class 11th biology chapter 3 question answer in hindi

Sachin ahirwar
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नमस्ते स्टूडेंट आपको इस पोस्ट में जितने भी प्रश्न मिलेंगे और उत्तर मिलेंगे वह सभी परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही इंपॉर्टेंट हैं, और आप एक भी प्रश्न को नजरअंदाज ना करें, नहीं तो क्या पता आपने जो प्रश्न नहीं पड़ा वही प्रश्न आपसे परीक्षा में पूछ लिया जाए तो सभी से आग्रह है की पोस्ट को पूरी पढ़ें और अंत तक पढ़े और पोस्ट की अंत में मैं आपको पूरी पोस्ट का पीडीएफ भी उपलब्ध करा दूंगा तो हमें फॉलो जरूर करें।



अध्याय 3


 ◆ वनस्पति जगत ◆


अति लघु उत्तरीय प्रश्न



प्रश्न 1. व्हिटेकर द्वारा सुझाए गए पांच जगत के नाम लिखिए।

उत्तर -

 1. मोनेरा

2. प्रोटिस्टा

3. फफूंद

4. वनस्पति

5. जंतु जगत


प्रश्न 2. कृत्रिम वर्गीकरण क्या है?

उत्तर कृत्रिम वर्गीकरण वर्गीकरण की प्राचीनतम एवं प्राकृतिक पद्धति है जिसमें जीवो को उनके एक या कुछ लक्षणों जैसे आवास, बाह्य आकार, व्यवहार तथा आकृति की समानता आदि को आधार मानकर वर्गीकृत किया जाता है।


प्रश्न 3. जाति वृत्तीय वर्गीकरण क्या है?

उत्तर अनुवांशिक जननिक तथा विकासीय गुणों के आधार पर जीवों का वर्गीकरण जाति वृत्तीय वर्गीकरण कहलाता है। किसी भी जीव जाति के विकास क्रम बा अनुवांशिक संबंधों को जाती वृत्ति कहते हैं लक्षणों पर आधारित प्रथम जातिव्रत वर्गीकरण एंग्लर तथा कार्ल प्राण्टल ने दिया।


प्रश्न 4. क्लोरोफाइसी का हरा रंग किस वर्णक के कारण होता है।

उत्तर क्लोरोफाईसी वर्ग के अंतर्गत आने वाले से लावो में क्लोरोफिल-a तथा क्लोरोफिल-b अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में होता है जिसके कारण यह गहरे हरे रंग के होते हैं




प्रश्न 5. युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन में दो अंतर लिखिए कीजिए


उत्तर-  युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन मैं अंतर निम्नलिखित हैं


युग्मक संलयन

त्रिसंलयन


दोनों नर एवं मादा युग्मक संलयन में भाग लेते हैं।

एक नर युग्मक तथा दो कायिका केंद्रक संलयन में भाग लेते हैं


युग्मक संलयन द्वारा द्विगणित जाईगोट बनता है

त्रिसंलयन द्वारा त्रिगुणित एंडोस्पर्म बनता है


जाई गोट से भ्रुण निर्माण होता है।

एंडोस्पर्म भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग होता है।




लघु उत्तरीय प्रश्न



प्रश्न 1. शैवालों के प्रमुख लक्षण लिखिए।

उत्तर- (1) शैवाल सामान्यतः जलीय जीव हैं जो स्वच्छ एवं समुद्री जल में पाये जाते हैं परन्तु कुछ शैवाल असामान्य एवं विशिष्ट आवासों में भी पाये जाते हैं। 

(2) यह एककोशिकीय अथवा बहुकोशिकीय दोनों प्रकार के होते हैं। इनमें हरित लवक उपस्थित होता

