात्राएँ होती हैं। अंतर दोहा छंद के अंत में लघु गुरु होते हैं जबकि रोला छंद के अंत में दो गुरु होते हैं।



प्रश्न गीतिका छंद के लक्षण उदाहरण सहित दीजिए

उत्तर- इसके प्रत्येक चरण में 14-12 के विराम से 26 मात्राएँ होती हैं अंत में लघु गुरु होता हैं।


ऽ 15 5 15 55 51 115 515


उदाहरण - हे प्रभो आनन्ददाता, ज्ञान हमको दीजिए। शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए ।

लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें।

ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक, वीर व्रतधारी बनें ॥


प्रश्न- हरिगीतिका छन्द के लक्षण उदाहरण सहित लिखिए। 

उत्तर- इसके चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती है। 16 और

12 मात्राओं पर पति

होती है। अन्त में लघु गुरु होता है।


।। 5 15 ।। ऽ।।। 5 11155155 28 मात्राएँ अधिकार खोकर बैठ रहना यह महा दुष्कर्म है।


उदाहरण


न्यायार्थ अपने बन्धु को भी दण्ड देना धर्म है।

इस तत्व पर ही कौरवों से पाण्डवों का रण हुआ।

जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ


॥ विशेष – हरिगीतिका शब्द को चार बार पढ़ने से ही छंद का एक चरण बन जाता है। जैसे हरिगीतिका, हरिगीतिका, हरिगीतिका, हरिगीतिका



प्रश्न- उल्लाला छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।


प्रश्न विशेषण और विशेष्य विशेषण में क्या अंतर ? ?



उत्तर - संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द को विशेषण कहते हैं। विशेषण जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य या तो संज्ञा रूप में होता है या क्रिया रूप में। जब यह संज्ञा रूप में होता है तो इसे संज्ञा विशेषण कहते हैं। जब ये क्रिया रूप में होता है तब इस क्रिया विशेषण कहते हैं ।



एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)