adhyay 4 jan sangharsh aur aandolan question answer in hindi mp board

Sachin ahirwar
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अध्याय 5

जन-संघर्ष और आंदोलन




★ महत्वपूर्ण बिंदु


● लोकतंत्र में अमूमन हितों और नजरियों का टकराव चलता रहता है। इस द्वंद्व को अभिव्यक्ति संगठित तरीके से होती है। जिनके पास सत्ता होती है उन्हें परस्पर विरोधी माँगों और दबावों में संतुलन बैठाना पड़ता है।


● आम नागरिक विभिन्न तरीकों तथा संगठनों के सहारे लोकतंत्र में अपनी भूमिका नि


● सन् 2006 के अप्रैल माह में नेपाल में एक विलक्षण जन-आन्दोलन उठ खड़ा हुआ। 

● सन् 2005 की फरवरी में राजा ज्ञानेंद्र ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया।


● संसद को सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक 'सेवेन पार्टी अलायंस' (सप्तदलीय गठबंधन एस.पी.ए.) बनाया और नेपाल की राजधानी काठमांडू में चार दिन के 'बंद' का आह्वान किया।


● सन् 2008 में नेपाल में राजतंत्र को खत्म किया और नेपाल संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। 2015 में यहाँ एक नये संविधान को अपनाया गया।


● बोलिविया में लोगों ने पानी के निजीकरण के खिलाफ एक सफल संघर्ष चलाया।


● बोलिविया लातिनो अमरीका का एक गरीब देश है। विश्व बैंक ने यहाँ की सरकार पर नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति से अपना नियंत्रण छोड़ने के लिए दबाव डाला।


●  सरकार ने कोचचा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना इजाफा कर दिया। 

● लोकतंत्र का जन-संघर्ष के जरिए विकास होता है।


●  लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबंदी के जरिए होता है। 

●  संगठित राजनीति के कई माध्यम हो सकते हैं। ऐसे माध्यमों में राजनीतिक दल, दबाव समूह और आंदोलनकारी समूह शामिल हैं।


● नेपाल के जन संघर्ष में राजनीतिक दलों के अलावा अनेक संगठन शामिल थे। 

●  पानी के निजीकरण के खिलाफ बोलिविया में जो आंदोलन चला उसकी अगुआई किसी राजनीतिक दल ने नहीं की। इस आंदोलन का नेतृत्व 'फेडेकोर' (FEDECOR) नामक संगठन ने किया।

●  दबाव समूह सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। 

● दबाव समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट होते हैं। 

● नेपाल में हुए जन संघर्ष को 'लोकतंत्र के लिए दूसरा आंदोलन' कहा गया था।


● हित समूह अथवा लोक कल्याणकारी समूह किसी खास हित के बजाय सामूहिक हित का प्रतिनिधित्व करते हैं।


● 'बामसेफ' सरकारी कर्मचारियों का एक संगठन है जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है।


● राजा को अपने आदेशों को वापस लेने के लिए बाध्य करना, नेपाल में उठे लोकतंत्र के आंदोलन का विशिष्ट उद्देश्य था। 

● नर्मदा नदी पर बनाए जा रहे सरदार सरोवर बाँध के कारण लोग विस्थापित हुए। नर्मदा बचाओ आंदोलन इसी खास मुद्दे को लेकर शुरू हुआ। ०


● कभी-कभी आंदोलन राजनीतिक दल का रूप अख्तियार कर लेते हैं। उदाहरण के लिए 'विदेशी' लोगों के विरुद्ध छात्रों ने असम आंदोलन' चलाया।


● दबाव समूहों और आन्दोलनों के कारण लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं। लोकतंत्र में शासकों के ऊपर दबाव डालना कोई अहितकर गतिविधि नहीं बस इसका अवसर सबको प्राप्त हो।


● लोकतंत्र में अक्सर सरकारें धनी और ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं ऐसे में जनसाधारण के हित-समूह तथा आन्दोलन इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका निभाते हैं।


पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न


प्रश्न 1. दबाव समूह और आंदोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं? 

