adhyay 6 satta ki sajhedari question in hindi mp board

Sachin ahirwar
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adhyay 6 satta ki sajhedari kaksha dasvin MP Board /  कक्षा दसवीं अध्याय सत्ता की साझेदारी राजनीति विज्ञान / mp board class 10th social science chapter 6 question answer


राजनीति विज्ञान (लोकतांत्रिक राजनीति-2)


अध्याय 6

सत्ता की साझेदारी



महत्वपूर्ण बिंदु


● बेल्जियम यूरोप का एक छोटा देश है, क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा है। इसकी आबादी एक करोड़ से थोड़ी अधिक है यानी हरियाणा की आबादी से करीब आधी 

● बेल्जियम की कुल आबादी का 59 फीसदी हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। शेष 40 फीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं। शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स के 80 फीसदी लोग फ्रेंच बोलते हैं और 20 फीसदी लोग डच भाषा।


● श्रीलंका भारत के पास एक द्वीपीय देश है इसकी आबादी करीब दो करोड़ है यानी हरियाणा के बराबर । श्रीलंका के सामाजिक समूह में 74 फीसदी संख्या सिंहलियों को है तथा तमिलों की संख्या 18 फीसदी है। श्रीलंका की आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फीसदी है।


● 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में तमिलों की अपेक्षा सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली। नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।


● श्रीलंका में दो समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया। यह टकराव गृहयुद्ध में परिणित हुआ जिसमें वहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ उत्पन्न हुई। 2009 में इस गृहयुद्ध का अंत हुआ। श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष भी किया।


● किसी मुल्क या देश में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध सा लगे तो उसे गृहयुद्ध कहते हैं।


● लेबनान में एक नियम के अनुसार देश का राष्ट्रपति मैरोनाइट पंथ का कोई कैथोलिक ही होना चाहिए। सिर्फ सुन्नी मुसलमान ही प्रधानमंत्री हो सकता है। उपप्रधानमंत्री का पर आर्थोडॉक्स ईसाई और संसद के अध्यक्ष का पद शिया मुसलमान के लिए तय हुआ।


● बेल्जियम के संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जब दोनो भाषायी समूह के सांसदों का बहुमत इसके पक्ष में हो। यहाँ की राज्य सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं।


●शासन के विभिन्न अंगों जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसे हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं।


● सत्ता के विभिन्न स्तरों पर भी सत्ता का बँटवारा होता है जैसे पूरे देश के लिए संघ या केन्द्र सरकार, प्रांत या क्षेत्र के लिए राज्य सरकार एवं राज्य सरकार के नीचे स्तर के लिए नगर पालिका और पंचायतें। उच्चतर एवं निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच सत्ता का ऐसा बँटवारा ऊर्ध्वाधर वितरण कहलाता है।


● सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों, मसलन भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है।


●विभिन्न प्रकार के दबाव समूहों और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित एवं नियंत्रित किया जा सकता है।


● लोकतंत्र में लोगों के सामने सत्ता के दावेदारों के बीच चुनाव का विकल्प जरूर रहना चाहिए।


पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर


संक्षेप में लिखें


प्रश्न 1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।


उत्तर- आधुनिक लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी के निम्नलिखित रूप हो सकते हैं


1. सरकार के तीन अंगों में सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में सरकार की समस शक्तियाँ सरकार के किसी एक अंग के पास नहीं होतीं हैं, इनमें सरकार के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की साझेदारी होती है। यह सत्ता का क्षैतिज वितरण (Horizontal distribution of power) कहलाता है क्योंकि इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं। विधायिका कानूनों का निर्माण करती है, कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका उनकी व्याख्या करती है तथा कानून को तोड़ने वालों को दंड देती है इससे सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का सन्तुलन बना रहता है। कोई भी अंग असीमित शक्तियों का प्रयोग नहीं करता और प्रत्येक अंग दूसरे अंगों पर नियंत्रण रखता है।


2. सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी हो सकती है। जिन देशों में संघीय सरकार है उन देशों में संघ तथा राज्यों (प्रांतों) के बीच स्पष्ट रूप से सत्ता का बँटवारा (साझेदारी) कर दिया जाता है। कई देशों में राज्य सरकार से भी नीचे के स्तर पर स्थानीय सरकार की संस्थाओं की स्थापना कर दी जाती है। भारत में ग्राम पंचायतें, नगरपालिकाएँ तथा नगर निगम आदि ऐसी ही संस्थाएँ हैं। उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के ऐसे बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण (Vertical division of power) कहा जाता है।


3. विभिन्न जातीय या भाषाई समूहों में सत्ता की साझेदारी देश के विभिन्न जातीय या भाषाई समूहों के बीच भी सत्ता की साझेदारी के उदाहरण मिलते हैं। बेल्जियम की 'सामुदायिक सरकार' (Community government) इसका स्पष्ट उदाहरण है। इस व्यवस्था के अंतर्गत तीन भाषाई समूहों (डच, फ्रांसीसी तथा जर्मन) के बीच शक्तियों का बँटवारा किया गया है। संविधान के अनुसार यह व्यवस्था की गई है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रांसीसी बोलने वाले मंत्रियों की संख्या बराबर-बराबर होगी। कुछ विशेष कानूनों के निर्माण के लिए प्रत्येक भाषाई समूह के अलग-अलग बहुमत की आवश्यकता होती है। कुछ अन्य देशों में समाज के पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं के लिए स्थान सुरक्षित करने की व्यवस्था की गई है। भारत में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के लिए संसद तथा राज्य विधान मंडलों में स्थान सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई। स्थानीय संस्थाओं में महिलाओं के लिए 1/3 स्थान सुरक्षित करने की भी व्यवस्था की गई है।


4. राजनैतिक दल, दबाव समूह तथा आन्दोलनों के बीच सत्ता की साझेदारी - लोकतंत्र में विभिन्न राजनैतिक दलों, हित-समूहों तथा आन्दोलनों के बीच भी सत्ता की साझेदारी होती है। ऐसा उस समय स्पष्ट दिखाई देता है जब कई दलों की मिली-जुली सरकार (Coalition Government) का गठन किया जाए। ऐसी स्थिति में सत्ता का प्रयोग कई राजनैतिक दलों द्वारा • किया जाता है। दबाव समूह आन्दोलनों, प्रदर्शनों, हड़तालों तथा जनसभाओं आदि के माध्यम से अपने हितों की बात करते तथा उन्हें मनवाते रहते हैं। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि लोकतंत्र में सत्ता में भागीदारी के कई रूप हो सकते हैं।


प्रश्न 2. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ।


उत्तर- लोकतंत्र में सत्ता की भागीदारी के दो कारण दिए जाते हैं- (i) युक्तिपरक कारण, (ii) नैतिक कारण। युक्तिपरक कारण शक्ति के बँटवारे से होने वाले लाभदायक परिणाम बल देते हैं जबकि नैतिक कारण इसकी स्वाभाविक योग्यता पर बल देते हैं।


(i) युक्तिपरक कारण भारत में जाति, धर्म, भाषा, लिंग आदि के आधार पर अनेक सामाजिक समूह मौजूद हैं। ऐसी स्थिति में सत्ता में भागीदारी विभिन्न सामाजिक समूहों के बर तनाव तथा संघर्ष की स्थिति की संभावना को कम करने में सहायता करती है। अनुमति जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों के लिए विधान मंडलों तथा सरकारी नौकरियो में आरक्षण की व्यवस्था इसका स्पष्ट उदाहरण है।


