innate immunity and acquired immunity // Vaccination // Difference Between Antigen and Antibody
difference between innate immunity and acquired immunity
सहज प्रतिरक्षा और उपार्जित प्रतिरक्षा में अंतर लिखिए
अथवा
स्वाभाविक प्रतिरक्षा और उपार्जित प्रतिरक्षा में अंतर बताइए
उत्तर– सहज प्रतिरक्षा और उपार्जित प्रतिरक्षा में अंतर निम्नलिखित है–
सहज प्रतिरक्षा और उपार्जित प्रतिरक्षा में अंतर
टीकाकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?
उत्तर
टीकाकरण(Vaccination):– टीकाकरण वह उपाय है, जिसके द्वारा किसी जीव में किसी रोग के प्रति उपार्जित प्रतिरोधकता को उत्पन्न किया जाता है इस तकनीक में कमजोर रोग कारक को जीव शरीर में प्रवेश करा दिया जाता है तब शरीर का प्रति रक्षात्मक तंत्र प्रेरित होकर इस रोग कारक के प्रति प्रतिरक्षियों का निर्माण करके रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता का विकास कर लेता है और जब वास्तविक रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तब यह प्रतिरक्षी उसे नष्ट कर देते हैं और रोग से जीव की रक्षा हो जाती है रोग कारकों या रोगाणुओं के कृत्रिम रूप से प्रवेश कराने वाले कारक को ही टीका (Vaccine) कहते हैं। किसी रोगाणु के प्रति मनुष्य में पूर्ण प्रतिरोधकता के विकास के लिए दो या तीन टीकों की आवश्यकता पड़ती है। पीके की बाद मैं दी जाने वाली मात्राओं को बूस्टर डोज (Booster dose) कहते हैं। इसी कारण बच्चों को DTP के तीन टीके लगाए जाते हैं अर्थात दूसरे और तीसरे टीके बूस्टर डोज होते हैं। आजकल बच्चों को पोलियो, टिटेनस, डिप्थीरिया, कुकुर खांसी, चेचक या छोटी माता (Small pox) इत्यादि के टीके लगाए जाते हैं।
प्रश्न :–ऐल्कोहॉल/ ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाइएँ।
उत्तर– ऐल्कोहॉल/ ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची निम्नलिखित है–
(1). मस्तिष्क नियंत्रण की शक्ति समाप्त हो जाती है।
(2). गलत- सही सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है मस्तिष्क कि अक्रियता में सारे संबंध भूल जाता है।
(3). रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है।
(4). महंगा होने के कारण आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है।
(5). परिवार विरोध सदैव बनी रहती हैं जिसका प्रभाव अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है।
(6). परिवार में असुरक्षा की भावना महसूस होती है।
(7). इसके कारण मानव में लापरवाही व अस्थिरता पैदा होती है जो समाज के लिए हानिकारक है।
(8) व्यक्ति मानसिक रूप से इनका आदी हो जाता है।
एंटीजेन और एंटीबॉडी में अंतर लिखिए?
