आदर्श गैस // class 11 physics chapter 9 ideal gas mp board

Sachin ahirwar
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इकाई : 9

गैस के अणुगति सिद्धान्त [kinetic theory of gas]

 

आदर्श गैस // class 11 physics chapter 9 ideal gas mp board

इकाई 9 अणुगति सिद्धान्त kinetic theory question answer // इकाई 9 अणुगति सिद्धान्त kinetic theory question answer in hindi  // आदर्श गैसों का व्यवहार और गैसों का अणगति सिद्धान्त question answer

महत्त्वपूर्ण तथ्य

1. के अणुओं का आकार नगण्य होता है तथा उनके बीच आकर्षण बल शून्य होता है। 

2.आदर्श गैस के अणु सदैव अनियमित गति करते रहते हैं तथा उनकी चाल शून्य से अनन्त तक कुछ भी हो सकती है, लेकिन किसी ताप पर एक निश्चित चाल (अधिकतम प्रसम्भाव्य चाल) के अणुओं की संख्या अधिकतम होती है।

3• आदर्श गैस के अणुओं की वर्ग माध्य मूल बात, उसके परमताप के वर्गमूल के अनुक्रमानुपाती होती है।

4• आदर्श गैस के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।

5• आदर्श गैस के अणुओं की माध्य गतिज ऊर्जा, गैस के परमताप के अनुक्रमानुपाती होती है।

6.आदर्श गैस के अणुओं के लिए वर्ग माध्य मूल चाल > माध्य चाल > अधिकतम प्रसम्भाव्य चाल ।

७. स्थानान्तरीय एवं घूर्णन गतिज ऊर्जा प्रति स्वातन्त्र्य कोटि - 1/2kT होती है जबकि प्रति स्वातन्त्र्य कोटि कम्पनिक ऊर्जा kT होती है। 

८. साधारण ताप पर एकपरमाणुक गैस के अणु केवल स्थानान्तरीय गति (स्वातन्त्र्य कोटि = 3) कर सकते हैं, द्वि-परमाणविक गैस के अणु स्थानान्तरीय गति (स्वातन्त्र्य कोटि = 3 ) तथा घूर्णन गति (स्वातन्त्र्य कोटि = 2) कर सकते हैं।

प्रश्न 1. आदर्श गैस किसे कहते हैं ? इसके दो गुण लिखिए। 

उत्तर—वह गैस जो बॉगल तथा चार्ल्स के नियमों का पालन करती है, आदर्श गैस कहलाती है। 

गुण- (i) इस गैस के अणुओं का आकार गैस के आयतन की तुलना में लगभग नगण्य होता है।

(ii) इस गैस के अणुओं के मध्य आकर्षण बल नहीं लगता है। 

प्रश्न 2. आदर्श गैस किसे कहते हैं ? दाब तथा ताप की किन परिस्थितियों में कोई गैस आदर्श मान जा सकती है ? 

उत्तर- वह गैस जो बॉयल तथा चार्ल्स के नियमों का पालन करती है, आदर्श गैस कहलाती है। केवल अल्प दाब तथा उच्च ताप पर ही किसी गैस को लगभग आदर्श माना जा सकता है।

प्रश्न 3. बॉयल का नियम लिखिए। बॉयल के नियम की सीमाएँ लिखिए। 

उत्तर- स्थिर ताप पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का आयतन V, उसके दाब P के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात्

V व्युत्क्रमानुपाती 1/P या PV= नियतांक

सीमाएँ- बॉयल का नियम केवल आदर्श गैसों के लिये ही सत्य है। स्थायी गैसें (जैसे, नाइट्रोजन ऑक्सी हाइड्रोजन आदि) केवल अल्प दाब व उच्च ताप पर ही इसका ठीक तरह पालन करती हैं।

प्रश्न 4. चार्ल्स का नियम लिखिए तथा सिद्ध करो कि नियत दाब पर गैस का आयतन, उसके परमताप के अनुक्रमानुपाती होता है।

उत्तर - चार्ल्स के नियमानुसार, नियत दाब पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने पर इसका आयतन अपने प्रारम्भिक आयतन का लगभग 1/273 वाँ भाग बढ़ जाता है।

प्रश्न 5. दाब का नियम क्या है ? सिद्ध करो कि नियत आयतन पर गैस का दाब इसके परमताप के अनुक्रमानुपाती होता है। 

उत्तर- दाब के नियमानुसार, नियत आयतन पर किसी गैस के निश्चित द्रव्यमान का ताप 1°C बढ़ाने पर उसका दाब अपने 0°C के दाब का 1/273 वाँ भाग बढ़ जाता है।

