अध्याय 2
◆ जैविकीय वर्गीकरण ◆
◆ महत्वपूर्ण बिंदु
• सन् 1969 में आर. एच. ह्रिटेकर ने पाँच जगत वर्गीकरण दिया। इन्होंने जीवों को पाँच जगतों-मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक, प्लाण्टी तथा एनीमेलिया में बाँटा ।
• ह्रिटेकर ने अपने वर्गीकरण का प्रमुख आधार कोशिकीय संरचना की जटिलता, शरीर संगठन की
जटिलता, पोषण विधि तथा जीवन पद्धति को माना ।
• ह्रिटेकर ने अपने वर्गीकरण में विषाणुओं को सम्मिलित नहीं किया, क्योंकि इनकी कोई कोशिकीय संरचना नहीं होती। ये सजीव व निर्जीव के बीच की कड़ी माने जाते हैं। पाँच जगत के पश्चात्, कुछ वैज्ञानिकों ने मोनेरा को दो जगतों में बाँटकर छः जगत वर्गीकरण दिया।
• कार्ल ऊज ने इन छ: जगतों को तीन समूहों में बाँटा तथा इन समूहों को उन्होंने डोमेन (प्रक्षेत्र) कहा।
डोमेन 1 के अन्तर्गत उन्होंने यूबैक्टीरिया, डोमेन 2 के अन्तर्गत आर्कीबैक्टीरिया तथा डोमेन 3 में P प्रोटिस्टा, प्लाण्टी, कवक एवं एनीमेलिया को सम्मिलित किया।
• जगत् मोनेरा के अन्तर्गत वे जीव आते हैं, जो एककोशिकीय एवं प्रोकैरियोटिक होते हैं। इनके उदाहरण है- जीवाणु, माइकोप्लाज्मा तथा सायनोबैक्टीरिया
• जीवाणु अतिसूक्ष्म, एककोशिकीय, आद्य (Primitive) एवं सर्वव्यापी जीव हैं।
• एण्टोनी वॉन ल्यूवेनहॉक ने सबसे पहले जीवाणु को देखा था अतः इन्हें जीवाणु विज्ञान का पिता कहते हैं, लेकिन इन्हें जीवाणु नाम एरनवर्ग (Ehrenberg) द्वारा दिया गया।
• जीवाणु कोशिका के केन्द्रक के चारों ओर केन्द्रक कला (Nuclear membrane) नहीं होती है तथा केन्द्रिका (Nucleolus) भी अनुपस्थित होता है। इनके कोशिकाद्रव्य में उपस्थित केन्द्रीय पदार्थ को आरम्भी केन्द्रक (Incipient nucleus) कहते हैं।
• जीवाणु के आरम्भी केन्द्रक में सामान्य गुणसूत्र नहीं होते। इनमें केवल वलयाकार (Circular) DNA होता है लेकिन उसमें हिस्टोन प्रोटीन नहीं होती।
• जीवाणुओं में सामान्यतः जनन द्विविभाजन (Binary fission) द्वारा होता है। इनमें लैंगिक जनन के अन्तर्गत आनुवंशिक पदार्थों का पुनर्संयोजन होता है।
• प्रोटिस्टा के अन्तर्गत एककोशिकीय, यूकैरियोटिक जीवों को रखा गया। प्रोटिस्टा को 'वर्गीकरण का कूड़ेदान' की संज्ञा दी गई क्योंकि जिन जीवों को किसी अन्य जगत में न रखा जा सका, उन्हें प्रोटिस्टा में रखा गया।
• कवक पर्णहरिम रहित, संवहन ऊतक रहित थैलोफाइट्स हैं, जो परजीवी अथवा मृतोपजीवी होते हैं तथा बीजाणुओं द्वारा जनन करते हैं।
◆ अति लघु उत्तरीय प्रश्न ◆
प्रश्न 1. पाँच जगत वर्गीकरण के प्रमुख मापदण्ड क्या थे?
उत्तर - कोशिका संरचना, थैलस संरचना, पोषण की विधि, प्रजनन एवं जातिवृत्तीय सम्बन्ध इस वर्गीकरण
के प्रमुख मापदण्ड थे।
प्रश्न 2. पाँच जगत वर्गीकरण किस प्रकार से द्वि-जगत वर्गीकरण से बेहतर है? (NCERT EX.)
उत्तर- पाँच जगत वर्गीकरण कोशिकीय संरचना, शरीर संगठन की जटिलता तथा पोषण विधि पर आधारित है, ये आधार दो जगत वर्गीकरण के पादप एवं जन्तुओं में अन्तर से अधिक मौलिक हैं। इसके अतिरिक्त ये दो जगत वर्गीकरण से अधिक प्राकृतिक है, क्योंकि यह विभिन्न जीवन पद्धतियों में जातिवृत्तीयता दर्शाता है।
प्रश्न 3. ह्विटेकर के पाँच जगत वर्गीकरण के अनुसार यूकैरियोटी कितने जगत वाला होता है?