एंटीजेन और एंटीबॉडी में अंतर/Difference Between Antigen and Antibody
प्रश्न :- B- कोशिकाओं और T- कोशिकाओं में अंतर लिखिए।
उत्तर:- B-कोशिकाओं और T- कोशिकाओं में अंतर निम्नलिखित है-
B-कोशिका और T- कोशिका में अंतर
प्रश्न :- प्रतिरक्षी पदार्थ क्या है इसकी संरचना, गुण और कार्य लिखिए।
उत्तर:- प्रतिरक्षी(Antibodies):- जब कभी शरीर में कोई बाह्य पदार्थ या रोगजनक का संक्रमण होता है तो वह शरीर के अंदर पहुंचने के पश्चात प्रतिरक्षात्मक तंत्र को उद्दीपित करता है इस बाह्य पदार्थ या रोगजनक को ही प्रतिजन(Antigen) कहते हैं। इन प्रतिजनों की अनुक्रिया में B- कोशिकाएँ रुधिर में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन बनाते हैं जो कि रोगजनक या प्रतिजनों से क्रिया करके उन्हें नष्ट करने का प्रयास करती है इस विशिष्ट प्रोटीन को प्रतिरक्षी(Antibody) कहते हैं।T- कोशिकाएँ,B- कोशिकाओं को इस कार्य में सहयोग करती हैं।
प्रतिरक्षी पदार्थ के गुण(Properties of Antibodies):- प्रतिरक्षी पदार्थ के गुण निम्नलिखित हैं-
(1)एंटीबॉडी सीरम हीमोग्लोबिन में पाई जाने वाली ग्लाइकोप्रोटीन होती है, जो कि B- लिंफोसाइट्स के द्वारा या प्लाज्मा कोशिकाओं के द्वारा विशेष प्रकार के एंटीजेन की अनुप्रिया(Response) के लिए उत्पन्न होती है।
(2) सभी एंटीबॉडी इम्यूनोग्लोबिन होते हैं, लेकिन सभी इम्यूनोग्लोबिन एंटीबॉडी नहीं होते हैं।
(3) यह कोशिका झिल्ली से जुड़ जाती है अथवा स्वतंत्र रहती है।
(4) इसके द्वारा ह्यूमोरल प्रतिरक्षा उत्पन्न होती है
(5) ये मोनोस्पेसिफिक अणु होते हैं क्योंकि यह केवल एक प्रकार की एण्टीजेन डिटर्मिनेन्ट से जुड़ पाते हैं।
प्रतिरक्षीयों के कार्य(Function of Antibodies):- प्रतिरक्षीयों के कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) एंटीबॉडी बाह्य पदार्थ या रोगाणु की सतह को इस प्रकार आवृत कर लेता है कि फैगोसाइट(भक्षकाणु) उसे आसानी से पहचान लेता है। इस प्रक्रिया को ऑप्सोनाइजेशन(Opsonisation) कहते हैं।
(2) एंटीजेनों द्वारा स्त्रावित विषैले पदार्थों को उदासीन कर देता है। इसे उदासीनीकरण(Neutralization) कहते हैं।
(3) एंटीबॉडी, एण्टीजेन के साथ जुड़कर बड़े आकार का अघुलनशील जटिल पदार्थ बनाता है, जिसके कारण एण्टीजेन के विशेष जैविक कार्यों में बाधा पहुंचती है इस प्रक्रिया को एग्लूटिनेशन(Agglutination) कहते हैं।
प्रतिरक्षी पदार्थ की संरचना(Structure of Antibody):- प्रतिरक्षी पदार्थ इम्यूनोग्लोबिन नामक प्रोटीन से बने होते हैं प्रत्येक प्रतिरक्षी अणु में चार-चार पॉलिपेप्टाइड श्रंखला में होती हैं। यह श्रंखलाएँ आपस में डाईसल्फाइड(S-S) बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं। इनमें से दो हल्की(L) एवं दो भारी(H) श्रंखला में होती हैं। भारी श्रृंखला में अमीनो अम्लों की संख्या(400) अधिक होती है। पॉलिपेप्टाइड श्रंखला को H2L2 के रूप में दर्शाया जाता है। अधिकांश प्रतिरक्षी एकलक(Monomer) की भांति कार्य करते हैं प्रतिरक्षी के पॉलिप्टाइड ' Y '(वाई ) के आकार की संरचना बनाते हैं। Y संरचना की निचली सीधी भुजा भारी श्रंखलाओं की बनी होती है जबकि ऊपरी भुजाओं में हल्की एवं भारी दोनों प्रकार की पॉलिपेप्टाइड श्रंखला पाई जाती हैं।
इम्यूनोग्लोबिन पांच प्रकार के होते हैं- IgA, IgD, IgE ,IgG एवं IgM.
