mannu bhandari ka jeevan parichay / premchand lekhak parichay in hindi / छायावादी काव्य की कोई दो विशेषताएं लिखिए / रहस्यवाद की विशेषताएं लिखिए
मन्नू भंडारी का जीवन परिचय हिंदी में
मन्नू भंडारी की दो रचनाएं-
मन्नू भंडारी की प्रमुख रचनाएं-
मन्नू भंडारी का साहित्य में स्थान -
मन्नू भंडारी का विवाह किससे हुआ-
मन्नू भंडारी का निधन कब हुआ-
मन्नू भण्डारी
जीवन परिचय - श्रीमती मन्नू भण्डारी नई कहानी आंदोलन की सशक्त कथालेखिका हैं। इनका जन्म 3 अप्रैल, 1931 ई. को भानपुरा, मध्यप्रदेश में हुआ था। इनका मूल नाम महेंद्र कुमारी था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर में हुई थी। इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. किया । सुप्रसिद्ध कथाकार राजेन्द्र यादव इनके पति थे।
रचनाएँ- 'एक प्लेट सैलाब', 'मैं हार गई', 'आपका बन्टी', 'बिना दीवार का घर'।
भाषा-शैली भण्डारी जी ने स्वतंत्रता के बाद रचनाएँ करना आरम्भ किया है। इस कारण उनकी भाषा भी पात्रानुकूल तथा वातावरण के अनुसार है। भाषा के समान मन्नू भण्डारी जी की शैली सरल व सुबोध है जिसमें कृत्रिमता नाममात्र को भी नहीं है। विषय के अनुकूल उनकी शैली का रूप बदलता रहता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में वर्णनात्मक शैली, वार्तालाप शैली, मुहावरेदार शैली, व्यंग्यात्मक शैली आदि का प्रयोग किया है।
साहित्य में स्थान- मन्नू भण्डारी एक भारतीय लेखिका हैं जो विशेषतः 1950 से 1960 के बीच अपने लेखन के लिए जानी जाती हैं। उन्हें हिन्दी की श्रेष्ठ लेखिका होने का गौरव प्राप्त है।
premchand lekhak parichay in hindi
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प्रेमचंद का जीवन परिचय-
प्रेमचंद की भाषा शैली-
प्रेमचंद का साहित्य परिचय
प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय pdf
प्रेमचन्द
जीवन परिचय - प्रेमचन्द का वास्तविक नाम धनपतराय था। प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई, 1880 ई. को वाराणसी जिले के लमही ग्राम में हुआ था। शिक्षा विभाग में नौकरी करते हुए ये निरीक्षक हो गए। किन्तु नौकरी के कारण इनका लेखन कार्य नहीं हो पाता था। इसलिये नौकरी छोड़कर इन्होंने अपना जीवन-साहित्य साधना में लगा दिया। 8 अक्टूबर, 1936 ई. को इनकी मृत्यु हो गई।
रचनाएँ- गोदान, कर्मभूमि, पंच परमेश्वर, बूढ़ी काकी, बड़े घर की बेटी।
भाषा-शैली- उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द्र जी पहले उर्दू में लिखते थे परन्तु बाद में हिन्दी में लिखना आरंभ किया इसीलिए उनकी भाषा सरल, सीधी-सादी, तथा मुहावरेदार है। इनकी शैली मँजी हुई, स्वाभाविक एवं आकर्षक है। सरस और प्रवाहपूर्ण शैली का प्रयोग इनकी कहानियों में रोचकता प्रदान करता है।
साहित्य में स्थान- हिन्दी साहित्य जगत में प्रेमचन्दजी एक श्रेष्ठ कहानीकार एवं उपन्यास सम्राट के रूप में जाने जाते हैं।
प्रश्न -छायावादी काव्य की विशेषताएं लिखिए
उत्तर छायावादी काव्य की विशेषताएँ निम्नलिखित है-
1.व्यक्तिवाद की प्रधानता - छायावाद में व्यक्तिगत भावनाओं की प्रधानता है। वहाँ कवि अपने सुख-दुख एवं हर्ष-शोक को ही वाणी प्रदान करते हुए खुद को अभिव्यक्त करता है।
2.जीवन दर्शन - छायावादी कवियों ने जीवन के प्रति भावात्मक दृष्टिकोण को अपनाया है। इसका मूल दर्शन सर्वात्मवाद है। सम्पूर्ण जगत मानव चेतना से स्पंदित दिखाई देता है।
3.अभिव्यंजना शैली- छायावादी कवियों ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लाक्षणिक, प्रतीकात्मक शैली को अपनाया है। उन्होंने भाषा में अभिधा के स्थान पर लक्षणा और व्यंजना का प्रयोग किया है।
4.प्रकृति का मानवीकरण- प्रकृति पर मानव व्यक्तित्व का आरोप छायावाद की एक प्रमुख विशेषता है। छायावादी कवियों ने प्रकृति को अनेक रूपों में देखा है। कहीं उसने प्रकृति को नारी के रूप में देखकर उसके सूक्ष्म सौन्दर्य का चित्रण किया है।
1.सौन्दर्यानुभूति- यहाँ सौन्दर्य का अभिप्राय काव्य सौन्दर्य से नहीं, सूक्ष्म आंतरिक सौन्दर्य से है। बाह्य सौन्दर्य की अपेक्षा आंतरिक सौन्दर्य के उद्घाटन में उसकी दृष्टि अधिक रमती है। सौन्दर्योपासक कवियों ने नारी के सौन्दर्य को नाना रंगों का आवरण पहनाकर व्यक्त किया है।
प्रश्न- रहस्यवाद की विशेषताएं लिखिए
उत्तर -रहस्यवाद की विशेषताएँ ,
1. अलौकिक सत्ता के प्रति प्रेम- इस युग की कविताओं में अलौकिक सत्ता के प्रति जिज्ञासा, प्रेम व आकर्षण के भाव व्यक्त हुए हैं।
2. परमात्मा से विरह-मिलन का भाव - आत्मा को परमात्मा की विरहिणी मानते हुए उससे विरह व मिलन भाव व्यक्त किए गए हैं।
3. जिज्ञासा की भावना - सृष्टि के समस्त क्रियाकलापों तथा अदृश्य ईश्वरीय सत्ता के प्रति जिज्ञासा के भाव प्रकट किए गए हैं।
4. प्रतीकों का प्रयोग - प्रतीकों के माध्यम से भावाभिव्यक्ति की गई है।