है। अतः ये स्वपोषी होते हैं।


(3) इनमें संवहन ऊतकों का पूर्णतः अभाव होता है।


(4) इनकी कोशिका भित्ति सेल्युलोज की बनी होती है।

 (5) इनमें भोज्य पदार्थ मण्ड (starch) के रूप में संचित रहते हैं।


(6) इनमें प्रजनन कायिक, अलैंगिक एवं लैंगिक तीनों विधियों द्वारा होता है। कायिक प्रजनन विखण्डन द्वारा, अलैंगिक प्रजनन चलबीजाणु व अचलबीजाणु द्वारा तथा लैंगिक प्रजनन समयुग्मकी, असमयुग्मकी एवं विषमयुग्मकी प्रकार का होता है।


(7) इनमें जननांग सामान्यतः एककोशिकीय होते हैं लेकिन बहुकोशिकीय होने पर इनके बाहर जैकेट (बन्ध्य कोशिकाओं का आवरण) नहीं होता है।

Note :- कोई पांच पॉइंट याद रखें

प्रश्न 2. प्रमुख शैवाल समूहों के नाम लिखिए तथा प्रत्येक के दो-दो उदाहरण भी दीजिए।


उत्तर- शैवालों को प्रकाश संश्लेषणी वर्णकों की प्रकृति एवं संचित भोज्य पदार्थों आदि के आधार पर निम्नलिखित समूहों में बाँटा गया है


(1) क्लोरोफाइटा (हरे शैवाल); उदाहरण- स्पाइरोगायरा व यूलोथ्रिक्स।


(2) फिओफाइटा (भूरे शैवाल); उदाहरण- फ्यूकस व सारगासम।


(3) रोडोफाइटा (लाल शैवाल); उदाहरण- पॉलीसाइफोनिया व बैटेकोस्पर्मम ।



प्रश्न 3. भूरे शैवालों के कोई चार आर्थिक महत्त्व लिखिए।


उत्तर- (1) अनेक भूरे शैवाल जैसे- लेमिनेरिया (Laminaria), सारगासम (Sargassum), मैक्रोसिस्टिम (Macrocystis) आदि का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है।


(2) फ्यूकस, सारगासम, लेमिनेरिया आदि को पशुओं के चारे के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।

 (3) फ्यूकस एवं लेमिनेरिया में आयोडीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है अतः इनका उपयोग मँघा रोग को दवाई बनाने में भी किया जाता है।


(4) आयरलैण्ड में फ्यूकस को कार्बनिक खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है।


प्रश्न 4. लाल शैवालों का आर्थिक महत्त्व बताइए। 

उत्तर- (1) अनेक लाल शैवाल; जैसे-पोरफाइस (Porphyra), पामेरिया (Palmaria), कोन्ड्स (Chondrus) आदि का प्रयोग भोजन के रूप में किया जाता है।


(2) इसके अतिरिक्त इनका उपयोग आइसक्रीम, चॉकलेट एवं सलाद आदि में भी किया जाता है। (3) ग्रसिलेरिया (Gracilaria) एवं जिलीडियम (Gelidium) से अगर अगर (Agar Agar) नामक पॉलीसेकेराइड प्राप्त होता है। यह प्रयोगशाला में संवर्धन माध्यम में आधार के रूप में प्रयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त यह ताप तथा ध्वनिरोधक बनाने के काम भी आता है।


(4) रोडीमेनिया (Rhodymenia) नामक लाल शैवाल का उपयोग फ्रांस में पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है।


प्रश्न 5. शैवाल के आर्थिक महत्व पर टिप्पणी लिखिए।

(Mp 2020)

उत्तर- उपरोक्त प्रश्न 4 एवं 5 के उत्तरों का अध्ययन करें।



प्रश्न 6. लिवरवर्ट्स एवं मॉस में अन्तर लिखिए।


उत्तर - लिवरवस एवं मॉस में अन्तर

(NCERT)




लिवरवर्ट्स

मॉस

1.

इनका गैमीटोफाइट, हृदयाकार, चपटा, हरा थैलस होता है।

इनका गैमीटोफाइट पत्ती व तने में विभक्त रहता है।


2.

