अध्याय 8 लोकतंत्र की चुनौतियां questions and answers | लोकतंत्र की चुनौतियां Class 10 | loktantra ki chunautiyan question answer mp board |
अध्याय 8
लोकतंत्र की चुनौतियां
★ महत्वपूर्ण बिंदु-
● लोकतंत्र में चुनौतियों का अर्थ है, एक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुनिश्चित बनाने के लिए आने वाली विभिन्न समस्याएँ।
● हम आमतौर पर उन्हीं मुश्किलों को चुनौती कहते हैं जो महत्त्वपूर्ण तो हैं लेकिन जिन पर जीत भी हासिल की जा सकती है।
● अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है।
● लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव 'लोकतांत्रिक सुधार' या 'राजनीतिक सुधार' कहे जाते हैं।
● लोकतांत्रिक सुधार तो मुख्यतः राजनीतिक दल ही करते हैं। इसलिए, राजनीतिक सुधारों का जोर मुख्यतः लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए।
● सूचना का अधिकार लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का एक अच्छा उदाहरण है।
● सामाजिक असमानता का अर्थ है, समाज में जाति, धर्म, लिंग, रंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेद-भाव का होना, समाज में ऊँच-नीच की भावना होना और सभी को समान न समझना।
● आर्थिक विषमता (असमानता) का अर्थ है, धनी तथा निर्धन के बीच बहुत बड़ा अंतर होना।
● जब किसी धर्म के लोग अपने आपको दूसरे धर्मों के ऊपर समझते हैं तथा अपने धर्म के लिए दूसरे धर्मो को नीचा दिखाते हैं तो यह प्रवृत्ति सांप्रदायिकता कहलाती है।
● जब समाज का मुख्य आधार जाति हो तथा एक जाति के लोग अपनी जाति को श्रेष्ठ तथा अन्य जातियों को हीन समझें, तो यह स्थिति जातिवाद कहलाती है।
● वह वर्ग जो धर्म, जाति, भाषा या किसी अन्य आधार पर किसी विशेष प्रदेश या प्रदेशों में बहुमत में न हो, अल्पसंख्यक कहलाता है।
● राज्य का अपना कोई धर्म न हो तथा राज्य में रहने वाले व्यक्ति स्वेच्छा से कोई भी धर्म अपना सकें तथा राज्य धर्म के आधार पर नागरिकों में भेदभाव न करें तो यह स्थिति धर्म निरपेक्षता कहलाती हैं।
● क्षेत्रीयवाद एक ऐसी भावना है जिसके अंतर्गत देश के किसी क्षेत्र के लोग भाषा, जाति, धर्म, भौगोलिक स्थिति या सामाजिक आर्थिक कारणों से अपने को अलग समझते हुए अपने क्षेत्र के विकास के लिए प्रयत्नशील रहते हैं।
● वह स्थिति जिसमें लोगों को अक्षरों का ज्ञान न हो अर्थात् वे पढ़े-लिखे न हों, निरक्षरता कहलाती है।
● अच्छा लोकतंत्र वह है जिसमें शासक को जनता चुने और शासक जनता की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप काम करें।
★ पाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर ★
प्रश्न- एक अच्छे लोकतंत्र की दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- एक अच्छे लोकतंत्र की दो विशेषताएं निम्नलिखित हैं
1. लोकतांत्रिक शासन में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है, इसलिए वह संविधान के नियमों एवं कानूनों को जनता के हितों को ध्यान में रखकर बनाती है।
2. एक अच्छा लोकतंत्र बहुसंख्यक समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की भी रक्षा करता है।
★■◆ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न ◆■★
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
• लोकतंत्र की चुनीतियों के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा वाक्यांश अन्य तीन वाक्यांशों से भिन्न है -
(क) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
(ख) विस्तार की चुनौती
(ग) लोकतंत्र का फैलाव
(घ) लोकतंत्र को मजबूत करना
उत्तर (ग) लोकतंत्र का फैलाव
• निम्न में से किस चुनौती का सम्बन्ध देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ जाने तथा लोकतांत्रिक सरकार गठित करने से है -
(क) लोकतंत्र को मजबूत करना
(ख) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
(ग) विस्तार की चुनौती
(घ) स्वतंत्रता की चुनौती
उत्तर- (ख) बुनियादी आधार बनाने की चुनौती
• निम्नलिखित में से कौन-सा लोकतंत्र को मजबूत बनाने का सूचक है
(क) लोकतांत्रिक सरकार बनाना