प्रश्न 6. किसी टायर में वायु भरने पर उसके अन्दर की वायु का आयतन तथा दाब दोनों बढ़ते हैं। क्या यह बॉयल के नियम का उल्लंघन है ? (NCERT)

उत्तर- नहीं। इसका कारण यह है कि बॉयल का नियम केवल तभी लागू होगा जबकि वायु का द्रव्यमान निश्चित रहे। टायर में वायु भरने पर वायु का द्रव्यमान भी बढ़ता है, अतः बॉयल का नियम लागू नहीं होगा।

प्रश्न 7. आदर्श गैस समीकरण लिखिए। 

उत्तर-1 मोल आदर्श गैस के लिए आदर्श गैस समीकरण है: PV = RT या PV= Nk

प्रश्न 8. सार्वत्रिक गैस नियतांक क्या है ? इसका SI मात्रक में मान लिखिए।

उत्तर- सार्वत्रिक गैस नियतांक R = आवागाद्रो संख्या N × बोल्टजमैन नियतांक k

इसका मान 8-31 x 103 जूल/ किग्रा मोल K होता है।

प्रश्न 9. परम शून्य ताप क्या है ? इसकी गणना कीजिए।

उत्तर- परम शून्य ताप वह ताप है जिस पर गैस का आयतन शून्य हो जाता है।

प्रश्न 10. आदर्श गैस के अणुगति सिद्धान्त का निम्नलिखित शीर्षकों में वर्णन कीजिए: 

(i) अणु का आकार, 

(ii) अणुओं के मध्य आकर्षण बल, 

(iii) अणुओं की बर्तन की दीवार से टक्कर। 

उत्तर- (i) आदर्श गैस के अणुओं का आकार (या आयतन) उसके वर्तन के आयतन की तुलना में नगण्य होता है।

(ii) आदर्श गैस के अणुओं के मध्य कोई आकर्षण बल नहीं लगता है।

(iii) अणुओं की बर्तन की दीवार से टक्कर प्रत्यास्थ होती है।

प्रश्न  वास्तविक गैस का व्यवहार आदर्श गैस से किस प्रकार भिन्न है ?

हल: आदर्श गैस सभी दाब व ताप पर आदर्श गैस समीकरण PV= RT का पालन करती है, अत: PV तथा P के बीच खींचा गया ग्राफ P-अक्ष के समान्तर सरल रेखा होता है। इसके विपरीत, वास्तविक गैस केवल अल्प दाब व उच्च ताप पर ही इस समीकरण का पालन करती है। साधारण ताप पर दाव P बढ़ाने पर PV का मान बढ़ने लगता है।

प्रश्न  वास्तविक गैस का व्यवहार आदर्श गैस से भिन्न क्यों है ? 

उत्तर- साधारण ताप व दाब पर वास्तविक गैसों के आदर्श गैस व्यवहार से भिन्न होने के दो प्रमुख कारण हैं : (1) वास्तविक गैसों के अणुओं का आकार परिमित (finite) होता है, (2) वास्तविक गैस में अणु एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। अतः वाण्डर वाल समीकरण व्युत्पन्न करने में उपर्युक्त दोनों तथ्यों को माना जाता है। 

प्रश्न वास्तविक गैसों के लिए वाण्डर वाल अवस्था समीकरण लिखिए। 

उत्तर- 1 मोल वास्तविक गैस के लिए वाण्डर वाल अवस्था समीकरण निम्न है :

प्रश्न . ब्राउनी गति किसे कहते हैं ?

उत्तर- गैस में अणुओं की अनियमित टेड़े मेड़े मार्ग में गति को ब्राउनी गति कहते हैं। इसका कारण यह है कि किसी गैस में अणु सभी दिशाओं में शून्य से लेकर अनन्त तक किसी भी चाल से गतिमान रहते हैं। वे आपस में टकराते रहते हैं, अतः इनका मार्ग अनियमित हो जाता है जिसे चित्र 9.1 में दर्शाया गया है।

प्रश्न स्वातन्त्र्य कोटि से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण देकर समझाइये। 

उत्तर- कोई निकाय जितनी स्वतन्त्र दिशाओं में गति करता है, वह उस निकाय की गति की स्वातन्त्र्य कोटि कहलाती हैं। दूसरे शब्दों में, किसी निकाय की स्थिति तथा गति को व्यक्त करने के लिए आवश्यक परस्पर स्वतन्त्र निर्देशांकों की संख्या को उस निकाय की स्वातन्त्र्य कोटि कहते हैं। उदाहरण के लिए, किसी कण की स्थानान्तरीय गति आकाश में किसी भी दिशा में हो सकती है। अतः कण की स्थानान्तरीय गति की स्वातन्त्र्य कोटि 3 होती है।

