भौतिक जगत तथा मापन // Bhotik Jagat Or Mapan // mp board

Sachin ahirwar
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कक्षा 11 भौतिकी अध्याय 1 नोट्स PDF  // भौतिक जगत तथा मापन pdf in hindi // physical world and measurement class 11 notes pdf download

इकाई 1

भौतिक जगत तथा मापन 

[Physical World and Measurement]

भौतिक जगत तथा मापन  // Bhotik Jagat Or Mapan // mp board




महत्त्वपूर्ण तथ्य / प्रयुक्त सूत्र

1.भारतीय वैज्ञानिक डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति थे। 

2.एक दूसरे से स्वतन्त्र मूल राशियाँ हैं लम्बाई, द्रव्यमान, समय, ताप, ज्योति तीव्रता, विद्युत धारा एवं पदार्थ की मात्रा। इनके S. I मात्रक क्रमशः मीटर किलोग्राम सेकण्ड केल्विन, कंण्डेला, ऐम्पियर तथा मोल हैं। अन्य सभी राशियों को इनके द्वारा व्यक्त किया जा सकता है तथा उन्हें व्युत्पन्न गशियाँ कहते है।

  1. किसी राशि का विमीय सूत्र, उसे नापने वाली मापन पद्धति पर निर्भर नहीं करता है।

4.एक राशि का परिमाण अत्यन्त सूक्ष्म से लेकर अत्यन्त दीर्घ तक कुछ भी हो सकता है, अतः उस राशि के अनेक मात्रक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए दूरी के मात्रक है फर्मी माइक्रोन, नैनोमीटर, किलोमीटर, मीटर, प्रकाश वर्ष आदि।

5.किसी राशि की माप में जितने अधिक सार्थक अंक होते हैं, वह उतनी हो अधिक शुद्ध होती है। किसी राशि की माप अपने वास्तविक मान के जितना समीप होती है, वह राशि उतनी अधिक यथार्थ होती है।

प्रश्न 1 भौतिकी क्या है?

उत्तर- भौतिकी वह विषय है, जिसमें प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें द्रव्य एवं ऊर्जा का तथा इनके बीच आपस में आदान प्रदान का अध्ययन करते हैं।

Or

भौतिकी प्राकृतिक विज्ञान की एक शाखा है जो पदार्थ, ऊर्जा और उनके पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन करती है. यह एक बुनियादी विज्ञान है जो अन्य सभी विज्ञानों के लिए bace प्रदान करता है. भौतिकी का अध्ययन ब्रह्मांड के मूलभूत principals को समझने और नए tecnology को विकसित करने के लिए किया जाता है.

भौतिकी की कुछ प्रमुख शाखाएँ हैं:

  • यांत्रिकी
  • ऊष्मगतिकी
  • विद्युत चुम्बकत्व
  • प्रकाशिकी
  • ध्वनिकी
  • क्वांटम यांत्रिकी
  • सापेक्षतावाद.

प्रश्न 2. भौतिकी में तीन नवीनतम् आविष्कारों के नाम लिखिए।

उत्तर- (i) लेसर (ii) कम्प्यूटर तथा (iii) अतिचालकता।

प्रश्न 3. भौतिक नियमों के दो गुण लिखिए। 

उत्तर- (1) भौतिकी के मूल नियम सार्वत्रिक होते हैं।

(ii) भौतिकी के नियम, समय तथा स्थान के साथ परिवर्तित नहीं होते हैं।

प्रश्न 4. ऐसे दो नियमों के नाम लिखिए जो सभी परिस्थितियों में लागू होते हैं।

उत्तर- (i) ऊर्जा संरक्षण का नियम तथा

(ii) न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम। 

पुश्न 5. नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले एक भारतीय वैज्ञानिक का नाम लिखिए ।

उत्तर- सी वी रमन । 

प्रश्न 6. मूल मात्रक से क्या अभिप्राय है? समझाइए 

उत्तर- वह मात्रक जो किसी भी अन्य मात्रक पर निर्भर नहीं करता है, अर्थात जिसे किसी भौतिक राशि के मात्रक में बदला या उससे सम्बन्धित नहीं किया जा सकता है, मूल मात्रक कहलाता है। उदाहरण के लिये, मीटर, किलोग्राम, सैकण्ड केल्विन, केण्डेला, ऐम्पियर तथा मोल मूल मात्रक हैं।

 प्रश्न 7. व्युत्पन्न मात्रक किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए 

उत्तर- वह मात्रक जो मूल मात्रकों पर निर्भर करता है, अर्थात् जिसे मूल मात्रकों की सहायता से व्यक्त किया जा सकता है, व्युत्पन्न मात्रक कहलाता है। उदाहरण के लिये, क्षेत्रफल लम्बाई × चौड़ाई, अतः क्षेत्रफल का मात्रक मोटर व्युत्पन्न मात्रक है।

प्रश्न 8. S. 1. पद्धति में लम्बाई का मात्रक तथा इसकी परिभाषा लिखिए।

उत्तर- S. I पद्धति में लम्बाई का मानक मात्रक मीटर है। पेरिस में अन्तर्राष्ट्रीय वाट-माप कार्यालय में रखी प्लैटिनम- इरीडियम मिश्र धातु की एक छड़ पर 0°C पर लगे दो चिन्हों के बीच की दूरी को 1 मीटर माना गया है।

प्रश्न 9. S. I. पद्धति में द्रव्यमान का मात्रक तथा इसकी परिभाषा लिखिए। 

उत्तर- S. I. पद्धति में द्रव्यमान का मानक मात्रक किलोग्राम है। एक मानक किलोग्राम, पेरिस के अन्तर्राष्ट्रीय कार्यालय में रखे प्लैटिनम- इरीडियम धातु के एक विशेष बेलन (जिसका व्यास 39 मिमी तथा ऊंचाई 39 मिमी है) का द्रव्यमान है।