(ii) नैतिक कारण – नैतिकता के आधार पर यह तर्क दिया जाता है लोकतंत्र की आत्मा शक्ति के विभाजन तथा साझेदारी में निहित है। लोकतंत्र की यह मान्यता है कि सत्ताधारी लोग जिन पर शासन करते हैं वे उन लोगों की अवश्य राय लें कि वे किस प्रकार से सरकार का संचालन चाहते हैं; वे सरकार से किस प्रकार के कानून तथा नीतियाँ चाहते हैं। भारत में विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि विधान मंडलों में बैठते हैं और सरकार के कार्यों में भाग लेते हैं, समाज में चल रही असामाजिक गतिविधियों जैसे दहेज प्रथा देह व्यापार, रिश्वतखोरी तथा आतंकवाद से सम्बन्धित कानूनों को प्रायः सभी के द्वारा समर्थन किया जाता है।


प्रश्न 3. इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले।


आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों ? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें।

 थप्पन - जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ वहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।


मधाई - सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।


औसेफ- हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है भले ही वह छोटा है। या उसमें सामाजिक विभाजन न हों।


उत्तर- हम औसेफ के विचार से सहमत हैं जो यह कहता है कि प्रत्येक समाज में सत को भागीदारी आवश्यक है, चाहे वह समाज छोटा ही क्यों न हो और उसमें विभिन्नताएँ न भी हैं, प्रत्येक समाज में जाति-धर्म, भाषा तथा क्षेत्र आदि के आधार पर अलग-अलग समूह होते हैं औ उनके बीच सत्ता की भागीदारी, उनके बीच तनाव तथा झगड़े की संभावना को कम कर देती है। चूकी सरकार द्वारा बनाए गए कानून सभी को प्रभावित करते हैं और उनका पालन करना सभी लिए आवश्यक होता है, इसलिए उनके निर्माण में सभी की भागीदारी होनी चाहिए। यही लोकतंत्र का आधार है।


प्रश्न 4. वेल्जियम में ब्रूसेल्स के निकट स्थित शहर मर्चंटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें।


उत्तर- हमारे विचार में मर्चटेम के महापौर द्वारा बेल्जियम की राजधानी के पास फ्रांसीसी भाषा बोलने पर पाबंदी लगाना बेल्जियम में सत्ता की भागीदारी की व्यवस्था के अनुकूल है। बेल्जियम के संविधान द्वारा संघीय तथा राज्य सरकारों के अतिरिक्त एक तीसरी सरकार सामुदायिक सरकार की स्थापना की व्यवस्था की गई है जिसका चुनाव एक भाषा बोलने वाले समुदाय (डच, फ्रांसीसी अथवा जर्मन) द्वारा किया जाता है चाहे वे देश के किसी भी भाग में रहते हों। इस सरकार • को अपने समुदाय के लोगों के सांस्कृतिक, भाषाई तथा शिक्षा सम्बन्धी मुद्दों के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है। चूँकि ऊपर दी गई व्यवस्था एक ऐसी ही व्यवस्था है, अतः मेयर का ऊपर दिया आदेश उस देश में सत्ता की भागीदारी के लिए की गई व्यवस्था के अनुकूल है।


प्रश्न 5. नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्तिपरक कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें।


"महात्मा गाँधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्ट बिचौलियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मजबूत करेगा ।"


उत्तर- लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए पंचायतों की स्थापना करना तथा उन्हें शक्तियों के प्रयोग में भागीदारी बनाना बहुत आवश्यक है। पंचायतों को शक्तियाँ देने से शासन में कुशलता आएगी और भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी। जब गाँवों में रहने वाले लोग स्वयं अपने विकास की योजनाओं का निर्माण करेंगे और उन्हें स्वयं लागू करेंगे, तो वे उन योजनाओं तथा कार्यक्रम पर अधिक नियंत्रण भी रखेंगे। इस व्यवस्था में बेईमान तथा भ्रष्ट विचौलियों की भूमिका भी समाप्त हो जाएगी। अतः पंचायती राज लोकतंत्र की जड़ों को मज़बूत करेगा।




अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


वस्तुनिष्ठ प्रश्न


प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए 

● सत्ता की साझेदारी ठीक है क्योंकि -



(क) इसमें सामाजिक समूहों के बीच टकराव बढ़ जाता है


(ख) इससे राजनीतिक अस्थिरता सुनिश्चित होती है


(ग) इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है।


(घ) इससे हिंसा हो जाती हैं


उत्तर - (ग) इससे सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। 

 निम्नलिखित में से सत्ता की साझेदारी की किस व्यवस्था को 'नियंत्रण और संतुलन' की व्यवस्था कहते हैं -


(क) सत्ता का क्षैतिज वितरण


(ख) सत्ता का संघीय विभाजन


(ग) सत्ता का अलगाव


(घ) सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता का बँटवारा


(सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण)


उत्तर- (क) सत्ता का क्षैतिज वितरण


● आधुनिक लोकतंत्र व्यवस्थाएँ 'नियंत्रण और संतुलन' की व्यवस्था को अपनाती हैं। सत्ता के क्षैतिज वितरण व्यवस्था पर आधारित सही विकल्प का चुनाव करें


(क) केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय (ख) विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका


(ग) विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच


(घ) विभिन्न सामाजिक दबाव समूहों के बीच


उत्तर- (ख) विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका


● विभिन्न राजनैतिक दलों में सत्ता का बँटवारा होता है, जो प्रतिनिधित्व करता है


(क) विभिन्न प्रत्याशियों का


(ख) समान विचारों का


(ग) विभिन्न विचारधाराएँ और सामाजिक समूहों का


(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं


उत्तर- (ग) विभिन्न विचारधाराएँ और सामाजिक समूहों का


बेल्जियम में सामान्यतया कौन-सी दो भाषाएँ बोली जाती हैं

 (क) फ्रेंच और अंग्रेजी


(ग) फ्रेंच और डच


(ख) डच और अंग्रेजी


(घ) डच और सिंहली


उत्तर- (ग) फ्रेंच और डच


प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए - 

1. सन्.......... में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना।


 2 1956 में ............. में एक कानून पारित किया गया, जिसके तहत सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।


3. बेल्जियम में अल्पसंख्यक………. भाषी लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर थे।


4. सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता की साझेदारी....... .............. विभाजन कहलाती है।


5. वेल्जियम में ……....... सरकार विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी का एक अच्छा उदाहरण है।


उत्तर- 1. 1948, 2. श्रीलंका, 3. फ्रेंच, 4. संघीय, 5. सामुदायिक।


प्रश्न 3. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए


 • सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?


उत्तर- यह संपर्क की संभावनाओं को कम करती है तथा प्रजातांत्रिक भावना के है। अनुकूल


• बेल्जियम ने साझेदारी की सत्ता के सवाल को किस प्रकार से निपटाने की कोशिश की ?


उत्तर- विभिन्न समुदायों की भावनाओं एवं हितों का आदर करके। 


• सामुदायिक सरकार क्या है?


उत्तर- एक सरकार, जिसका शाब्दिक अर्थ है 


● "लोगों द्वारा शासित ।" उच्चतर और निम्न स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे को कहा जाता है?


उत्तर- ऊर्ध्वाधर वितरण ।


● तमिल और सिंहली समुदायों के सम्बन्ध क्यों बिगड़ते चले गए ? 


उत्तर- सिंहली समुदाय द्वारा संविधान और सरकार की नीतियों में तमिलों को समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया।


अति लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न जातीय या एथनीक को परिभाषित कीजिए। 

उत्तर ऐसा सामाजिक विभाजन जिसमें हर समूह अपनी-अपनी संस्कृति को अलग मानता है अर्थात् यह साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है। किसी भी जातीय के सभी सदस्य मानते हैं कि उनकी उत्पत्ति समान पूर्वजों से हुई है और इसी कारण उनही शारीरिक बनावट और संस्कृति एक जैसी है। जरूरी नहीं है कि ऐसे समूह के सदस्य किसी एक धर्म के मानने वाले हों या उनकी राष्ट्रीयता एक ही हो।