प्रश्न  एकपरमाणुक अणु की कौन-सी गति सम्भव है ? इसकी स्वातन्त्र्य कोटियाँ लिखिए। 

उत्तर- एकपरमाणुक अणु में केवल एक परमाणु होता है। यह आकाश (space) में किसी भी दिशा में केवल स्थानान्तरीय गति कर सकता है जिसके वेग को तीन परस्पर लम्बवत् अक्षों के समान्तर विभाजित किया। जाता है अतः इसकी स्वातन्त्र्य कोटियाँ होती हैं।

प्रश्न द्विपरमाणुक अणु की कौन-कौन सी गतियाँ सम्भव है ? इसकी स्वातन्त्र्य कोटियाँ लिखिए। 

उत्तर- द्विपरमाणुक अणु में दो परमाणु एक द्रव्यमान रहित छड़ के सिरों पर लगे हुए माने जाते हैं। साधारण ताप पर यह अणु आकाश में स्थानान्तरीय गति के अतिरिक्त, इसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली तथा परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत्, दो परस्पर स्वतन्त्र अक्ष के परितः घूर्णन गति भी कर सकता है, अतः इसकी 5 स्वातन्त्र्य कोटियाँ होती हैं जिनमें से 3 स्थानान्तरीय गति के लिए तथा 2 घूर्णन गति के लिए है।

प्रश्न  बहुपरमाणुक अणु की कौन-कौन सी गतियाँ सम्भव है ? इसकी स्वातन्त्र्य कोटियाँ लिखिए । 

उत्तर- बहुपरमाणुक अणु में दो से अधिक परमाणु होते हैं। यह अणु आकाश में स्थानान्तरीय गति के अतिरिक्त की तीन परस्पर लम्बवत् अक्षों के परितः घूर्णन कर सकता है, अतः इसकी 6 स्वातन्त्र्य कोटियाँ होंगी (जिनमें से तीन स्थानान्तरीय गति के लिए तथा तीम पूर्णन गति के लिए होती हैं)। 

प्रश्न . ऊर्जा का समविभाजन नियम लिखिए। इसके आधार पर (i) एकपरमाणुक, (ii) द्वि-परमाणुक गैस के अणु की माध्य गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।

प्रश्न  माध्य मुक्त पथ का अर्थ समझाइए ।

उत्तर- गैस में अणुओं की गति अनियमित, तीव्र चाल से सभी दिशाओं में टेढ़े-मेढ़े मार्ग में होती है। गैस के अणु का माध्य मुक्त पथ उस अणु द्वारा दो क्रमिक टक्करों के मध्य तय माध्य दूरी होती है।

 प्रश्न संघट्ट अनुप्रस्थ काट से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर- वह अनुप्रस्थ क्षेत्रफल जिसमें उपस्थित सभी अणुओं से एक गतिशील अणु टकराता है, संघट्ट अनुप्रस्थ काट कहलाता है। यदि आण्विक σ व्यास है तो दो अणुओं के बीच टक्कर केवल तभी सम्भव है जबकि अणुओं के बीच की दूरी σ हो अर्थात् अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल = πσ2 - होगा।

प्रश्न . संघट्ट आवृत्ति से क्या तात्पर्य है ? इसका व्यंजक लिखिए।

उत्तर- प्रत्येक गैस में अणु निरन्तर गतिशील होते हैं तथा ये आपस में एवं वर्तन की दीवार से टकराते रहते हैं। किसी भी अणु द्वारा एक सेकण्ड में टकराने वाले अणुओं की संख्या को उस अणु की संघट्ट आवृत्ति कहते हैं।

यदि गैस में प्रति एकांक आयतन अणुओं की संख्या n, अणु की माध्य चाल c (पे बार) तथा अणु का व्यास σ है तो संघट्ट आवृत्ति =  πσ2nc (पे बार) । 

प्रश्न 1. आदर्श गैस के अणुगति सिद्धान्त की मुख्य परिकल्पनाएँ लिखिए। 

उत्तर- अणुगति सिद्धान्त की परिकल्पनाएँ (1) प्रत्येक छोटे कणों से मिलकर बनी है, अणु कहते हैं।

(ii) किसी गैस के अणु दृढ़, गोलाकार, पूर्णतः प्रत्यास्थ तथा सभी प्रकार से समान होते हैं। इनका आयतन नगण्य होता है।

(ii) अणुओं के बीच किसी भी प्रकार का कोई बल नहीं लगता है।

(iv) गैस के अणु सभी सम्भव दिशाओं में सभी सम्भव चाल से गति करते हैं और आपस में बर्तन को दीवारों से पूर्णतः अनियमित रूप से टकराते रहते हैं, लेकिन इनका वितरण (distribution) सम्पूर्ण वर्तन में एकसमान बना रहता है।