उत्तर- दबाव समूह और आंदोलन राजनीति को निम्न प्रकार से प्रभावित करते हैं


1. दवाव समूह और आंदोलन अपने लक्ष्य तथा गतिविधियों के लिए जनता का समर्थन और सहानुभूति हासिल करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए सूचना अभियान चलाना बैठक आयोजित करना अथवा अर्जी दायर करने जैसे तरीकों का सहारा लिया जाता है। ऐसे अधिकतर समूह मीडिया को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं ताकि उनके मसलों पर मीडिया ध्यान दे।


2. ऐसे समूह अक्सर हड़ताल अथवा सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने जैसे उपायों का सहारा लेते हैं। मजदूर संगठन कर्मचारी संघ तथा अधिकतर आंदोलनकारी समूह अक्सर ऐसी युकतियों का इस्तेमाल करते हैं कि सरकार उनकी मांगों की तरफ ध्यान देने के लिए बाध्य 


3. दबाव समूह अथवा आंदोलनकारी समूह के कुछ व्यक्ति सरकार को सलाह देने समितियों और आधिकारिक निकाय में शिरकत कर सकते हैं।


4. कुछ मामलों में दबाव समूह राजनीतिक दलों द्वारा ही बनाए गए होते हैं अथवा उनका नेतृत्व राजनीतिक दल के नेता करते हैं। कुछ दबाव समूह राजनीतिक दल की एक शाखा है रूप में काम करते हैं। उदाहरण के लिए भारत के मजदूर संगठन और छात्र संगठन या तो बड़े राजनीतिक दलों द्वारा बनाए गए हैं अथवा उनकी संबद्धता राजनीतिक दलों से है। ऐसे दबाव समूहों के अधिकतर नेता अमूमन किसी न किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और नेल होते हैं।


प्रश्न 2. दबाव समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैर होता है? वर्णन करें।


उत्तर अधिकांशतया दबाव समूह और आंदोलन का राजनीतिक दलों से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता। दोनों परस्पर विरोधी पक्ष लेते हैं। फिर भी इनके बीच संवाद कायम रहता है और सुलह की बातचीत चलती रहती है। आंदोलनकारी समूहों ने नए-नए मुद्दे उठाए हैं और राजनीतिक दलों ने इन मुद्दों को आगे बढ़ाया है। राजनीतिक दलों के अधिकतर नए नेता दबाव समूह अथवा आंदोलनकारी समूहों से आते हैं।


प्रश्न 3. दबाव समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?


उत्तर- दबाव समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में निम्न प्रकार से उपयोगी साबित होती हैं


1. आम नागरिकों की जरूरतों से सरकार को अवगत कराते हैं ये दबाव समूह शासकों के ऊपर दबाव डालकर लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकारें अक्सर प और ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जनसाधारण के हित-समूह इस अनुचि दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका निभाते हैं और आम नागरिकों की जरूरतों और समस्य से सरकार को अवगत कराते हैं।


2. सरकार की निरंकुशता पर रोक लगाते हैं सरकार पर यदि कोई एक समूह अपने हित में नीति बनाने के लिए दबाव डालता है तो दूसरा समूह उसके प्रतिकार में दबाव डालेगा कि नीतियाँ उस तरह से न बनाई जाएँ। इससे सरकार निरंकुश नहीं हो पाती, ये समूह सरकार पर अंकुश बनाए रखते हैं तथा सरकार को ये भी पता चलता रहता है कि समाज के विभिन्न वर्ग क्या चाहते हैं। इससे परस्पर विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बैठाना तथा शक्ति संतुलन करना संभव होता है।


प्रश्न 4. दबाव समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।


उत्तर- समान आर्थिक हितों वाले वर्ग सरकार से अपनी मांगें मनवाने तथा हित पूरे करवाने के लिए संगठन बनाकर सरकार पर दबाव डालने का काम करते हैं तथा सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। इन्हें दबाव समूह कहते हैं। ये दबाव समूह किसी खास वर्ग के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। मजदूर संगठन, व्यावसायिक संघ और वकीलों, डॉक्टरों और शिक्षकों के निकाय इस तरह के दबाव समूह के उदाहरण हैं। ऐसे दबाव समूहों का सरोकार पूरे समाज का नहीं बल्कि अपने सदस्यों की बेहतरी और कल्याण करना होना है।


प्रश्न 5. दबाव समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है?

उत्तर - 


दबाव समूह

दबाव समूह

1.

दबाव समूह का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करने अथवा हिस्सेदारी करने का नहीं होता।

राजनीतिक दलों का लक्ष्य सत्ता पर प्रत्यक्ष नियंत्रण करके सरकार बनाना या विरोधी दल के रूप में सरकार पर नियंत्रण रखना होता है।

2.

दबाव समूह का निर्माण तब होता है जब समान पेशे, हित, आकांक्षा अथवा मत के लोग एक समान उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट हों।

राजनीतिक दल के निर्माण के लिए केवल समान राजनीतिक विचारधारा के लोगों का एकजुट होना जरूरी है चाहे उनके आर्थिक हित अलग-अलग हों।

3.