प्रश्न- बहुसंख्यकवाद क्या है? उस देश का नाम बताएँ, जिसने इसके कारण शांति खोई ।


उत्तर- वह व्यवस्था जिसमें देश में रहने वाला बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से शासन करे और इसके लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरतों या इच्छाओं की अवहेलना करे, बहुसंख्यकवाद कहलाता है। श्रीलंका वह देश है जिसने इसके कारण शांति खोई । 


प्रश्न- श्रीलंका के कई तमिलों को भारतीय तमिल क्यों कहा जाता है


उत्तर श्रीलंका के कई तमिलों को भारतीय तमिल इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे औपनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिये भारत से लाए गए लोगों की संतान हैं।


प्रश्न- डच और फ्रेंच बोलने वाले लोगों को 'बेल्जियम में सामुदायिक सरकार' में किस प्रकार समायोजित किया


उत्तर- केन्द्रीय सरकार में दोनों समुदायों को बराबरी का हिस्सा देकर 


प्रश्न सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है?


उत्तर- सत्ता की साझेदारी का अर्थ है- सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति का विभाजन या विभिन्न स्तरों पर सरकार में शक्तियों का विभाजन ।


 प्रश्न सत्ता का ऊर्ध्वाधर विभाजन (Vertical Devision of Power) क्या है? 


उत्तर- इस व्यवस्था में सत्ता का विभाजन सरकार के विभिन्न स्तरों-केन्द्रीय, प्रांतीय तथा स्थानीय स्तर के बीच किया जाता है।


प्रश्न सत्ता की साझेदारी में नियंत्रण तथा संतुलन की व्यवस्था क्या है? 


उत्तर- इस व्यवस्था में सरकार का एक अंग दूसरे पर नियंत्रण रखता है। कोई भी अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बनता है।


प्रश्न सत्ता का क्षैतिज विभाजन क्या है?


उत्तर- सत्ता के क्षैतिज विभाजन का अर्थ है. सरकार के विभिन्न अंगों विधायिका, - कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच शक्ति का विभाजन सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहते हुए अपनी-अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं।


प्रश्न गठबंधन सरकार क्या है?


उत्तर- एक से अधिक राजनीतिक पार्टियों द्वारा साथ मिलकर बनाई गई सरकार को गठबंधन सरकार कहते हैं। आम तौर पर गठबंधन में शामिल दल एक राजनीतिक गठजोड़ करते हैं और एक साझा कार्यक्रम स्वीकार करते हैं।


प्रश्न- मेरे स्कूल में हर महीने क्लास मॉनीटर बदल जाता है। क्या आप इसे ही सत्ताकी भागीदारी बता रहे हैं?


उत्तर- हमारे विचार से क्लास मॉनीटर का बदलना ही सत्ता की भागीदारी नहीं है, यह तो केवल एक विद्यार्थी को उसकी योग्यता के आधार पर कुछ जिम्मेदारी सौंपना है।


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न- श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी पर एक नोट लिखें।


उत्तर - श्रीलंका सन् 1948 में एक स्वतंत्र राज्य के रूप में सामने आया बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के लोगों ने अपनी बहुसंख्यों के बल पर शासन पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहा और अल्पसंख्यक तमिल लोगों की उपेक्षा करनी शुरू कर दी। सन् 1956 में एक कानून बनाया गया


जिसके अनुसार तमिल भाषा को नजरअंदाज करते हुए 'सिंहली' को राजभाषा घोषित कर दिया। गया। सरकारी नौकरियों तथा विश्वविद्यालयों में भी 'सिंहली 'लोगों को प्राथमिकता देने को नौति अपनाई गई। संविधान में यह व्यवस्था की गई कि सरकार बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने की नीति अपनाएगी।