(ख) सरकार को नियंत्रण में रखने के लिए सेना को दूर रखना
(ग) लोकतांत्रिक संस्थाओं और लोगों की भागीदारी को मजबूत बनाना
(घ) दल राजनीति में महिलाओं को शामिल करना
उत्तर- (ग) लोकतांत्रिक संस्थाओं और लोगों की भागीदारी को मजबूत बनाना
• लोकतांत्रिक सुधार के संदर्भ में निम्न में से कौन-सा वाक्यांश सत्य है -
(क) लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में विभिन्न कानून
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न परिवर्तन लाने हेतु प्रस्ताव का विरोध
(ग) विभिन्न लोकतांत्रिक कानून बनाने हेतु एक प्रक्रिया
(घ) लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव
उत्तर- (घ) लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव
• दुनिया के कितने भाग में लोकतांत्रिक शासन नहीं है -
(क) लगभग आधे भाग में
(ख) लगभग एक तिहाई भाग में
(ग) लगभग एक चौथाई भाग में
(घ) लगभग दो-तिहाई भाग में
उत्तर- (ग) लगभग एक-चौथाई भाग में
• निम्नलिखित में से कौन-सा एक्ट लोगों को सरकार की गतिविधियों की जानकारी पाने की शक्ति देता है
(क) राइट टू इन्टेंशन एक्ट
(ख) राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट
(ग) राइट टू ट्रांसपेरेन्सी एक्ट
(घ) राइट टू इनक्लाइनेशन एक्ट
उत्तर- (ख) राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
1. वर्तमान शासकों को बदलने के लिए ........ का प्रयोग किया जाता है।
2 लोकतंत्र में …….... महत्वपूर्ण है।
3. ………..में महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है।
4. लिट्टे (LTTE) शब्द............. देश से सम्बन्धित है।
5. नेल्सन मंडेला ने…………देश में सक्रिय राजनीति से संन्यास लिया ।
उत्तर - 1. चुनाव, 2. जाति, धर्म, लिंग आदि पर आधारित भेदभाव को समाप्त करना, सऊदी अरब, 4. श्रीलंका, 5. दक्षिण अफ्रीका।
प्रश्न 3. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए
• हर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने किसी न किसी रूप में कौन-सी चुनौती है?
उत्तर- लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती ।
• लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव या प्रस्ताव क्या कहलाते हैं?
उत्तर राजनैतिक सुधार।
• आर.टी.आई. क्या है?
उत्तर- राइट टू इन्फोर्मेशन एक्ट ।
● कौन-सा कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय बनाने की शक्ति देता है? उत्तर- आर.टी.आई.
● भारत में लोकतंत्र के संचालन की दो चुनौतियाँ बताइए।
उत्तर- 1. सामाजिक व आर्थिक असमानता, 2. गरीबी।
प्रश्न 4. सत्य / असत्य का चयन कीजिए
1. विस्तार की चुनौती के अंतर्गत लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी
इलाकों, सभी सामाजिक समूहों तथा विभिन्न संस्थाओं में लागू करना शामिल है।
2. लोकतंत्र की चुनौतियाँ परिवर्तन की संभावनाओं के साथ जुड़ी हैं।
3. लोकतांत्रिक सुधार को लोकतांत्रिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। 4. राजनीतिक सुधारों के संदर्भ में कानून महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. "विधिक-संवैधानिक बदलावों को ला देने भर से लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता।"
6. सत्ता और सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
उत्तर- 1. सत्य, 2. असत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य ।
◆ अति लघु उत्तरीय प्रश्न ◆
प्रश्न सभी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
उत्तर- सभी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं को शासन के बुनियादी सिद्धांतों को म इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करने की चुनीतियों का करना पड़ता है।
प्रश्न- चुनौतियों के उन प्रमुख प्रकारों का उल्लेख करें, जिनका सामना विश्व के अधिकांश लोकतंत्र कर रहे हैं। उत्तर - 1. लोकतांत्रिक अधिकारों को चुनौती, 2. स्वतंत्र तथा न्यायोचित चुनावों को चुनौती, 3. विविधताओं को समेटने की चुनौती, 4. विकेन्द्रीकरण की चुनौती।।
प्रश्न क्या विश्व के सभी देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित है?
