class 12th business studies important questions / business studies class 12 / important questions and answers in hindi / व्यावसायिक अध्ययन हिंदी माध्यम में 12 वीं नोट्स PDF / व्यावसायिक अध्ययन कक्षा 12 महत्वपूर्ण प्रश्न pdf
प्रश्न 11. विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय में अन्तर लिखिए।
उत्तर- विज्ञापन एवं वैयक्तिक विक्रय में प्रमुख अन्तर निम्न हैं-
प्रश्न 3. पैकेजिंग के क्या लाभ हैं ?
अथवा
पैकेजिंग के चार कार्यों को लिखिए।
उत्तर— पैकेजिंग के प्रमुख लाभ / कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) पैकेजिंग के द्वारा वस्तु को सुरक्षित एवं शुद्ध बनाया रखा जा सकता है।
(2) पैकेजिंग, निर्माता एवं वस्तु की अलग पहचान बनाता है।
(3) पैकेजिंग, वस्तु के विज्ञापन का माध्यम है।
(4) आकर्षक पैकेजिंग वस्तु को क्रय करने हेतु प्रेरित करता है।
(5) पैकेजिंग वस्तु की प्रतिपण बनाये रखने में सहायक होता है।
प्रश्न 1. स्कन्ध विनिमय से क्या आशय है ?
उत्तर—स्कन्ध विनिमय से आशय उस संगठित बाजार से है, जहाँ सूचीबद्ध प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय किया जाता है।
प्रश्न 2. प्रतिभूतियों का सूचीयन से क्या आशय है ?
उत्तर—प्रतिभूतियों के सूचीयन से तात्पर्य उस वैधानिक प्रक्रिया से है जिसके द्वारा कोई कम्पनी किसी स्कन्ध विनिमय में अपने अंशों एवं ऋण-पत्रों, पत्रों आदि के क्रय-विक्रय हेतु अनुमति प्राप्त करने के लिये प्रतिभूतियों को सूचीबद्ध कराती है।
प्रश्न 3. प्रतिभूति सूचीयन के प्रकार बताइए।
उत्तर- प्रतिभूति सूचीयन के दो प्रकार हैं-
(1) नकद सूची,
(2) अग्रिम सूची ।
प्रश्न 4. पूँजी बाजार एवं मुद्रा बाजार में अन्तर समझाइए। (कोई पाँच)
उत्तर—पूँजी बाजार एवं मुद्रा बाजार, बाजार के ही एक अंग हैं और इनमें सूक्ष्म रूप में ही अन्तर किया जाता है। इनमें निम्नलिखित आधारों पर अन्तर किया जा सकता है—-
प्रश्न 2. प्राथमिक पूँजी बाजार क्या है ? इसकी विशेषताएँ बताइए।
अथवा
प्राथमिक पूँजी बाजार की किन्ही पाँच विशेषताएँ का वर्णन कीजिए।
(2019)
उत्तर- प्राथमिक पूँजी बाजार वह बाजार है जहाँ से कम्पनियों एवं औद्योगिक संस्थाओं आदि के अंश, ऋण-पत्र आदि को स्रोत स्थान से निवेशक प्राप्त कर सकते हैं। अन्य शब्दों में, कम्पनियाँ अपनी विभिन्न प्रतिभूतियों का प्रथम बार निर्गमन इन बाजार के माध्यम से करती हैं।
प्राथमिक पूँजी बाजार की विशेषताएँ प्राथमिक पूँजी बाजार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) व्यापारिक एवं व्यावसायिक संस्थाओं के अंशों, ऋण-पत्रों व बॉण्डों आदि का प्रथम बार निर्गमन प्राथमिक बाजार के माध्यम से होता है।
(2) प्राथमिक पूँजी बाजार से संस्थाएँ दीर्घकालीन पूँजी प्राप्त करती हैं।
(3) निवेशकों को प्रत्यक्ष रूप से निर्गमन
(4) पूँजी बाजार से प्राप्त कोषों का विनियोग, स्थायी सम्पत्तियों एवं व्यवसाय के प्रसार में किया जाता है।
(5) यह बाजार निजी पूँजी को सार्वजनिक पूँजी में परिवर्तन करता है।
प्रश्न . औपचारिक सम्प्रेषण किसे कहते हैं ?
उत्तर- औपचारिक सम्प्रेषण या संचार किसी संस्था में विचारपूर्वक स्थापित किया जाता है। जब किसी संगठन में सम्प्रेषण हेतु कर्मचारियों में कार्य क्षेत्र, कर्तव्यों, अधिकारों व पारस्परिक सम्बन्धों की व्याख्या निश्चित कर दी जाती है तो ऐसे सम्प्रेषण को औपचारिक सम्प्रेषण कहते हैं।
प्रश्न . अनौपचारिक सम्प्रेषण किसे कहते हैं ?