इन प्रावधानों के परिणामस्वरूप 'सिंहली' तथा तमिल समुदायों के बीच सम्बन्ध बिग चले गए। अंततः तमिलों द्वारा अपने राजनैतिक दल बनाए गए और तमिल को राजभाषा बनाने, तमिलों को सरकारी नौकरियों में उचित स्थान देने तथा स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए संघर्ष आरम्भ कर दिया। इस गृहयुद्ध में दोनों समूहों के हजारों लोग मारे जा चुके हैं और अनेक परिवर देश छोड़कर अन्य पड़ोसी देशों में जाकर बस गए हैं। आज भी यहाँ पर यही स्थिति जारी है और 'सिंहली' लोग अपने बहुमत के आधार पर तमिलों को सत्ता में भागीदारी देने के लिए तैयार नहीं है। 


प्रश्न विभिन्न स्तरों पर गठित सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी पर टिप्पणी


लिखिए। 

उत्तर- संघीय शासन प्रणाली में शासन की शक्तियों का केन्द्रीय सरकार तथा राज्यों (प्रांतों) की सरकारों के बीच विभाजन किया जाता है। ये विषय जो राष्ट्रीय महत्व के होते हैं और जिनका सम्बन्ध सभी व्यक्तियों से होता है, उन्हें केन्द्रीय सरकार को सौंप दिया जाता है और स्थानीय महत्व के विषयों को राज्य सरकारों के पास छोड़ दिया जाता है। इसके अतिरिक्त कई राज्यों में इन दो स्तरों की सरकारों के नीचे स्तर पर एक अन्य प्रकार की सरकार-स्थानीय सरकार की स्थापना की जाती है, स्थानीय शासन की संस्थाओं जैसे - ग्रामः पंचायत तथा नगरपालिका आदि को स्थानीय विषयों का प्रबंध करने का अधिकार दे दिया जाता है। इन विषयों में पीने का पानी, सड़कों व गलियों का निर्माण तथा मरम्मत, बिजली, स्वास्थ्य तथा सफाई, मेलों तथा मंडियों का आयोजन आदि विषय शामिल होते हैं।


प्रश्न सत्ता के संघीय विभाजन के सिद्धांत की व्याख्या करें।


उत्तर- सत्ता के संघीय विभाजन के सिद्धांत के अंतर्गत सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। जैसे भारत में सरकार क्ने तीन स्तरों केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा होता है। इस प्रकार की व्यवस्था को सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं। इसके अंतर्गत संविधान सरकार के हर स्तर में सत्ता को स्पष्ट रूप से वर्णित करके बताता है। 


प्रश्न-सत्ता का बंटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच हो सकता है।' उदाहरण देकर समझाइए ।


उत्तर सत्ता का मँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों मसलन भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच भी हो सकता है। वेल्जियम में 'सामुदायिक सरकार' इस व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है। कुछ देशों के संविधान और कानून में इस बात का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए। उदाहरण के लिए भारत में संसद और विधायिका में आरक्षित चुनाव क्षेत्र के सिद्धांत को अपनाया जाता है। इस प्रकार यह व्यवस्था अलग-अलग सामाजिक समूहों को हिस्सेदारी देने के लिए की जाती है ताकि लोग खुद को शासन से अलग न समझने लगें।


प्रश्न- सत्ता की साझेदारी के लिए युक्तिपरक और नैतिक कारणों में अंतर बताइए।

उत्तर 


सत्ता की साझेदारी के लिए युक्तिपरक कारण

सत्ता की साझेदारी के लिए नैतिक कारण

1.

युक्ति परख कारण लाभ और हानियों के विचार विमर्श पर आधारित होते हैं।

नैतिक कारण पूर्ण रूप से नैतिकता पर आधारित होते हैं।

2.

यह कारण सामाजिक समूहों के बीच टकराव की संभावना को कम करने में मदद करते हैं।

इन कारणों को लोकतंत्र की मूल भूत आत्मा समझा जाता है।

3.

भारत में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए निर्वाचन क्षेत्रों का आरक्षण युक्ति परक कारण है।

भारत में सत्ता का विकेंद्रीकरण नैतिक कारण है।


प्रश्न सत्ता क्षेतिज वितरण और सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण में क्या अंतर है?