उत्तर- नहीं, आज भी विश्व के एक चौथाई हिस्से में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है।
प्रश्न विस्तार की चुनौती से क्या अभिप्राय है? (8
उत्तर- विस्तार की चुनौती से अभिप्राय है, लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को राष्ट्र के सभी क्षेत्रों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना।
प्रश्न लोकतांत्रिक सुधार शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर- लोकतंत्र को विभिन्न चुनौतियों के बारे में सभी सुझाव अथवा प्रस्ताव लोकतांत्रिक सुधार कहलाते हैं।
प्रश्न लोकतांत्रिक सुधारों को किस प्रकार लागू किया जा सकता है
उत्तर लोकतांत्रिक सुधारों को कानूनों द्वारा लोगों के सहयोग से लोकतांत्रिक आन्दोलनों तथा समाचार-पत्रों व टेलीविजन आदि साधनों से लागू किया जा सकता है।
प्रश्न लोकतांत्रिक सुधार मुख्यतः किनके द्वारा किये जाते हैं एवं इन सुधारों में ज्यादा जोर किस पर होना चाहिए?
उत्तर- मुख्यतः राजनीतिक दल ही लोकतांत्रिक सुधार करते हैं। इसलिए, राजनीतिक सुधारों का जोर लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए।
प्रश्न लोकतांत्रिक सुधारों को लागू करने के वैध तरीके क्या हैं ?
उत्तर- लोकतांत्रिक सुधारों को लागू करने के वैध तरीके हैं संविधान में संशोधन करके कानून द्वारा समाज में प्रचलित कुप्रथाओं को समाप्त करना तथा अच्छी प्रथाओं को लागू करना ।
प्रश्न - सूचना का अधिकार कानून 'क्या है? इसका क्या महत्व है?
उत्तर- सूचना का अधिकार कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का एक अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है। तथा कठोर दंड देने वाले मौजूदा कानूनों की मदद करता है।
■ लघु उत्तरीय प्रश्न ■
प्रश्न 'लोकतंत्र की चुनौतियों' शब्द से क्या तात्पर्य है? लोकतंत्र की विभिन्न चुनौतियों के दो उदाहरण दें।
उत्तर चुनौती के शाब्दिक अर्थ है एक चुनौतीपूर्ण परिस्थिति जिसमें किसी प्रकार की प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। लोकतंत्र में चुनौती का अर्थ है- एक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुनिश्चित बनाने के लिए आने वाली विभिन्न मुश्किलें चुनौती कोई समस्या नहीं है। हम आमतौर पर उन्हीं मुश्किलों को चुनौती कहते हैं जो महत्वपूर्ण तो हैं लेकिन जिन पर जीत भी हासिल की जा सकती है। अगर किसी मुश्किल के भीतर ऐसी संभावना है कि उस मुश्किल से छुटकारा मिल सके तो उसे हम चुनौती कहते हैं। एक बार जब हम चुनौती से पार पा लेते हैं तो हम पहले की अपेक्षा कुछ कदम आगे बढ़ जाते हैं।
उदाहरण के लिए, लोकतंत्र के विस्तार को चुनौती और लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती।
प्रश्न- एक लोकतंत्र के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण योग्यताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर- एक लोकतंत्र के लिए आवश्यक कुछ महत्वपूर्ण योग्यताएँ निम्न हैं 1. लोगों द्वारा चुने गए शासक ही सारे प्रमुख फ़ैसले लें।
2. चुनाव में लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलना चाहिए। ये विकल्प और अवसर हर किसी को बराबरी में उपलब्ध होने चाहिए।
3. विकल्प चुनने के इस तरीके से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए काम करे। चाहिए ताकि लोकतांत्रिक
4. लोकतंत्र के उन आदर्शों को इसमें सम्मिलित किया जाना और गैर-लोकतांत्रिक सरकारों में अंतर किया जा सके।
प्रश्न लोकतंत्र की व्यापक चुनौतियों की चर्चा कीजिए।
अथवा
'विभिन्न देशों को विभिन्न प्रकार की चुनीतियों का सामना करना पड़ता है।' उदाहरण देकर कथन को सिद्ध कीजिए।
उत्तर- 1. बुनियादी चुनौतियाँ अनेक ऐसे देश हैं जिन्हें बुनियादी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है अर्थात् यहाँ गैर-लोकतांत्रिक शासन होता है चीन, कोरिया, सऊदी अरब जैसे देश बुनियादी चुनौतियों का सामना करते हैं। इसमें मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक सरकार शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था स्थापित करने की चुनौती है।