(2020)
उत्तर - अनौपचारिक सम्प्रेषण या संचार वह व्यवस्था है जिसमें किसी प्रकार के नियम का पालन न करते हुये संचार स्थापित किया जाता है। इसमें किसी प्रकार का कोई सुव्यवस्थित संचार प्रणाली के पालन किये बगैर सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। इसे अनौपचारिक सम्प्रेषण कहते हैं।
प्रश्न 1. नेतृत्व के लक्षण बताइए। (कोई चार)
अथवा
नेतृत्व की प्रमुख विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर— नेतृत्व की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) अनुयायियों का होना— नेतृत्व की प्रक्रिया में नेता द्वारा एक समूह का प्रतिनिधित्व किया जाता है। समूह के अन्य सदस्य उसके अनुयायी होते हैं।
(2) गतिशील प्रक्रिया — नेतृत्व की प्रक्रिया गतिशील व्यवस्था है जो निरन्तर चलती रहती है। संस्थान की स्थापना से लेकर जब तक संस्थान विद्यमान रहता है, तब तक नेतृत्व की प्रक्रिया चलती रहती है।
(3) आदर्श आचरण— नेता को अपने अनुयायियों के समक्ष एक आदर्श चरित्र एवं आचरण प्रस्तुत करना चाहिए। अनुयायी, नेता के इस प्रकार के आदर्श आचरण द्वारा प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
(4) क्रियाशील सम्बन्ध—नेता तथा उसके अनुयायियों के मध्य क्रियाशील सम्बन्ध होने चाहिए। किसी कार्य के निष्पादन में उसे सबसे आगे खड़ा होकर अनुयायियों का मार्गदर्शन करना चाहिए एवं समस्त उत्तरदायित्व को वदन
प्रश्न 3. मौद्रिक तथा अमौद्रिक अभिप्रेरणाओं में अन्तर स्पष्ट कीजिए। (कोई चार)
अथवा
वित्तीय प्रेरणाओं एवं गैर-वित्तीय प्रेरणाओं में अन्तर लिखिए।
(2019)
उत्तर—मौद्रिक (वित्तीय) तथा अमौद्रिक (गैर-वित्तीय) अभिप्रेरणाओं के अन्तर की चार मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
(1) मौद्रिक अभिप्रेरण वित्तीय प्रतिफल के रूप में होता है, जबकि अमौद्रिक अभिप्रेरण मानसिक व अदृश्य प्रकृति के होते हैं।
(2) मौद्रिक अभिप्रेरण कर्मचारियों की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सहायक होता है, जबकि अमौद्रिक अभिप्रेरण मनोवैज्ञानिक व सामाजिक आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करता है।
(3) मौद्रिक अभिप्रेरण अधिकतर वेतन में वृद्धि, बोनस, लाभांश आदि के रूप में होता है, जबकि अमौद्रिक अभिप्रेरण कार्य प्रशंसा, कार्य सुरक्षा, श्रेष्ठ कार्य दशाएँ आदि के रूप में होती हैं।
(4) मौद्रिक अभिप्रेरण उत्पादन की मात्रा बढ़ाने में सहायक होता है, जबकि अमौद्रिक अभिप्रेरण श्रेष्ठ किस्म के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है।
प्रश्न 2. पर्यवेक्षक कौन है ?
(NCERT
उत्तर- पर्यवेक्षक वह व्यक्ति होता है जो मुख्य रूप से व्यावसायिक क्रिया कलापों को पर्यवेक्षित करता है।
व्यावसायिक अध्ययन कक्षा 12 महत्वपूर्ण प्रश्न pdfप्रश्न 3. अभिप्रेरण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- अभिप्रेरण से तात्पर्य किसी व्यक्ति को या स्वयं को उत्साह एवं लगन के साथ कार्य करने के लिये प्रेरित करना एवं कार्य करने की इच्छा शक्ति को बनाये रखना होता है।
प्रश्न 4. अभिप्रेरण के प्रकार बताइए।
उत्तर- अभिप्रेरण मुख्य रूप से दो प्रकार को होती है-
((1) वित्तीय या मौद्रिक प्रेरणाएँ.
(2) गैर-वित्तीय या अमौद्रिक प्रेरणाएँ।
प्रश्न 5. गैर-वित्तीय प्रेरणा से क्या आशय है ?