गैमीटोफाइट से एक कोशिकीय राइज्वांइड्स निकलते हैं।

गैमीटोफाइट से बहुकोशिकीय राइज्वांइड्स निकलते हैं।

3.

इनमें कैप्सूल के फटने पर स्पोर्स का विकिरण

होता है।

स्पोर्स के विकिरण हेतु कॅप्सूल में विकसित तन्त्र

होता है।

4.

कॅप्सूल में इलेर्ट्स पाये जाते हैं जो स्पोर्स के विकिरण में सहायता करते हैं।

इनके कैप्सूल में इलेटर्स नहीं पाये जाते हैं।





प्रश्न 7. विषमबीजाणुता से आप क्या समझते हैं? उदाहरण भी दीजिए।

(2022)


अथवा


विषमबीजाणुता क्या है? इसकी सार्थकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए तथा इसके दो उदाहरण भी दें। (NCERT)

 उत्तर- पौधों में दो विभिन्न आकार, संरचना एवं कार्य वाले स्पोर बनने की क्रिया विषमबीजाणुता

कहलाती है। इसके प्रमुख उदाहरण हैं-सिलेजिनेला एवं मार्सीलिया।


इन पौधों में दो विभिन्न आकार वाले स्पोर बनते हैं। छोटे स्पोर माइक्रोस्पोर्स एवं बड़े स्पोर मेगास्पोर्स कहलाते हैं जो क्रमशः माइक्रो एवं मेगास्पोरेजियम में बनते हैं। माइक्रोस्पोर्स तथा मेगास्पोर्स से क्रमश: नर एवं मादा युग्मकोद्भिद बनते हैं। इन पौधों में मादा युग्मकोद्भिद अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पैतृक स्पोरोफाइट से जुड़ा रहता है तथा इसी में युग्मनज का विकास होता है जिससे एक नया शिशु भ्रूण बनता है। यह घटना अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी जाती है जो इसे बीज प्रकृति की ओर ले जाती है।



प्रश्न 8. अनावृतबीजी (Gymnosperms) पौधों के महत्वपूर्ण लक्षण लिखिए। (NCERT: 2020) 


उत्तर- (1) ये पौधे बहुवर्षी एवं काष्ठीय होते हैं जो सामान्यतः मरुद्भिद स्वभाव के होते हैं।

(2) इन पौधों में बीज तो बनते हैं लेकिन वे बीज नग्न रूप में पौधों पर लगे रहते हैं अर्थात् बीज किसी खोल, भित्ति या फल में बन्द नहीं होते हैं।

 (3) ये पौधे विषमबीजाणुक होते हैं अर्थात् दो प्रकार के बीजाणु लघु एवं दीर्घ क्रमशः लघु एवं दीर्घ बीजाणुधानियों में उत्पन्न होते हैं।

(4) इन पौधों में परागण की क्रिया वायु द्वारा होती है।

(5) इनमें बहुभ्रूणता पायी जाती है लेकिन परिपक्व बीज से केवल एक ही भ्रूण का विकास होता है।



प्रश्न 9. अनावृतबीजी (जिम्नोस्पर्म) पौधों का आर्थिक महत्त्व लिखिए। (NCERT)

 उत्तर- (1) यद्यपि अनावृतबीजी पौधों के अनेक आर्थिक महत्त्व हैं लेकिन इनका अधिक उपयोग इमारती लकड़ी के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए, पाइनस रॉक्सबगाई से चीड़ की लकड़ी, सीड्स देओदारा से देवदार की लकड़ी प्राप्त होती है। 

(2) पाइनस से तारपीन का तेल भी प्राप्त होता है जिसका उपयोग रंग-रोगन में किया जाता है।

(3) पाइनस जेरार्डिआना के बीज (चिलगोजा) शुष्क फल (Dry fruits) के रूप में खाये जाते हैं। (4) इफेड्रा से एक औषधि इफेड्रीन प्राप्त होती है जो खाँसी एवं दमा के उपचार में प्रयोग की जाती है।

(5) साइकस रिवोल्यूटा के तने से साबूदाना प्राप्त किया जाता है।




प्रश्न 10. एकबीजपत्री एवं द्विबीजपत्री पौधों में अन्तर लिखिए।


अथवा


एकबीजपत्री पौधे को द्विबीजपत्री पौधे से किस प्रकार विभेदित करेंगे?