2. विस्तार की चुनौती भारत तथा अमेरिका जैसी अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें शामिल हैं -
(क) लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना।
(ख) राज्य तथा स्थानीय सरकारों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाना।
(ग) महिलाओं तथा अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना।
(घ) कम से कम निर्णयों को लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रखना।
3. लोकतंत्र को मजबूत बनाने की चुनौती- हर लोकतंत्र के सामने किसी न किसी रूप में यह चुनौती है ही।
(क) उन राजनीतिक दलों तथा अन्य संस्थाओं को मजबूत बनाना जो लोकतंत्र को बढ़ावा देते हैं।
(ख) सरकार में अमीरों तथा शक्तिशाली लोगों के प्रभाव तथा नियंत्रण को कम करना।
(ग) स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियाँ प्रदान करना।
प्रश्न सऊदी अरब में महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं और धार्मिक अल्पसंख्यकों को धार्मिक आजादी नहीं है।' ऐसी स्थिति में सऊदी अरब सरकार के सामने आने वाली चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर- सऊदी अरब विस्तार की चुनौती का सामना कर रहा है क्योंकि लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों और सभी सामाजिक समूहों में लागू करना शामिल है। महिलाओं को मत देने की अनुमति न देकर सरकार लगभग आधी आबादी (नागरिकों) की उपेक्षा कर देती है।
महिलाओं को सार्वजनिक गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति न देकर सरकार उनका बुनियादी अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करने में असफल रही है। हमें समझना चाहिए। कि लोकतंत्र केवल बहुसंख्यकों द्वारा शासन ही नहीं है। बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यकों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि सरकार आम जनता के विचारों का प्रतिनिधित्व करे।
प्रश्न- किस प्रकार राजनीतिक सुधार लाए जा सकते हैं? कोई तीन तरीके बताएं
उत्तर- निम्नलिखित तरीकों से राजनीतिक सुधार लाए जा सकते हैं
1. लोगों को सशक्तिकरण करने वाला सूचना का अधिकार जैसे नए कानूनों को लागू करना चाहिए।
2. लोगों को राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।
3. चुनाव आयोग को अधिक शक्तियाँ दी जानी चाहिए।
प्रश्न विधिक संवैधानिक बदलावों को लाने मात्र से ही लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता? स्पष्ट करें।
उत्तर- कानून बनाकर राजनीति को सुधारने की बात सोचना बहुत लुभावना लगता है। नए कानून सारी अवांछित चीजें खत्म कर देंगे यह सोच लेना भले ही सुखद हो लेकिन इस लालच पर लगाम लगाना ही बेहतर है। निश्चित रूप से सुधारों के मामले में कानून की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। सावधानी से बनाए गए कानून गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे। पर विधिक संवैधानिक बदलावों को ला देने भर से लोकतंत्र की चुनौतियों को हल नहीं किया जा सकता। उदाहरण स्वरूप क्रिकेट एल.वी.डब्ल्यू. के नियम में बदलाव से बल्लेबाजों द्वारा अपनाए जाने वाले बल्लेबाजी के नकारात्मक दाँव पेंज को कम किया जा सकता है पर यह कोई भी नहीं सोच सकता कि सिर्फ नियमों में बदलाव कर देने भर से क्रिकेट खेल सुधर जाएगा उचित नहीं हैं।
★ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ★
प्रश्न भारतीय लोकतंत्र के समक्ष मुख्य चुनौतियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर भारतीय लोकतंत्र के सामने मुख्य चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं
1. सामाजिक तथा आर्थिक असमानता भारत में प्राचीनकाल से ही सामाजिक एवं आर्थिक असमानता पाई जाती है। समाज में एक और उच्च जातियाँ हैं और दूसरी ओर निम्न एवं पिछड़ी जाति, आर्थिक दृष्टि से भी अमीर-गरीब का अंतर बहुत अधिक है। सामाजिक एवं आर्थिक असमानता के होते हुए लोग अपने अधिकारों का उचित रूप से प्रयोग नहीं कर सकते क्योंकि ऐसे अंतर से हीनता आती है जो एक वर्ग संघर्ष को जन्म देती है एवं लोकतंत्र कमजोर होता है।