उत्तर- हिटेकर के पाँच जगत वर्गीकरण के अनुसार जगत मोनेरा को छोड़कर सभी जगत अर्थात् जगत प्रोटिस्टा, पादप, कवक एवं जन्तु, यूकैरियोटी संरचना वाले होते हैं।
प्रश्न 4. जगत मोनेरा के जीवों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर - जगत मोनेरा के जीवों को मुख्य रूप से दो वर्गों- आर्कीबैक्टीरिया तथा यूबैक्टीरिया में बाँटा गया है।
प्रश्न 5. आर्कीबैक्टीरिया क्या है?
अथवा
आर्कीबैक्टीरिया को असाधारण परिस्थितियों का जीव क्यों कहा जाता है ?
(2019)
अथवा
आर्कीबैक्टीरिया को जीवित जीवाश्म क्यों कहते हैं?
उत्तर- आर्कीबैक्टीरिया प्राचीन पृथ्वी के असाधारण वातावरण (O2) की अनुपस्थिति, उच्च तापमान, कम pH, उच्च लवण सान्द्रता) में पैदा होने वाले जीव हैं। इस कारण इन्हें असाधारण परिस्थितियों का जीव कहा जाता है। ये आज भी अपने उसी रूप में विद्यमान हैं। अतः इन्हें जीवित जीवाश्म कहा जाता है।
प्रश्न 6. आद्य (आर्की) बैक्टीरिया के दो लक्षण लिखिए।
(2020)
उत्तर- (1) इनकी कोशिका भित्ति प्रोटीन एवं नॉन-सेल्यूलेसिक पॉलीसेकेराइड्स की बनी होती है। (2) इनकी कोशिका झिल्ली में लिपिड की शाखित श्रृंखलाएँ होती हैं जो इन्हें अधिक ताप एवं अम्लीय परिस्थितियों में बिना किसी नुकसान के जीवित रहने में समर्थ बनाती हैं।
प्रश्न 7. जीवाणु की कोशिका भित्ति किस पदार्थ की बनी होती है?
उत्तर- इनकी कोशिका भित्ति पॉलीसेकेराइड्स, लिपिड एवं प्रोटीन की बनी होती है।
प्रश्न 8. मीसोसोम्स (Mesosomes) क्या है?
उत्तर-ग्राम-ग्राही ( Gram-positive) जीवाणुओं में जीवद्रव्य कला अनेक स्थानों से अन्तर्वलित होती है ये अन्तलित संरचनाएँ मीसोमोम्स कहलाती हैं ये यूकेरियोटिक कोशिका में पाये जाने वाले माइकॉण्डिया के समान श्वसन में सहायक हैं।
प्रश्न 9. जीवाणुओं एवं पादपों में समानताएँ लिखिए।
(2018)
उत्तर- जीवाणु तथा पादप दोनों में ही दृढ़ कोशिका भित्ति पायी जाती है। स्वपोषी जीवाणुओं में पादपों
के समान अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक भोज्य पदार्थों का निर्माण होता है।
प्रश्न 10. माइकोप्लाज्मा क्या है?
उत्तर- ये सूक्ष्म एककोशिकीय, अचल, प्रोकैरियोटिक तथा मृतोपजीवी एवं परजीवी जीव हैं, जो गोलाकार
या अण्डाकार समूह बनाते हैं। इन्हें जीवाणु एवं विषाणु के बीच की कड़ी कहा जाता है।
प्रश्न 11. माइकोप्लाज्मा को प्लूरोनिमोनिया सदृश्य जीव क्यों कहते हैं?
उत्तर- ये पशुओं में बोविन प्लूरोनिमोनिया नामक रोग उत्पन्न करते हैं। अतः इन्हें प्लूरोनिमोनिया सदृश्य
जीव (PPLO) कहा जाता है।
प्रश्न 12. सायनोबैक्टीरिया किसे कहते हैं?