उत्तर सत्ता के क्षेतिज वितरण तथा सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण में अंतर निम्नलिखित हैं



सत्ता क्षेतिज वितरण

सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण


क्षेतिज वितरण के अंतर्गत सरकार के विभिन्न अंगों जैसे कार्यपालिका विधायिका तथा न्यायपालिका में सत्ता का बंटवारा होता है।

ऊर्ध्वाधर वितरण के अंतर्गत सरकार के विभिन्न स्तरों जैसे केंद्र सरकार राज्य सरकार तथा स्थानीय सरकार में सत्ता का बंटवारा होता है।


इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।

इसमें उच्च स्तर तथा निम्न स्तर की सरकारें होती हैं।


इसमें प्रत्येक अंग दूसरे पर नियंत्रण रखता है।

इसमें निम्न स्तर के अंग उच्च स्तर के अंगों के अधीन काम करते हैं।



प्रश्न सत्ता के क्षैतिज वितरण के क्या लाभ (विशेषताएँ) हैं? एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें।


उत्तर- सता के क्षैतिज वितरण के लाभ (विशेषताएँ) निम्न हैं- 

(i) सरकार के विभिन अंगों में समान सत्ता की साझेदारी को सत्ता का क्षैतिज वितरण कहते हैं। 

(ii) इसमें सरकार के विभिन्न अंग विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका एक ही स्तर पर रहकर अपनी अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं। 

(iii) इस प्रकार की सत्ता की साझेदारी में कोई भी एक अगस का असीमित उपयोग नहीं कर सकता है। 

(iv) इस व्यवस्था को नियंत्रण और संतुलन का व्यवस्थ कहते हैं।


उदाहरण के लिए भारत में मंत्रियों तथा सरकारी अफसरों के पास सत्ता होती है परन्तु वे संसद के अधीन कार्य करते हैं। इसी प्रकार न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है. ए न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए कानूनों पर अंकुश रखती है।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न बेल्जियम में शक्ति की साझेदारी के लिए की गई व्यवस्था पर एक निबंध लिखिए।


अथवा


सत्ता की साझेदारी के बेल्जियम मॉडल के बुनियादी तत्व क्या हैं?


उत्तर- बेल्जियम यूरोप में एक छोटा सा देश है जिसकी कुल जनसंख्या लगभग एक करो है परन्तु इस छोटे से देश की जातीय अवस्था बहुत ही अजीब है। देश की कुल आबादी का 59 प्रतिशत भाग फ्लेमिश क्षेत्र में रहता है और डच भाषा बोलता है। 40 प्रतिशत लोग फ्रेंच भाषा बोलते हैं और शेष एक प्रतिशत लोग जर्मन भाषा बोलते हैं। देश की राजधानी ब्रूसेल्स में 80 प्रतिशत लोग फ्रेंच भाषा बोलते हैं जबकि 'डच' भाषा बोलने वाले केवल 20 प्रतिशत हैं।


ऐसी स्थिति में दो बड़े भाषाई समूहों के बीच तनाव का होना स्वाभाविक था परन्तु वहाँ के नेताओं ने इन क्षेत्रीय तथा सांस्कृतिक विविधताओं को स्वीकार करते हुए सत्ता में साझेदारी करने का रास्ता अपनाया, इस उद्देश्य से उन्होंने सन् 1970 तथा 1993 के बीच चार बार अपने संविधान का संशोधन किया ताकि देश के सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रह सकें। बेल्जियम के इस समझौते की कुछ मुख्य बातें या बुनियादी तत्व निम्न हैं


(i) दोनों दलों के लिए मंत्रियों की समान संख्या बेल्जियम संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जब दोनों भाषाई समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो। इस प्रकार किसी एक समुदाय के लोग एक तरफा फैसला नहीं कर सकते।