(v) किन्हीं भी दो टक्करों के बीच अणु एक सरल रेखा में एकसमान वेग से गति करता है। किसी भी टक्कर में लगने वाला समय, उस समय की अपेक्षा नगण्य होता है जिसमें अणु अपने मुक्त पथ में गति करता है।

(xi) अणुओं की टक्करें पूर्णतः प्रत्यास्थ होती हैं।

(vii) चूँकि अणुओं का द्रव्यमान अपेक्षाकृत नगण्य होता है तथा इनका वेग अधिक होता है, अतः अणुओं की गति पर गुरुत्वीय बल का प्रभाव नगण्य माना जा सकता है। 

(viii) गैस का दाब, बर्तन की दीवार पर अणुओं के निरन्तर टकराने तथा दीवार को संवेग प्रदान करने के कारण होता है।

प्रश्न 4. स्वातन्त्र्य कोटियों से क्या अभिप्राय है ? (i) एकपरमाणुक तथा (ii) द्विपरमाणुक अणु के लिए स्वातन्त्र्य कोटियों की संख्या ज्ञात कीजिए।

उत्तर- स्वातन्त्र्य कोटियाँ- कोई निकाय जितनी स्वतन्त्र दिशाओं में गति करता है, वह उस निकाय की गति की स्वातन्त्र्य कोटि कहलाती हैं। दूसरे शब्दों में, किसी निकाय की स्थिति तथा गति को व्यक्त करने के लिए आवश्यक परस्पर स्वतन्त्र निर्देशांकों की संख्या को उस निकाय की स्वातन्त्र्य कोटि कहते हैं। उदाहरण के लिए, किसी कण की स्थानान्तरीय गति आकाश में किसी भी दिशा में हो सकती है। अतः कण की स्थानान्तरीय गति की स्वातन्त्र्य कोटि 3 होती है।

(i) एकपरमाणुक अणु में केवल एक परमाणु होता है। यह आकाश (space) में किसी भी दिशा में केवल स्थानान्तरीय गति कर सकता है जिसके बैग को तीन परस्पर लम्बवत अक्ष के समान्तर विभाजित किया जाता है अतः इसकी 3 स्वातन्त्र्य कोटियाँ होती है।

(ii) द्विपरमाणुक अणु में दो परमाणु एक द्रव्यमान रहित छड़ के सिरों पर लगे हुए माने जाते हैं। साधारण ताप पर यह अणु आकाश में स्थानान्तरीय गति के अतिरिक्त, इसके द्रव्यमान केन्द्र से गुजरने वाली तथा परमाणुओं को मिलाने वाली रेखा के लम्बवत्, दो परस्पर लम्बवत् अक्षों के परितः घूर्णन गति करते हैं। अतः अणु की स्वातन्त्र्य कोटियाँ तीन स्थानान्तरीय गति के लिए तथा दो घूर्णन गति के लिए होती है। इस प्रकार, द्विपरमाणुक अणु की कुल स्वातन्त्र्य कोटियाँ - 5 होंगी।

प्रश्न  औसत मुक्त पथ से क्या तात्पर्य है ? इसका व्यंजक लिखिए। 

उत्तर- औसत मुक्त पथ - अणुगति सिद्धान्त के अनुसार, गैस के अणु अति सूक्ष्म आकार के पूर्णतः प्रत्यास्थ गोलों की भाँति व्यवहार करते हैं। ये अणु तीव्र चाल से सभी सम्भव दिशाओं में लगातार अनियमित गति करते रहते हैं। प्रत्येक अणु गति करते हुए अन्य अणुओं से टकराता है। इस प्रकार, किसी एक अकेले अणु का मार्ग भिन्न-भिन्न लम्बाइयों की टेढ़ी-मेढ़ी सरल रेखाओं का मार्ग होता है। दो क्रमिक टक्करों के बीच अणु द्वारा स्वतन्त्रतापूर्वक तय की गयी दूरी को अणु का मुक्त पथ कहते हैं। स्पष्टतः विभिन्न टक्करों के कारण भिन्न-भिन्न मुक्त पथों की लम्बाइयाँ भिन्न-भिन्न होती है। किसी लम्बे समय के लिए अणु के सभी मुक्त पथों के औसत मान को औसत (या माध्य) मुक्त पथ कहते हैं। इसे अक्षर lamda द्वारा व्यक्त करते हैं। अतः औसत मुक्त पथ वह औसत दूरी है जो अणु दो क्रमिक टक्करों के मध्य तय करता है।

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