उत्तर- सायनोबैक्टीरिया प्रोकैरियोटिक, एक या बहुकोशिकीय, तन्तुवत् प्रकाश-संश्लेषी, ग्राम- अग्राही रंगीन जीवाणु हैं। इनमें हरित लवक, फाइकोविलिन्स, प्रोटीन तथा कॅरोटिनॉयड वर्णक पाये जाते हैं।
◆ लघु उत्तरीय प्रश्न ◆
प्रश्न 7. ग्राम पॉजीटिव तथा ग्राम निगेटिव जीवाणु में अन्तर बताइए। (कोई पाँच)
उत्तर ग्राम पॉजीटिव तथा ग्राम निगेटिव जीवाणु में अन्तर
प्रश्न 8. पदार्थों के चक्रीकरण में मोनेरा की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- जीव शरीर में बहुत से कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ उपस्थित रहते हैं जो अनेक सरल तत्वों; जैसे- कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, सल्फर के मिलने से बने होते हैं। इन पदार्थों का जीव शरीर से वातावरण में और वातावरण से जीव शरीर में चक्रीय आदान-प्रदान होता रहता है जिसे पदार्थों का चक्रीकरण (Cycling of matters) कहते हैं।
जीवधारियों द्वारा उत्सर्जित अपशिष्टों तथा जीव शरीर की मृत्यु के पश्चात् मोनेरा जगत के ही मृतोपजीवी अपघटक जाति के जीव, इनका विघटन सरल तत्वों में कर देते हैं जो वातावरण में मिल जाते हैं। इन्हें पुनः पौधे । ग्रहण कर विभिन्न रासायनों का संश्लेषण करते हैं जिन्हें जीव भोजन के तथा अन्य रूपों में ग्रहण करता है। इस तरह मोनेरा जगत के जीव ही पदार्थों का चक्रीकरण वातावरण से जीव शरीर में तथा जीव शरीर से वातावरण में करते रहते हैं।
प्रश्न 3. कवक और शैवाल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
◆ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ◆
प्रश्न 1. ह्रिटेकर द्वारा प्रस्तावित पाँच जगत के नाम एवं प्रमुख एक आधारीय लक्षण लिखिए।
अथवा
वर्गीकरण के पाँच जगतों के नाम दो-दो लक्षणों सहित लिखिए तथा प्रोटिस्टा जगत के लक्षणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
पाँच जगत वर्गीकरण क्या है ? प्रत्येक के दो लक्षण लिखिए।(2019)
उत्तर - ह्रिटेकर ( Whittaker, 1969) ने संसार के समस्त जीवों को निम्न प्रकार पाँच जगतों में बाँटा
(1) जगत मोनेरा (Kingdom Monera) - इसके अन्तर्गत सभी प्रोकैरियोटिक एवं एककोशिकीय
जीवों को रखा गया है; जैसे- जीवाणु, नील हरित शैवाल आदि
लक्षण – (i) इस जगत के सभी सदस्यों में पूर्ण विकसित केन्द्रक का अभाव होता है अर्थात् ये
प्रोकैरियोटिक होते हैं।
(ii) इनके सदस्य एककोशिकीय होते हैं। कोशिकाओं के चारों और दृढ़ कोशिका भित्ति होती है लेकिन कोशिकांगों में झिल्ली का अभाव होता है।
(2) जगत प्रोटिस्टा (Kingdom Protista ) - इसके अन्तर्गत एककोशिकीय, यूकैरियोटिक जीवों को रखा गया; जैसे- अमीबा, युग्लीना आदि ।
प्रश्न 7. अपनी कक्षा में इस शीर्षक 'क्या वाइरस सजीव है अथवा निर्जीव' पर चर्चा कीजिए।
(NCERT)
अथवा
विषाणु क्या हैं? इसे सजीव-निर्जीव के बीच की कड़ी क्यों मानते हैं?
अथवा
विषाणु सजीव एवं निर्जीव के बीच की कड़ी है, समझाइए ।
अथवा
विषाणु का जीव जगत में स्थान तय नहीं है? समझाइए ।
उत्तर- विषाणु अत्यन्त सूक्ष्म कणिकामय संरचनाएँ हैं जिन्हें जीवाणुज फिल्टर द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता। इन्हें कृत्रिम माध्यम में संवर्धित भी नहीं किया जा सकता।विषाणु का जीव जगत में निश्चित स्थान तय नहीं है। इन्हें सजीव एवं निर्जीव के बीच की कड़ी माना जाता है क्योंकि इनमें सजीव एवं निर्जीव दोनों के ही गुण पाये जाते हैं, जो इस प्रकार हैं
विषाणु के सजीव गुण- (1) इनका प्रवर्धन केवल जीवित कोशिकाओं में ही होता है।
(2) यह ताप, विकिरण तथा अन्य रासायनिक पदार्थों के प्रति प्रतिक्रिया प्रदर्शित करते हैं।
(3) इनमें आनुवंशिक पदार्थ DNA या RNA होता है। (4) यह केवल अपने विशिष्ट परपोषी में ही लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं।
(5) इनमें संक्रमण की क्षमता होती है तथा ये रोग का विस्तार करने में सक्षम होते हैं।
विषाणु के निर्जीव गुण- (1) यह कोशिकाओं के रूप में नहीं पाये जाते हैं अर्थात् इनमें कोशिका कला
तथा कोशिका भित्ति नहीं पायी जाती है।
(2) यह परपोषी के बाहर निष्क्रिय रहते हैं।
(3) इनमें सजीवों की तरह श्वसन क्रिया नहीं होती है।
(4) इनका क्रिस्टलीकरण किया जा सकता है।
उपर्युक्त लक्षणों के आधार पर कहा जा सकता है कि विषाणु सजीव एवं निर्जीव के बीच की कड़ी हैं।