(ii) राज्य सरकारों को अधिक शक्तियाँ केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई हैं यानी राज्य सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं।


(iii) राज्य तथा केन्द्रीय स्तर पर समान प्रतिनिधित्व ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है। फ्रेंच भाषी लोगों ने ब्रुसेल्स में समान प्रतिनिधित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया क्योंकि डच भाषी लोगों ने केन्द्रीय सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व स्वीकार किया था। 


(iv) सामुदायिक सरकार का गठन केन्द्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है यानी सामुदायिक सरकार इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसला लेने का अधिकार है। इस प्रकार के शक्ति विभाजन से वहाँ पर शासन कार्यकुशल रूप से चलाया जा रहा है।


 प्रश्न सत्ता की साझेदारी क्यों जरूरी है?


अथवा


लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी आवश्यक क्यों है? व्याख्या करें।


उत्तर सत्ता की साझेदारी निम्न कारणों से जरूरी है 

(i) सत्ता की साझेदारी विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव की संभावना को कम कर देती है। 

(ii) यह राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने का एक अच्छा तरीका है।


(iii) बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग सकता है, पर आगे चलकर यह देश की अखंडता के लिए घातक हो सकता है। बहुसंख्यकों का आतंक सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही परेशानी पैदा नहीं करता, अक्सर यह बहुसंख्यकों के लिए भी बर्बादी का कारण बन जाता है। जैसे श्रीलंका, पाकिस्तान ।


(iv) सत्ता की साझेदारी वास्तव में लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र का अर्थ ही होता है कि जो लोग इस शासन व्यवस्था के अंतर्गत हैं, उनके बीच सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढरें से रहें।


(v) सत्ता का विकेन्द्रीकरण अर्थात् राज्य सरकारों, स्थानीय सरकारों का गठन सत्ता की साझेदारी का मुख्य कारण है। एक लोकतांत्रिक सरकार लोगों द्वारा चुनी जाती है। इसलिए उनके साथ परामर्श करने का अधिकार होता है कि वे कैसा शासन चाहते हैं। एक वैध सरकार वही है। जिसमें अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते हैं।



प्रश्न- शासन के विभिन्न अंगों के बीच किस प्रकार सत्ता का बँटवारा होता है? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर- प्रत्येक लोकतांत्रिक सरकार के तीन अंग होते हैं- 

(i) विधायिका, (ii) कार्यपालिका और (iii) न्यायपालिका जो भिन्न-भिन्न कार्य करते हैं। विधायिका कानूनों का निर्माण करती हैं, कार्यपालिका उन्हें लागू करती है तथा न्यायपालिका उनकी व्याख्या करती है। वह उन व्यक्तियों को दंड देती है जो कानून का उल्लंघन करते हैं।


सरकार के अंगों का इस प्रकार विभाजन इस बात को निश्चित करता है कि किसी भी अंग के हाथों में असीमित शक्तियाँ इकट्ठी न हो। प्रत्येक अंग दूसरे अंगों पर नियंत्रण बनाए रखता है जिससे किसी भी अंग के मनमानी करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। विधायिका को कानून बनाने का अधिकार है परन्तु उसके द्वारा पास किया गया कोई भी विधेयक उसी समय कानून का रूप धारण करता है जब कार्यपालिका का अध्यक्ष उसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर देता है। इसी प्रकार मंत्री अपनी नीतियों तथा कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं, जिसे उनका निश्चित कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी उनके विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास करके पद से हटाने का अधिकार होता है। न्यायपालिका को भी अन्य दोनों अंगों के कार्यों की देखभाल करने का अधिकार प्राप्त होता है। यदि कोई सा अंग संविधान के उल्लंघन में कोई कार्य करता है तो न्यायपालिका को उसे असंवैधानिक करार देने तथा रद्द करने का अधिकार होता है। सरकार के तीन अंगों के बीच शक्ति के विभाजन के परिणामस्वरूप शासन सुचारु रूप से चलता रहता है।


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