उत्तर गैर-वित्तीय प्रेरणा से आशय उन प्रेरणाओं से है जिनका सम्बन्ध मुदा से नहीं होता है। ये प्रेरणाएँ मानसिक पुरस्कार के रूप में होती हैं।
प्रश्न 5. चयन की प्रक्रिया को संक्षेप में समझाइए ।
अथवा
कर्मचारियों के चयन की प्रक्रिया की व्याख्या करें।
(NCERT: 2020)
उत्तर- कर्मचारियों के चुनाव करने की विधि उद्योग के उद्देश्यों एवं पदों की प्रकृति आदि बातों पर निर्भर करती है। साधारणत: निम्नलिखित मध्यस्तरीय पथ अपनाया जाता है जिसका वर्णन निम्न प्रकार है-
(1) आवेदन-पत्र प्राप्त करना बड़े आकार की संस्थाएँ अपने आवेदन पत्र छपवाती हैं। वैसे आवेदन पत्र छपे छपाये बाजार में भी मिलते हैं। प्रार्थीगण आवेदन पत्रों को भरकर निश्चित तिथि तक संस्था के पास जमा कर देते हैं। छपे हुए आवेदन-पत्रों पर प्रार्थनाएँ लेने से यह लाभ है कि सब की सूचनाएँ समान होती है तथा उनकी तुलना एवं जाँच करने में आसानी रहती है।
(2) आवेदन-पत्रों की जाँच करना आवेदन पत्रों की सूचनाओं को रजिस्टर में उतार लेते हैं। सूचनाओं को प्रमाण पत्रों से मिलाते हैं। यदि कोई प्रमाण पत्र नहीं होता है तो उसकी प्रति प्रार्थी से पुनः मँगवाते हैं।
(3) चयन परीक्षा-जिन प्रार्थियों के आवेदन पत्र पूर्ण होते हैं उनको चयन परीक्षा के लिए बुलाया। जाता है। परीक्षाएँ तीन तरह की होती हैं-
(अ) विशिष्ट योग्यता की परीक्षा,
(ब) लिखित परीक्षा,
(स) मनोवैज्ञानिक परीक्षा ।
प्रश्न 4. भर्ती के बाह्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भर्ती के बाह्य स्त्रोत कौन-कौन से हैं ? संक्षेप में किन्हीं चार बिन्दुओं का वर्णन कीजिए।
(2019)
उत्तर—संस्था के बाहर से लोगों की नियुक्ति की जाती है तो उसको नियुक्ति का बाह्य स्रोत कहते हैं। बाह्य स्रोत से भर्ती तब की जाती है जब बड़े पैमाने पर नियुक्तियाँ करनी हो या फिर योग्य व्यक्ति संस्था के अन्तर्गत उपलब्ध नहीं है। बाह्य भर्ती के निम्नलिखित स्रोत हैं
(1) विज्ञापन ऊँचे पदों पर भर्ती के लिये दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन करना एक सरल, सस्ता उपयुक्त साधन है। इसमें धन और समय की बचत होती है।
(2) रोजगार कार्यालय सरकार ने बड़े- बड़े नगरों में रोजगार कार्यालय खोले हैं। इन कार्यालयों में बेरोजगार लोग नौकरी पाने के लिये अपना नाम, योग्यता एवं पता आदि बातें लिखवा देते हैं। संस्था या उद्योग अपनी माँग रोजगार कार्यालय में भेजते हैं। रोजगार कार्यालय के अधिकारी माँग के अनुसार उपयुक्त लोगों के पत्ते आदि संस्था के पास भेज देते हैं। संस्था प्रार्थियों का साक्षात्कार करके उनकी भर्ती कर लेती है।
(3) श्रम संघों द्वारा भर्ती – भारत में श्रमिक संघ बने हुए हैं। ये संघ अपने कार्यालय में बेरोजगार लोगों की सूची रखते हैं। संस्था के अधिकारीगण इस प्रकार की सूची के आधार पर भी भर्ती करते रहते हैं।
प्रश्न 1. अधिकार अन्तरण की परिभाषा दीजिए। इसके तीन तत्त्व समझाइए ।
अथवा
अधिकार के भारार्पण के प्रमुख तत्त्वों को समझाइए।
अथवा
अधिकार अन्तरण के तत्वों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर- अधिकार अन्तरण के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं-
(1) कार्य का आवंटन अधिकार अन्तरण का एक प्रमुख तत्त्व कार्यों का आवंटन है जो विभिन्न कर्मचारियों के मध्य उनकी योग्यता व अनुभव के आधार पर सौंपे जाते हैं और कर्त्तव्यों को स्पष्ट रूप से निश्चित किया जाता है।
(2) अधिकार प्रदान करना विभिन्न कर्मचारियों के मध्य आवंटित किये गये कार्य और कर्त्तव्यों को पूरा करने हेतु उन शक्तियों व सत्ताओं को सौंपना जो दिये हुए कार्य को निभाने के लिये आवश्यक है, अधिकार सौंपना (प्रदान करना) होता है।
(3) उत्तरदायित्व का निर्धारण कार्य बाँटना व अधिकार प्रदान करने के साथ अधीनस्थ को उसके लिये उत्तरदायी ठहराया जाना आवश्यक है, ताकि वे अधिकारों का दुरुपयोग न कर सके एवं उन्हें उनके दिये गये कार्य की सीमा तक उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।