दबाव समूहों को जनता के समर्थन की आवश्यकता नहीं होती।

राजनीतिक दलों को चुनाव के समय जनता का सामना करना पड़ता है।

4.

दबाव समूह दलीय राजनीति में सीधे भाग नहीं लेते लेकिन वे राजनीतिक दलों पर

असर डालना चाहते हैं।

राजनीतिक दल सीधे दलीय राजनीति में भाग लेना चाहते हैं।



अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न


वस्तुनिष्ठ प्रश्न


प्रश्न 1. सही विकल्प का चयन कीजिए.


● नेपाल में आत्यंतिक राजतंत्र से संवैधानिक राजतंत्र के संक्रमण को किस राज द्वारा स्वीकार किया गया


(क) राजा वीरेंद्र द्वारा


(ख) राजा ज्ञानेंद्र द्वारा


(ग) राजा मानवेंद्र द्वारा


(घ) राजा हरेंद्र द्वारा


उत्तर- (क) राजा वीरेंद्र द्वारा


● सन् 2006 में नेपाल में उठे विलक्षण लोकप्रिय जन आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है


(क) राजतंत्र का सुदृढीकरण


(ग) लोकतंत्र की बहाली


(ख) लोकतंत्र का उन्मूलन


(घ) तानाशाही की स्थापना


उत्तर- (ग) लोकतंत्र की बहाली

● निम्नलिखित में से नेपाल में प्रजातंत्र की पुनस्थापना के संघर्ष में किन संगठनों ने भाग लिया।


(क) सात दलों का संगठन


(ख) माओवादी


(ग) मजदूर संगठन व उनके परिसंघ 


(घ) उपर्युक्त सभी


उत्तर- (घ) उपर्युक्त सभी


● बोलिविया में हुए जनसंघर्ष के मुख्य परिणाम क्या थे 


(क) बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ करार निरस्त करना


(ख) जलापूर्ति नगर पालिका को सौंपना


 (ग) फिर से पुरानी दरें लागू करना


(घ) उपर्युक्त सभी


उत्तर- (घ) उपर्युक्त सभी


• लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान कैसे और किसके द्वारा होता है


(क) जनता की व्यापक लामबंदी 

(ख) संसद 

(घ) उपर्युक्त सभी

(ग) न्यायपालिका


उत्तर- (घ) उपर्युक्त सभी


प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए


1. फेडेकोर…………..था।


2. नर्मदा बचाओ आन्दोलन का उद्देश्य ............ बाँध को बनने से रोकना था। 


3. जनसामान्य के हित समूह…………. का समर्थन करते हैं।


4. दबाव समूह के समान किसी आंदोलन में कई तरह के समूह शामिल रहते हैं जो किसी खास मुद्दे पर केन्द्रित होते हैं…………कहलाते हैं। 

5. बामसेफ……..के खिलाफ अभियान चलाता है। 


उत्तर- 1. जन-सामान्य का हित समूह, 2. सरदार सरोवर, 3. सामूहिक हित, 4. आन्दोलनकारी समूह, 5. जातिगत भेदभाव। 


प्रश्न 3. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए


1. नेपाल में जन आंदोलन कब प्रारंभ हुआ था? 

उत्तर सन् 2006 के अप्रैल माह में।


2. राजा ज्ञानेन्द्र के विरुद्ध अप्रैल 2006 में आंदोलन प्रारंभ होने का मुख्य कारण क्या था?


उत्तर- सन् 2005 में जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग करना। 


3. बोलिविया का जनसंघर्ष किस नाम से जाना जाता है?

उत्तर- बोलिविया का जलयुद्ध।


अति लघुतरीय प्रश्न


प्रश्न अप्रैल 2006 के लोकप्रिय नेपाल आंदोलन का उद्देश्य क्या था के


अथवा


नेपाल के राजा ज्ञानेंद्र द्वारा लिए गए किसी एक गैर-लोकतांत्रिक कदम का उल्लेख करें।


उत्तर- इस लोकप्रिय आंदोलन का उद्देश्य लोकतंत्र को पुनः स्थापित करना था। फरवरी 2005 में राजा ज्ञानेन्द्र ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ कर दिया था तथा जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया था।


प्रश्न सेवेन पार्टी अलायंस ( सप्तदलीय गठबंधन एस.पी.ए.) क्या था ? 

उत्तर- सेवेन पार्टी अलायंस नेपाल की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों द्वारा मिलकर बनाया या एक गठबंधन था। इसे नेपाल में लोकतंत्र को पुनः स्थापित करने के लिए बनाया गया था। 


प्रश्न- बोलिविया के कोचबंदा शहर में जल युद्ध क्यों शुरू हुआ था?