प्रश्न 10. S. I. पद्धति में समय का मात्रक लिखिए तथा उसे परिभाषित कीजिए।

उत्तर- समय का मानक मात्रक सेकण्ड है। एक वर्ष के एक मध्यान्ह से दूसरे मध्यान्ह की माध्य अवधि का 1/86400वाँ भाग 1 सेकण्ड कहलाता है। 

प्रश्न 11. S. I. पद्धति में ताप का मात्रक क्या है? इसे परिभाषित कीजिए। 

उत्तर- ताप का मानक मात्रक केल्विन है। शुद्ध जल के एक वायुमण्डलीय दाब पर क्वथनांक तथा हिमांक के अन्तर के 100वें भाग को एक केल्विन कहते हैं।

प्रश्न 12. S. 1. पद्धति में ज्योति तीव्रता का मात्रक क्या है ? इसकी परिभाषा लिखिए।

 उत्तर-SI पद्धति में ज्योति तीव्रता का मात्रक केण्डेला है। इसका संकेत cd है। एक केण्डेला, प्लैटिनम के गलनांक (1173°C) पर रखी मानक पूर्ण कृष्णिका के खुले सिरे के वर्ग सेमी क्षेत्रफल से एकांक पन कोण में 1 सेकण्ड में उत्सर्जित प्रकाशीय ऊर्जा का 1/60वाँ भाग है

प्रश्न 13. S. l. पद्धति में धारा का मात्रक लिखिए तथा इसे परिभाषित कीजिए।

उत्तर- S. I पद्धति में धारा का मात्रक ऐम्पियर है। इसका संकेत A है। एक ऐम्पियर वह धारा है, जी परस्पर समान्तर तथा एक मीटर की दूरी पर वायु या निर्यात में रखे दो चालकों में एक ही दिशा में बहाने पर प्रत्येक चालक पर 2 x 10-7 न्यूटन प्रति मीटर आकर्षण बल आरोपित करती है। 

प्रश्न 14. एक ही भौतिक राशि के विभिन्न मात्रक क्यों होते हैं?

उत्तर- इसका कारण यह है कि एक ही भौतिक राशि का परिमाण अत्यन्त सूक्ष्म से अत्यन्त दीर्घ तक कुछ भी सम्भव है, अतः इसे सुविधाजनक मात्रक में व्यक्त करने के लिए विभिन्न मात्रक उपयोग में लाये जाते हैं।

प्रश्न 15. विमीय समीकरण से क्या समझते हो ?

उत्तर- किसी भौतिक राशि के व्युत्पन्न तथा मूल मात्रकों के बीच सम्बन्ध बताने वाले समीकरण को विमीय समीकरण कहते हैं। उदाहरण के लिए, क्षेत्रफल [ MOL2T0], क्षेत्रफल का विमीय समीकरण है। 

Or

प्रश्न 16. विमाहीन राशियों से क्या तात्पर्य है ? ऐसी राशियों के चार उदाहरण दीजिए। 

उत्तर-ऐसी राशियाँ, जिनकी कोई विमा नहीं होती हैं (जैसे, शुद्ध अनुपात तथा शुद्ध संख्या), • विमाहीन राशियाँ कहलाती है। उदाहरण-विकृति, पॉयसन अनुपात, आपेक्षिक घनत्व, कोण

प्रश्न 17. विमीय समांगता (या ऐक्यता) का सिद्धान्त क्या है ? 

उत्तर-विमीय समांगता (या ऐक्यता) के सिद्धान्त के अनुसार, केवलजोड़ी अथवा घटायी जा सकती हैं।

प्रश्न 18. विमीय समीकरण के चार उपयोग लिखिए।

उत्तर-विमीय समीकरण के निम्नलिखित चार उपयोग हैं-

(i) किसी भौतिक राशि का मात्रक ज्ञात करना।

(ii) मात्रकों को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में परिवर्तित करना

 (iii) विमीय सन्तुलन द्वारा किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना।

(iv) विमीय सन्तुलन द्वारा विभिन्न भौतिक राशियों में सम्बन्ध स्थापित करना ।

प्रश्न 19. विमीय समीकरण की सीमाएँ बताइए।

उत्तर- (i) सूत्र के विमाहीन नियतांक का मान ज्ञात नहीं किया जा सकता है।

(ii) किसी समीकरण या सूत्र में एक सो विमाओं की दो या दो से अधिक राशियों आने पर उनमें अन्तर नहीं कर सकते हैं

(iii) यदि कोई राशि, मूल राशिय M. L. तथा T से अधिक राशियों पर निर्भर करती है, तो इस विधि से समीकरण का रूप स्थापित नहीं किया जा सकता है।

(iv) इस विधि से उन समीकरणों का विश्लेषण सम्भव नहीं है, जिनमें sinӨ , cosӨ , logx आदि पद उपस्थित होते हैं।

(v) इस विधि से ऐसे समीकरण की स्थापना करना सम्भव नहीं होता है, जिसमें एक और अथवा दोनों और दो या अधिक पद जुड़े या घंटे होते हैं।

प्रश्न 20. किसी माप की शुद्धता एवं यथार्थता में क्या अन्तर है ?

उत्तर- किसी माप में जितने अधिक सार्थक अंक होते हैं (अर्थात उसके मापन यन्त्र की अल्पतमांक जितनी कम होती है, वह माप उतनी अधिक शुद्ध होती है। किसी माप में उसके वास्तविक मान से जितना कम अन्तर होता है, वह माप उतनी अधिक यथार्थ होती है।

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