अन्तर का आधार 

एकबीजपत्री पौधा

द्विबीजपत्री पौधा

1. जड़

इनकी जड़ों में संवहन फूलों की संख्या 7 से अधिक होती है।

इनकी जड़ों में संवहन पूलों की संख्या प्रायः 2-6 तक होती है।

2. तना

इनके ग्राउण्ड टिश्यू में संवहन पूल बिखरे रहते हैं तथा ये बन्द प्रकार के होते हैं अर्थात् इनमें कैम्बियम नहीं पाया जाता है।

इनके तने में संवहन पूल एक या दो घेरों में। विन्यस्त रहते हैं तथा ये खुले प्रकार के होते। हैं अर्थात् इनमें जाइलम एवं फ्लोएम के बीच

कैम्बियम की रिंग पायी जाती है।

3. पत्ती

इनकी पक्षियों में समान्तर शिराविन्यास पाया जाता है।

इनकी पत्तियों में जालिकायत शिराविन्यास पाया जाता है।

4. पुष्प

इनके पुष्प त्रिभागी (Trimerous) होते हैं अर्थात् पुष्पदल 3-3 की भ्रमियों में विन्यस्त होते हैं।

इनके पुष्प चर्तु या पंचभागी होते हैं। अर्थात् पुष्पदल 4-4 या 5-5 की भ्रमियों में विन्यस्त होते हैं।

5. बीज

इनके बीजों में एक बीजपत्र पाया जाता है। ये प्रायः धूणपोषी होते हैं।

इनके बीजों में दो बीजपत्र पाये जाते हैं। ये प्रायः अभूणपोषी होते हैं।





प्रश्न 12. अनावृतबीजी (जिम्नोस्पर्म) एवं आवृतबीजी (एन्जियोस्पर्म) पौधों में अन्तर बताइए।


उत्तर - अनावृतबीजी एवं आवृतबीजी पौधों में अन्तर




अनावृतबीजी (जिम्नोस्पर्म)

आवृतबीजी (एन्जियोस्पर्म)

1.

अनावृतबीजी पौधों में पुष्प नहीं पाये जाते हैं। इनमें जननांग शंकुओं पर उत्पन्न होते हैं।

इन पौधों में पुष्प उत्पन्न होते हैं तथा इनके अन्दर ही जननांग पाये जाते हैं।

2.

चूँकि इन पौधों में बीजाण्ड, अण्डाशय में नहीं होता। अतः इनके बीज नग्न होते हैं।

इन पौधों में बीजाण्ड, अण्डाशय के अन्दर बन्द होते हैं। अतः इनके बीज फल के अन्दर बन्द रहते हैं।

3.

इन पौधों में द्विनिषेचन एवं सिंलयन की क्रिया नहीं पायी जाती है।

इन पौधों में द्विनिषेचन एवं त्रिसंलयन की क्रिय पायी जाती है।

4.

इन पौधों में भ्रूणपोष का निर्माण निषेचन से पूर्व होता है। अतः इनका भूणपोष अगुणित होता है।

इन पौधों में भ्रूणपोष का निर्माण निषेचन के बाद होता है अतः इनका भूणपोष त्रिगुणित होता है।

5.

इन पौधों में संवहन ऊतक के जाइलम में 

हिकाओं एवं फ्लोएम में सहकोशिकाओं

का अभाव होता है।

इनके संवहन ऊतक के जाइलम में वाहिकाएँ तथा फ्लोएम में सहकोशिकाएँ पायी जाती हैं।




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