उत्तर- बोलिविया सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना इजाफा कर दिया जिससे लोगों में असंतोष फैल गया। 


प्रश्न- फेडेकोर क्या है?


उत्तर- फेडेकोर एक संगठन है जिसने बोलिविया के कोचबंबा शहर में पानी के निजीकरण के खिलाफ बोलिविया में जो आंदोलन चला उसकी अगुआई की।


प्रश्न- जन सामान्य हित-समूह से क्या तात्पर्य है? 


उत्तर- ऐसे संगठन जो समाज के किसी एक तबके के ही हितों का प्रतिनिधित्व नहीं करते बल्कि सर्वसामान्य के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे- फेडेकोर और बामसेफ ।


प्रश्न वर्ग विशेष हित समूह से क्या तात्पर्य है? 

उत्तर- वर्ग विशेष हित-समूह अमूमन समाज के किसी खास हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके उदाहरण मजदूर संगठन, व्यावसायिक संघ आदि हैं।


प्रश्न बामसेफ क्या है? वह किस तरह का अभियान चलाता है?


उत्तर- बामसेफ सरकारी कर्मचारियों का संगठन है जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है। यह संगठन जातिगत भेदभाव के शिकार अपने सदस्यों की समस्याओं को देखता है।


लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न- नेपाल के लोगों का संघर्ष पूरे विश्व के लोकतंत्र के लिए किस प्रकार प्रेरणा का स्रोत बना ? स्पष्ट कीजिए।


उत्तर - नेपाल में 1990 के दशक में लोकतंत्र कायम हुआ, जिसमें राजा को औपचारिक रूप से प्रधान बनाया गया था। लेकिन वास्तविक सत्ता का प्रयोग जनता के द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथों में था। राजा वीरेंद्र की हत्या के बाद राजा ज्ञानेंद्र ने सन् 2005 में निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया, जिसके खिलाफ सन् 2006 के अप्रैल माह में जन-आंदोलन उठ खड़ा हुआ। संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक 'सेवेन पार्टी अलायंस' गठबंधन बनाया और नेपाल की राजधानी काठमांडू में चार दिन के बंद का आह्वान किया। इस प्रतिरोध ने जल्दी हो अनियमितकालीन बंद का रूप ले लिया। लोग लाखों को संख्या में सड़कों पर उतरने लगे।

अंत में राजा को आंदोलनकारियों के आगे झुकना पड़ा और जनता की तीनों माँगों को मानने के लिए बाध्य हुआ। एस.पी.ए ने गिरिजा प्रसाद कोईराला को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्र चुना। संसद फिर से बहाल हो गई और संसद ने कई नए कानून पारित किए।


नेपाल के लोगों के संघर्ष ने राजा को झुकने के लिए बाध्य किया और 2008 में नेपाल एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इससे पूरे विश्व के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए यह संदेश गया कि संघर्ष से लोकतांत्रिक व्यवस्था को हासिल किया जा सकता है और किसी भी तानाशाह सरकार को झुकाया जा सकता है।


प्रश्न- जन संघर्ष से किस प्रकार लोकतंत्र का विकास होता है?


उत्तर - लोकतंत्र का विकास जनसंघर्ष के जरिए होता है। यह संभव है कि कुछ महत्वपूर्ण फैसले आम सहमति से हो जाएँ और इनके पीछे किसी तरह का संघर्ष न हो फिर भी, अपवाद ही कहा जाएगा। लोकतंत्र को निर्णायक घड़ी अमुमन वही होती है जब सत्ताधारियों और सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वालों के बीच संघर्ष होता है। ऐसी घड़ी तब आती है जब कोई देश लोकतांत्रिक दिशा में कदम बढ़ा रहा हो, उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।


प्रश्न उदाहरण सहित बताएं कि 'आंदोलन' राजनीतिक दल का रूप कब ले लेते हैं? 

उत्तर - कभी-कभी आंदोलन राजनीतिक दल का रूप धारण कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, विदेशी लोगों के विरूद्ध छात्रों ने 'असम आंदोलन' चलाया और जब इस आंदोलन की समाप्ति हुई तो इस आंदोलन ने 'असम गण परिषद्' का रूप ले लिया। सन् 1930 और 1940 के

दशक में तमिलनाडु में समाज-सुधार आंदोलन चले थे। डी.एम. के. और ए.आई. ए.डी.एम. के. जैसी पार्टियों की जड़ें इन समाज-सुधार आंदोलनों में देखी जा सकती हैं।


प्रश्न दबाब समूहों और आंदोलनकारी समूहों में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - 


दबाव समूह

आंदोलनकारी समूह

1.