2. गरीबी गरीबी भारतीय लोकतंत्र के सामने एक बड़ी चुनौती है। गरीब व्यक्ति अपने राजनीतिक अधिकारों को स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग नहीं कर सकता। चुनाव लड़ना तो दूर की बात, वह अपने मत का प्रयोग भी स्वतंत्रतापूर्वक नहीं कर सकता। भारत में आज भी कई लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। ऐसे व्यक्ति तो कई बार अपना वोट बेचने के लिए भी मजबूर हो जाते हैं।
3. निरक्षरता - निरक्षरता भी भारतीय लोकतंत्र की सफलता में एक बड़ी चुनौती है, एक अशिक्षित व्यक्ति को अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों का पूरा ज्ञान नहीं होता। वह देश की समस्याओं तथा उनके समाधान के बारे में जानकारी तथा उन्हें समझने की क्षमता नहीं रखता है।
4. जातिवाद भारतीय समाज जाति पर आधारित समाज है और जातिवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। चुनावों के समय विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपने उम्मीदवारों का चुनाव प्रायः जाति के आधार पर किया जाता है और चुनाव प्रचार में जातिवाद पर बहुत बल दिया जाता है। बड़ी संख्या में मतदाता भी जाति के आधार पर मतदान करते हैं। जाति के आधार पर चुने गए प्रतिनिधि अपनी जाति के हितों को सुरक्षित रखने के लिए ध्यान देते हैं और कई बार तो वे राष्ट्रीय हितों को जाति के हितों के लिए कुर्बान कर देते हैं। इसके अतिरिक्त जातिवाद हिंसा की राजनीति को भी जन्म देता है।
5. सम्प्रदायवाद - सम्प्रदायवाद भी भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। में सम्प्रदायवाद का बीज बोने के लिए अंग्रेजी सरकार की 'फूट डालो और राज करो' को नीति उत्तरदायी है। भारत का विभाजन भी सम्प्रदायिकता के आधार पर हुआ, स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भी सम्प्रदायवाद अपना घिनौना चेहरा बनाए हुए हैं। राजनीतिक दल तथा नेता भी अपने हितों को सुरक्षित रखने के लिए सम्प्रदायवाद को बढ़ावा देते रहते हैं। चुनावों में अनेक प्रतिनिधिदं का चुनाव इसी आधार पर होता है और बड़ी मात्रा में लोग धर्म के आधार पर मतदान करते हैं। चुनावों के दौरान सम्प्रदायिक दंगे होना भी एक आम बात हो गई है। || भारत
6. क्षेत्रीय असंतुलन भारत एक विशाल देश है जिसमें अनेक प्रकार की विभिन्नता प जाती है। देश के सभी क्षेत्रों का आर्थिक विकास एक जैसा नहीं हुआ है, जिससे क्षेत्रीय असंतुलन पैदा हो गया है। एक और महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा जैसे विकसित प्रदेश हैं तो दूसरी ओर बिहार और ओडिशा जैसे पिछड़े क्षेत्र भी हैं। इस क्षेत्रीय असंतुलन के कारण क्षेत्रीयता की भावन उत्पन्न होती है, जो लोकतंत्र की सफलता के मार्ग में बड़ी बाधा उत्पन्न करती है।
प्रश्न गरीबी ने भारतीय लोकतंत्र को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर- गरीबी भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। यह अग्रलिखित प्रकार से भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित करती है
1. गरीबी के कारण आम आदमी राजनीतिक कार्यों में भाग नहीं ले पाता है, क्योंकि उसके लिए सबसे पहले रोटी कमाना आवश्यक है न कि अन्य कार्य।
2. गरीबी के कारण आम जनता में आक्रोश, विद्रोह पनपता है, जिसके कारण उनमें लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति रोष उत्पन्न हो जाता है।
3. गरीबी के कारण ही साम्प्रदायिक दंगों व हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
4. गरीबी के कारण लोकतंत्र एक मजाक बनकर रह गया है। हालांकि सभी मतदाताओं को चुनाव लड़ने का अधिकार है लेकिन क्या गरीब व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है? और यदि चुनाव लड़ता भी है तो क्या वह जीत सकता है? निश्चित रूप से नहीं।
5. गरीबी के ही कारण मतदाता अपने वोट को बेचने को मजबूर हो जाते हैं जिसके कारण सत्ता पर कब्जा धनी-अमीर वर्ग का हो जाता है और गरीब बहुमत सत्ता से वंचित रह जाता है।
6. गरीबी के कारण आम जनता का लोकतंत्र में विश्वास समाप्त हो जाता है और वह उन अधिनायकवादी व तानाशाही ताकतों का समर्थन करने लगता है जो उनकी गरीबी को दूर करने का वायदा करते हैं।