दबाव समूह संगठित होते हैं।

आंदोलनों में संगठन ढीला-ढाला होता है।

2.

दबाव समूह में फैसले औपचारिक ढंग से लिए जाते हैं।

आंदोलनों में फैसले अनौपचारिक ढंग से लिए जाते हैं और ये फैसले लचीले होते हैं।

3.

दबाव समूह लामबंद होते हैं।

आंदोलन जनता की स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर होते हैं।



दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



प्रश्न- बोलिविया का जलयुद्ध क्या था ? इसका क्या परिणाम हुआ ?


उत्तर- बोलिविया में लोगों ने पानी के निजीकरण के खिलाफ एक सफल संघर्ष चलाया। बोलिविया लैटिन अमरीका का एक गरीब देश है। विश्व बैंक ने यहाँ की सरकार पर नगर पालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति से अपना नियंत्रण छोड़ने के लिए दबाव डाला। सरकार ने कोचचंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने पानी की कीमत में चार गुना वृद्धि कर दी जिससे लोगों का पानी का मासिक बिल 1,000 रुपये तक जा पहुँचा। इसके फलस्वरूप जन-संघर्ष भड़क उठा।


सन् 2000 की जनवरी में श्रमिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा सामुदायिक नेताओं के और एक गठबंधन ने आकार ग्रहण किया और शहर में चार दिन की कामयाब हड़ताल की। सरकार बातचीत के लिए तैयार हुई और हड़ताल वापस ले ली गई। फरवरी में फिर आंदोलन शुरू हुआ लेकिन इस बार पुलिस ने बर्बरतापूर्वक दमन किया। अप्रैल में एक और हड़ताल हुई और सरकार ने 'मार्शल लॉ लागू कर दिया, लेकिन जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारियों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। सरकार को आंदोलनकारियों की सारी मांगें माननी पड़ीं। बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ किया गया करार निरस्त कर दिया गया और पुनः नगर पालिका को सौंपकर पुरानी दरें कायम कर दी गई। इस आंदोलन को 'बोलिविया के जलयुद्ध' के नाम से जाना जाता है।


प्रश्न- 'दबाव समूहों, हित समूहों तथा आंदोलनों के नकारात्मक तथा सकारात्मक दोनों प्रकार के प्रभाव होते हैं।' व्याख्या करें।


उत्तर - नकारात्मक प्रभाव -


(i) ये किसी एक वर्ग विशेष के लोगों की रक्षा करते हैं।


(ii) ये लोकतंत्र के मूलभूत ढाँचे को कमजोर करते हैं क्योंकि ये अक्सर किसी एक वर्ष अथवा किसी एक मुद्दे पर काम करते हैं जबकि लोकतंत्र केवल एक वर्ग के हितों की रक्षा नहीं। करता बल्कि सभी के कल्याण को देखता है।


(iii) ऐसे समूह सत्ता का इस्तेमाल तो करना चाहते हैं लेकिन जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं। राजनीतिक दलों को चुनाव के समय जनता का सामना करना पड़ता है लेकिन ये समूह जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते।


(iv) संभव है कि दबाव समूहों और आंदोलनों को जनता से समर्थन अथवा धन न मिले। कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि दबाव समूहों को बहुत कम लोगों का समर्थन प्राप्त हो

लेकिन उनके पास धन अधिक हो और इसके बूते अपने संकुचित एजेंडे पर वे सार्वजनिक बहस का कारण जोड़ने में सफल हो जाएँ।


(v) कभी-कभी ये दवाव समूह राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर देते हैं।


सकारात्मक प्रभाव


(i) दबाव समूहों और आंदोलनों के कारण लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हुई हैं। शासकों के ऊपर दबाव डालना लोकतंत्र में कोई अहितकर गतिविधि नहीं बशर्ते इसका अवसर सबको प्राप्त हो ।


(ii) सरकारें अक्सर घोड़े-से धनी और ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जनसाधारण के हित समूह तथा आंदोलन इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका निभाते हैं और आम नागरिक की जरूरतों तथा सरोकारों से सरकार को अवगत कराते हैं।


(iii) जब विभिन्न हित-समूह सक्रिय हों तो कोई एक समूह समाज के ऊपर अपना प्रभुत्व कायम नहीं कर सकता। यदि कोई एक समूह सरकार के ऊपर अपने हित में नीति बनाने के लिए दबाव डालता है तो दूसरा समूह इसके प्रतिकार में दबाव डालेगा कि नीतियाँ उस तरह से न बनाई जाएँ।

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